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Toxic Smog: गले में खराश-बंद नाक और छींक दे रही संकेत, सीने को चुपके से जकड़ रहा टॉक्सिक स्मॉग

गले में खराश या बंद नाक को आप मौसम का तकाजा समझ रहे होंगे लेकिन बार-बार ये होने का मतलब है सीने को टॉक्सिक स्मॉग जकड़ रहा है.

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Toxic Smog: गले में खराश-बंद नाक और छींक दे रही संकेत, सीने को चुपके से जकड़ रहा टॉक्सिक स्मॉग
 

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डीएनए हिंदीः  गले में खराश (Sore Throat) और लगातार आने वाली छींक (Frequent Sneezing) ही नहीं, सांसों का फूलना (Shortness of Breath ) और सीने से घरघराहट की आवाज (Eheezing Sound from Chest) बताती है कि टॉक्सिक स्मॉग (Toxic Smog) आपके सीने को जकड़ (Constricting your Chest ) रहा है और ये कभी भी ब्रोंकाइटिस (Bronchitis), अस्थमा (Asthma ) या किसी सीरियस लंग्स की समस्या (Serious Lung Problem) का कारण बनेगा. 

आखों से लगातार आने वाला पानी या नाक-कान और गले के बीच में होने वाली खुजली को आप कुछ दिनों की समस्या समझ कर नजरअंदाज कर रहे तो बता दें कि ये छाती में जकड़ रहे धूल-धुएं की परत का पहला संके है. लंबे समय तक समस्या बनी रहे तो छाती से जुड़ी कई बीमारियां हो सकती हैं. मेट्रोज ही नहीं हर शहर में अब लगातार जहरीले स्मॉग की एक मोटी परत देखने को मिल रही है और ठंड में ये समस्या और गंभीर हो रही है. टॉक्सिक स्मॉग से होने वाली दिक्कतों के बारे में जानने के लिए हमने डॉ. सलिल बेंद्रे, हेड और सीनियर कंसलटेंट, चेस्ट मेडिसिन, (पल्मोनोलॉजी), मुंबई के नानावती मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से बात की और उन्होंने जो बताया वह बेहद खतरनाक है.

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डॉक्टर सलिल ने बताया कि टॉक्सिक स्मॉग अस्थमा से लेकर सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन रहा है. इसकी वजह से आंखों में जलन, गले में परेशानी, सांस लेने में दिकक्त या नाक के बंद रहने की समस्या बढ़ रही है. शुरूआत में तो आंखों, नाक और गले में कुछ न कुछ समस्या होती है लेकिन धीरे-धीरे ये सीने को जकड़ लेता है और सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियां शुरू हो जाती हैं. चलिए जानें कि इस टॉक्सिक स्मॉग से और क्या खतरे हो हैं. 

वातस्फीति एम्फाइज़िमा
वातस्फीति फेफड़ों की वो गंभीर बीमारी है जिसमें लंग्स में लंबे समय तक ऐसे टॉक्सिक भरते रहते हैं और धीरे-धीरे लंग्स एयर सैक्स डैमेज हो जाते हैं. इसकी वजह से आगे चलकर लंग्स में मौजूद एयर स्पेसेज बड़े हो जाते हैं जो बाद में गंभीर रूप ले लेते हैं. सूखी खांसी, खांसी में बलगम आना, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या हो रही तो तो डॉक्टर से चेकअप जरूर कराएं.

ब्रोंकाइटिस
लंग्स की गंभीर बीमारियों में से एक ब्रोंकाइटिस भी टॉक्सिक स्मॉग से ट्रिगर होता है. सीने और गले में घरघराहट और कफ बनने के साथ ही लंबी सांस लेने जैसे लक्षण इस बीमारी में दिखते हैं. लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने वाले ज्यादातर लोगों में ब्रोंकाइटिस की समस्या देखने को मिलती है. इसके अलावा यह बीमारी तंबाकू के धुएं, वायु प्रदूषण, धूल और धुएं के संपर्क में आने से भी ये होता है. 

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एलर्जी
अगर सुबह या शाम को एक साथ पांच से दस छींके आ रही हैं या गले-कान और नाक के बीच खुजली हो रही तो समझ लें टॉक्सिक स्मॉग के कारण आपको एलर्जी हो रही है. कई बार अचानक से जुकाम होना नाक बंद हो जाने जैसी दिक्कते भी होती हैं. आगे चलकर ये एलर्जी ब्रोंकाटिस या अस्थमा में भी बदल सकती है. 

अस्थमा
लगातार वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से लोगों को अस्थमा की समस्या भी हो सकती है. यह एक गंभीर और दीर्घकालिक समस्या है, कई बार ट्रिगर भी कर सकती है. हवा में मौजूद प्रदूषक आपकी नाक या मुंह से होकर आपके फेफड़ों में पहुंच जाते हैं, जिससे यह समस्या हो सकती है. साथ ही यह प्रदूषक वायुमार्ग में सूजन और जलन पैदा करते हैं, जिससे अस्थमा पीड़ित लोगों की समस्या बढ़ सकती है. इतना ही नहीं उच्च स्तर के वायु प्रदूषण में सांस लेने से बार-बार अस्थमा का दौरा पड़ सकता है. 

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टॉक्सिक स्मॉग से ऐसे करें अपना बचाव

  • घर, दफ्तर और अपनी कार में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें. ज्यादा प्रदूषण के दौरान खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें.
  • जो हवा को साफ करते हैं इनडोर प्लांट्स लगाएं -जैसे मनी प्लांट, एरेका पाम, फिलोडेंड्रोन, पीस लिली, ड्रेकेना, बोस्टन फर्न और एलोवेरा.
  • घर से बाहर निकलें तो फेस मास्क पहनें, जो आपको प्रदूषण से बचाता है.
  • ज्यादा प्रदूषण के दौरान बाहर व्यायाम करने से बचें.
  • फ़्लू वैक्सीन के साथ ही नियमित रूप से निमोनिया का टीका लगवाएं.
  • अचानक से तापमान के परिवर्तन के संपर्क में आने से बचें, जैसे घर के अंदर गर्म से बाहर की ठंड.
  • पोषक आहार, व्यायाम, पर्याप्त नींद, तनाव का स्तर और पर्याप्त पानी आदि का ध्यान रखें.
  • मल्टी विटामिन, च्यवनप्राश, हल्दी वाले दूध आदि का सेवन करें.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.) 

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