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Delhi Air Pollution Reason: दिल्ली में ही क्यों होता है इतना प्रदूषण? पराली नहीं ये चीजें हैं अहम वजह

Delhi Air Pollution Reason: दिल्ली में हवा के प्रदूषण ने इस साल सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और लोग लगातार इन समस्याओं से जूझ रहे हैं.

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Delhi Air Pollution Reason

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डीएनए हिंदी: दिल्ली और इसके आसपास के कई शहरों की हवा जहरीली हो गई है. बीते चार-पांच दिनों से एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बेहद खतरनाक स्तर पर है. इस बार हैरानी की बात यह है कि सख्त प्रतिबंध लागू हैं, पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं और अभी दिवाली की आतिशबाजी भी नहीं हुई है. इसके बावजूद प्रदूषण का इतना खतरनाक हाल देखकर सब चिंतित हैं. बीते कुछ सालों से लगातार खराब होती जा रही इस हवा के चलते एनसीआर के लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है. आंखों में जलन और धुंध के चलते कम विजिबिलिटी से हर कोई परेशान है.

सरकार की ओर से इस बार भी सख्त प्रतिबंध लागू किए गए हैं. डीजल गाड़ियों की एंट्री पर बैन लगाया गया है, निर्माण कार्य रोक दिया गया है और GRAP 2 के तहत लगातार चालान काटे जा रहे हैं. पराली जलाने की घटनाएं कम हो रहे हैं, टैंकरों से पानी का छिड़काव किया जा रहा है इसके बावजूद प्रदूषण का स्तर कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि, पूरे देश में ऐसे हाल नहीं हैं. दिल्ली-एनसीआर में हालात गंभीर हैं क्योंकि यहां की परिस्थितियां कुछ अलग हैं. आइए इनके बारे में विस्तार से समझते हैं...

क्या है हवा के प्रदूषण की वजह?
प्रदूषण की अहम वजहों में गाड़ियों का अत्यधिक इस्तेमाल, फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं, पराली का जलाना, आतिशबाजी और कंस्ट्रक्शन साइटों पर उड़ने वाला धुआ हैं. इन कारणों से हवा में धूल के कण काफी ज्यादा हो जाते हैं. दिल्ली-एनसीआर की भौगोलिक स्थिति के चलते हवा का बहाव धीमा होते ही ये धूल के कण लंबे समय तक हवा में रुके रहते हैं जिसके चलते ये सांस के जरिए लोगों के शरीर में जाते हैं और हवा में धूल होने से लोगों को देखने में भी दिक्कत होने लगती है.

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मॉनसून के लौटते समय हवा पश्चिम से पूरब की ओर बहने लगती है. इसी के साथ पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में जलाई जाने वाली पराली, फैक्ट्रियों का धुआं और बाकी प्रदूषण भी दिल्ली की ओर आता है. सर्दियों में हवा ठंडी हो जाती है और हवा में मौजूद धूल के कण बह नहीं पाते हैं. पूरे गंगा के मैदान के ऊपर धूल की ये परत हवा में जमने लगती है. दिल्ली-एनसीआर चारों तरफ से ऊंची संरचनाओं से घिरा हुआ इसलिए यह प्रदूषित हवा इसी में रुक जाती है.

दिल्ली के एक तरफ हिमालय, एक तरफ अरावली और एक तरफ दक्कन का पठार है. ऐसे में तापमान कम होने, बारिश न होने और लगातार प्रदूषित हवा आने की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ता जाता है. इसमें पराली जलाने की घटनाएं और आमतौर पर प्रदूषण पैदा करने वाली चीजें आग में घी का काम करती हैं और लगातार हवा खतरनाक होती जाती है.

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कम बारिश ने खराब कर दिए हालात
हवा में मौजूद धूल के कण तेज हवा से बह सकते हैं या बारिश से धुल सकते हैं. अब इस मौसम में बारिश न के बराबर है. आंकड़ों को देखें तो अक्टूबर महीने में साल 2021 और 2022 में 120 मिमी से ज्यादा बारिश हुई. इस साल अक्टूबर महीने में दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ एक दिन मामूली बारिश हुई है. यानी महीने भर में कुल 5.4 मिमी बारिश हुई. इसका नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे हवा में धूल के कण बढ़ते गए और प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंचा दिया.

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