Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

क्या है राजद्रोह का कानून जिस पर हो रहा है विवाद? समझिए पूरा मामला

Sedition Law Case: राजद्रोह के कानून पर पिछले एक साल से रोक लगी है. अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर एक बार फिर से सुनवाई होने जा रही है.

article-main

Sedition Law

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: राजद्रोह के कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, इस कानून के इस्तेमाल पर रोक लगी है. यानी इस कानून के तहत किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता. केंद्र सरकार के अनुरोध पर उसे अतिरिक्त समय दिया गया है, ताकि वह इस कानून की जरूरत की समीक्षा कर सके. इस कानून पर रोक लगाए हुए लगभग एक साल होने वाले हैं लेकिन केंद्र सरकार अभी तक इसकी समीक्षा नहीं कर पाई है.

अभिव्यक्ति और स्वतंत्रता के दमन के आरोपों के तहत इस कानून को चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई की थी और पिछले साल 11 मई को इस कानून पर रोक लगाते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वह इसकी समीक्षा करे. 31 अक्टूबर 2022 को केंद्र सरकार ने अपील की थी कि समयसीमा को और बढ़ाया जाए ताकि वह इस पर विचार कर सके.

यह भी पढ़ें- द केरल स्टोरी: आखिर इस फिल्म को बैन क्यों करवाना चाहती है कांग्रेस?

राजद्रोह का कानून क्या है?
भारतीय दंड संहिता यानी IPC की धारा 124ए में राजद्रोह को परिभाषित किया गया है. कानून के तहत अगर कोई शख्स सरकार विरोधी बातें लिखता या बोलता है या ऐसी बातों का समर्थन करता है, राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान करता है या संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए में राजद्रोह का मामला दर्ज किया जा सकता है. इसके अलावा अगर किसी शख्स का संबंध देश विरोधी संगठन से होता है तो उसके खिलाफ भी राजद्रोह का केस दर्ज हो सकता है.  

इस कानून को अंग्रेजों के शासनकाल 1870 में लागू किया गया था. उस समय इसे ब्रिटिश सरकार का विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता था. सरकार के विद्रोही स्वरूप अपनाने वालों के खिलाफ इसी कानून के तहत मुकदमा चलता था. बता दें कि अगर किसी व्यक्ति पर राजद्रोह का केस दर्ज होता है तो वह सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता है. राजद्रोह एक गैर जमानती अपराध है. अपराध की प्रवृत्ति के हिसाब से इसमें तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.

यह भी पढ़ें- कौन हैं छत्तीसगढ़ के बहादुर DRG जवान, जिन्हें नक्सलियों के खिलाफ गोरिल्ला युद्ध में हासिल है महारत 

5 साल में देशद्रोह के 356 केस, सिर्फ 12 लोगों को सजा
साल 2015 से 2020 के बीच राजद्रोह की धाराओं में 356 केस दर्ज किए गए थे. 548 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जबकि सिर्फ 12 लोग ऐसे थे जिन्हें दोषी साबित किया जा सका. इसी के खिलाफ सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वह इस कानून की समीक्षा करे और ऐसा होने तक राजद्रोह की धाराओं के तहत कोई भी केस दर्ज न करे.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement
Advertisement