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Heeramandi Review: सिल्वर स्क्रीन और OTT की खिचड़ी बन गई है हीरामंडी, भव्यता भी पड़ी फीकी

Heeramandi Review: Sanajy Leela Bhansali का आलीशान ओटीटी डेब्यू हो चुका है. 'हीरामंडी: द डायमंड बाजार' देखने से पहले जान लें कैसी है ये 200 करोड़ में बनी वेब सीरीज.

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Heeramandi Review: हीरामंडी रिव्यू

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संजय लीला भंसाली (Sanajy Leela Bhansali) का ग्रैंड ओटीटी डेब्यू हो चुका है. फाइनली उनकी पहली वेब सीरीज 'हीरामंडी: द डायमंड बाजार' (Heeramandi: The Diamond Bazaar) नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है. 200 करोड़ के खर्च पर तैयार हुई इस सीरीज में भंसाली ने लाहौर की तवायफों की कहानी इतने भव्य तरीके से सुनाई है, जिसे देखकर आपकी आंखें चकाचौंध रह जाएंगी. नवाबों का सुरूर, तवाइफों का गुरूर, अंग्रेजों की शातिर चालें और इन सबके बीच देश में भड़क रही आजादी की आग... सीरीज को लेकर ये कहना गलत नहीं होगा कि इस सीरीज का हर सीन एक बेहतरीन कला का नमूना है लेकिन यही खासियत इसकी सबसे कमी भी है.

कहानी, किरदार और परफॉर्मेंस

1940 के दशक में लाहौर के एक हलचल भरे रेड-लाइट एरिया के बीच स्थित 'हीरामंडी' की कहानी की शुरू होती है 'मल्लिका जान' (मनीषा कोइराला) से, जो नवाबों और ताकतवर अंग्रेजों को भी अपने पैरों के नीचे रखती है, वो अपनी बेटी आलमजेब को भी तवायफ बनना चाहती है लेकिन आलम एक शायरा बनना चाहती है. आलम का किरदार शर्मिन सहगल ने काफी अच्छी ढंग से निभाया है. मनीषा कोइराला इतने पावरफुल किरदार में कुछ हद तक निराश करती हैं.

सीरीज में 'बिब्बोजान' का किरदार निभाया है एक्ट्रेस अदिती राव हैदरी ने, जो हुजूर मल्लिकाजान का कोई हुकुम नहीं टालती उनके इशारों पर ही नाचती है, वो अपनी मर्जी से सिर्फ एक ही काम करती है और वो है देश की आजादी की लड़ाई लड़ना. वो अपनी दौलत, शोहरत और नवाबों से कनेक्शन का इस्तेमाल करके देश की आजादी के लिए लड़ रहे बागियों की मदद करती है. अदिती राव हैदरी शुरुआती कुछ सीन में इंप्रेस नहीं पातीं लेकिन धीरे-धीरे वो अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस देती हैं.

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ऋचा चड्ढा ने इस सीरीज में 'रज्जो' को रोल निभाया है, जो सिर से पांव तक एक नवाब के प्यार में डूबी हुई है लेकिन ये बेदर्द नवाब 'रज्जो' का दिल तोड़ कर शादी करने जा रहा है. शादी वाले दिन रज्जो को ही मुजरा करने के लिए बुलाया जाता है. उस दिन एक ऐसा खुलासा होता है, जो पूरी महफिल को सन्न कर जाता है. रज्जो की कहानी इश्क से शुरू होकर उसी पर खत्म हो जाती है.

सीरीज के उस सीन में ऋचा चड्ढा ने कमाल कर दिया है, जिसमें उसका प्यार उसे पूरी महफिल में बेइज्जत करता है लेकिन मल्लिकाजान उसे मुजरा पूरा करने का हुक्म देती है. इस सीन में 'रज्जो' दिल टूटे हुए किसी बच्चे की तरह बिलख पड़ती लेकिन तवायफ के उसूल भी पूरे ग्रेस के साथ पूरे करती है.

एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा ने सीरीज में दो किरदार निभाए हैं. एक किरदार अपनी बहन पर जुल्म ढाने वाली विलेन का है और दूसरा बदले की भावना से भरी उस विलेन की बेटी फरीदन का. जो मल्लिकाजान को तबाह करने आई है. ये किरदार सीरीज में एक अलग ही एंगल लेकर आता है. सोनाक्षी हर सीन में इंप्रेस करती हैं.

सीरीज में शेखर सुमन जहां नवाब जुल्फिकार के रोल में दिखे हैं और उन्होंने हर सीन में कमाल कर दिया है. फरदीन खान ने अपने किदरा में काफी अच्छा काम किया है लेकिन उनके किरदार को ज्यादा एक्सप्लोर नहीं किया गया.

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कहां रह गई कमी?

सीरीज में तवायफों की दुनिया की भव्यता दिखाने में संजय लीला भंसाली इतने बिजी हो जाते हैं कि उनकी राइटिंग कमजोर पड़ जाती है. कई बड़े और भरी-भरकम इमोशनल सीन्स फीके रह जाते हैं. ऋचा चड्ढा के ट्रैजिक किरदार के कई सीन्स एक्सप्लोर नहीं किए गए. दिलचस्प नवाबों के किरदार जो उत्सुकता पैदा करते हैं, उन्हें ऊपर-ऊपर से दिखाकर छोड़ दिया गया.
मल्लिकाजान की बेटी आलमजेब का किरदार बार-बार ये हिंट देता है कि वो कुछ बहुत बड़ा ट्विस्ट लाएगी लेकिन वो ट्विस्ट इंप्रेस नहीं कर पाता. आलमजेब और नवाब ताजदार की लव स्टोरी इस सीरीज में कोई बड़ा कमाल नहीं दिखा पाती.

देखें या नहीं?

हीरामंडी में किरदारों को गढ़ा तो बहुत अच्छे से गया है लेकिन जहां कहानी आगे बढ़ती है, ये किरदार सुस्त पड़ते नजर आते हैं. कुल मिलाकर सीरीज में तवायफों की तमन्ना के बीच आजादी की लड़ाई का तड़का लगाया गया है लेकिन पकवान अधपका रह गया. इसे भंसाली के कहानी कहने के भव्य अंदाज के लिए एक बार जरूर देखा जा सकता है. भंसाली 'देवदास' और 'गंगूबाई कठियावाणी' जैसी फिल्मों के जरिए पहले भी तवायफों की कहानी कह चुके हैं और इन फिल्मों में कमी निकालना काफी मुश्किल रहा है. ऐसे में कह सकते हैं कि भंसाली का स्टाइल 3 घंटे की फिल्म पर ज्यादा सूट करता है.

वेब सीरीज- हीरामंडी: द डायमंड बाजार, डायरेक्टर- संजय लीला भंसाली, कास्ट- मनीषा कोइराला, अदिति राव हैदरी, सोनाक्षी सिन्हा, संजीदा शेख, शर्मिन सहगल, ऋचा चड्ढा, ताहा शाह, जैसन शाह, फरदीन खान , अध्ययन सुमन और शेखर सुमन, लेखक- मोइन बेग, संजय लीला भंसाली, विभु पुरी और दिव्य निधि, ओटीटी- नेटफ्लिक्स.

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