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Independence Day : नेगेटिव सोच, आलस और Attachment को करें Bye, तभी सही माइने में होगी 'आजादी'

Independence day पर अपने मन से आजाद हो जाएं, यही सही माइने में आजादी होगी. मन की आजादी, यानी नेगेटिव सोच, कुसंस्कार, आलस और लगाव से आजादी ही सही माइने की आजादी होगी

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Independence Day : नेगेटिव सोच, आलस और Attachment को करें Bye, तभी सही माइने में होगी 'आजादी'
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डीएनए हिंदी: 15 अगस्त को हम आजादी (Independence Day) के 75वें वर्ष में कदम रख रहे हैं. पूरा देश आजादी का जश्न मनाएगा. हर कहीं झंडा फहराया जाएगा और लोग आजादी के सफर को याद करेंगे. हमें अंग्रेजों से तो आजादी मिल गई है लेकिन आज भी कई ऐसी चीजें हैं जिनसे हम खुदको आजाद नहीं (Self Freedom) कर पाएं हैं. क्या सिर्फ देश को किसी विदेशी शासन से आजाद करना ही सही माइने में आजादी है (Real Freedom) नहीं. हम कई ऐसी चीजें, संस्कार और आदतों से घिरे हैं जो हमें आजाद होने नहीं देती है. सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि जब तक हम मन से आजाद नहीं हैं (Freedom From Mind) तब तक हम असलियत में आजाद नहीं हैं. चलिए आज उनसे ही रू-ब-रू करते हैं और हो सके तो उनसे आजादी पाने का एक प्रयास भी करते हैं 

अपनी नेगेटिव सोच से आजादी (Free from Negative Thought) 

इंसान अपनी ही नेगेटिव सोच में इतना घिरा हुआ रहता है कि उसे कोई कितना भी समझा ले, उसे जिंदगी निराशा भरी ही लगती है. कोविड के बाद से इस मामले में और बढ़ोतरी हुई है. लोग पहले नेगेटिव सोचते हैं बाद में पॉजिटिव. इसलिए उन्हें अपनी नेगेटिव विचार धारा से बाहर निकलकर कुछ सोचना चाहिए, यह होगी सही माइने में आजादी जब हम किसी भी प्रयास से पहले हार मानना छोड़ देंगे. 

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कुंठा और अंधविश्वास-कुसंस्कार (Freedom from Superstition and Rigidness) 

संस्कार और संस्कृति अच्छी होती है, यह हमें आगे लेकर जाती है लेकिन अगर किसी बात पर हम अंधविश्वास रखते हैं, जिद पर अड़ जाते हैं या फिर कुसंस्कार है तो फिर यह कुंठा है. किसी बात पर हम आगे बढ़ना ही नहीं चाहते, समय के साथ चलना ही नहीं चाहते. यह एक तरह की कुंठा है जो उन्हें बांधे रखती है. 

Negative Thought
 

भावनात्मक निर्भरता (Emotional Dependency)

आज भी लोग इमोशनली दूसरों पर निर्भर करते हैं, वे अपनी पसंद, ना पसंद खुशी और गम, सारी इच्छाएं और एहसास के लिए लोगों पर निर्भर हैं. अगर किसी ने दुख दिया तो वे दुखी हो जाते हैं, खुशी देते हैं या सम्मान तो अच्छा लगता है, अपमान करते हैं तो बुरा लगता है, इसका मतलब यही है कि आज भी कुछ लोग भावनात्मक रूप से आजाद नहीं हो पाए हैं. उनकी भावनाएं लोगों की मर्जी पर निर्भर करती है. 

Emotional dependency

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आलस (Laziness)

लोग आज भी आलस्य के दायरे में हैं. वे रोजाना सुबह सोचते हैं कि आज कुछ बेहतरीन काम करेंगे लेकिन फिर उनका आलस उन्हें मात दे देता है, आलस उनपर हावी हो जाता है, आलस उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया है. यह एक ऐसा विकार है जो उन्हें आजाद नहीं होने दे रहा है. 

Freedom from Laziness

लगाव (Attachment) 

रिश्तों से लगाव, पैसों के पीछे भागना और चीजों से लगाव ये सब भी एक तरह का बंधन है. जो हमें आजाद नहीं होने देता है, इसलिए जब तक हम डिटैच होकर ये चीजें नहीं करेंगे तब तक सही माइने में आजादी नहीं होगी. मन की आजादी ही सही माइने आजादी है.

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