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'एक झटके में मिटा दूंगा हिन्दुस्तान की गरीबी' Rahul Gandhi ने किया बड़ा दावा, जानिए मोदी सरकार में घटी या बढ़ी गरीबी

Rahul Gandhi Poverty Claim: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वादा किया है कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर वे देश से गरीबी हटा देंगे. करीब 51 साल पहले 1973 में पहली बार उनकी दादी इंदिरा गांधी ने ही 'गरीबी हटाओ' का नारा दिया था.

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Rahul Gandhi Poverty Claim: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने गुरुवार को राजस्तान में रैली के दौरान कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र के वादों की याद जनता को दिलाई. उन्होंने जनता से वादा किया कि सरकार बनने पर उनकी पार्टी एक झटके में देश से गरीबी हटा देगी. इसके लिए हर गरीब परिवार की महिला के खाते में 1 लाख रुपये ट्रांसफर किए जाएंगे, जिससे उसे हर महीने 8,500 रुपये मिलेंगे. बता दें कि देश में पहली बार 'गरीबी हटाओ' का नारा राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने ही साल 1973 में प्रधानमंत्री रहते समय दिया था. उस समय देश में हर 100 में से 54.9 आदमी गरीबी रेखा के नीचे थे. अब करीब 51 साल बाद राहुल गांधी भी वही नारा लगा रहे हैं, जिससे गरीबी के आंकड़ों पर फिर से चर्चा शुरू हो गई है. कांग्रेस लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की BJP सरकार को गरीबी के मुद्दे पर भी घेर रही है. एकतरफ पीएम मोदी ने अपने 10 साल के दो कार्यकाल में देश में 25 करोड़ लोगों के गरीबी की रेखा से ऊपर उठने का दावा किया है, वहीं कांग्रेस का कहना है कि मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) के कार्यकाल के मुकाबले मोदी सरकार में गरीबी बढ़ी है. आइए देखते हैं कि किसका दावा सच है.


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पहले जान लीजिए राहुल ने क्या-क्या कहा है

राहुल गांधी ने बीकानेर में रैली के दौरान कहा, कांग्रेस सरकार गरीब परिवार की एक महिला के खाते में हर साल 1 लाख रुपये ट्रांसफर किया करेगी. यदि आप गरीबी की रेखा से नीचे हैं तो हर साल 1 लाख रुपये खटाखट खटाखट आता रहेगा और एक झटके से हम हिन्दुस्तान से गरीबी को मिटा देंगे. राहुल ने कहा, देश के 70 करोड़ लोगों से ज्यादा अमीर 22 आदमी हैं. किसान फसलों पर MSP मांग रहे हैं. युवाओं को रोजगार चाहिए और महिलाएं महंगाई से राहत चाहती हैं. पीएम मोदी ने किसानों को आतंकी कहकर MSP की मांग सीधा ठुकरा दी है. भारत के इतिहास में पहली बार किसान (इनकम) टैक्स दे रहे हैं. यह पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों और जनरल कैटेगरी के गरीब लोगों का चुनाव है.

अब भाजपा, पहले कांग्रेस की रही है 10 साल सरकार

देश में यदि पिछले 20 साल की बात की जाए तो भाजपा और कांग्रेस, दोनों को 10-10 साल केंद्र में सरकार चलाने का मौका मिला है. कांग्रेस ने 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में UPA सरकार चलाई, जबकि भाजपा ने 2014 से 2024 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में NDA सरकार चलाई है. ऐसे में इन 20 सालों के दौरान देश में गरीबी के आंकड़ों की तुलना करने पर ही आसानी से दोनों पार्टियों के दावे की सच्चाई पता लग जाती है.


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पहले गरीबी पर जानिए ये स्वतंत्र रिपोर्ट्स

सरकारी आंकड़ों की बजाय स्वतंत्र यानी सरकार से बाहर की किसी एजेंसी की रिपोर्ट सही बात बताती है. ऐसी ही तीन रिपोर्ट के आंकड़े हम आपके साथ साझा कर रहे हैं.

  1. साल 2021 में संयुक्त राष्ट्र ने ग्लोबल मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (MPI) के आधार पर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें दावा किया गया था कि भारत में गरीबी घटी है. इस रिपोर्ट में साल 2005-06 (मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल का दूसरा साल) से 2019-21 के बीच भारत में करीब 41.5 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से ऊपर उठे हैं. यह इंडेक्स यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) ने संयुक्त रिसर्च से जारी किया था. 
  2. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के दावों को सही माना जाए तो प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के लिहाज से कांग्रेस का कार्यकाल भाजपा के मुकाबले ज्यादा अच्छा था. साल 2004 से 2014 के बीच प्रति व्यक्ति आय 145 फीसदी बढ़ी थी, जबकि 2014 से 2023 के बीच भारत में यही बढ़ोतरी 67 फीसदी पर अटकी रही. हालांकि इसका एक बड़ा कारण कोरोना महामारी का दौर भी माना जा सकता है, जब करीब 2 साल तक कारोबारी पहिया लगभग थम गया था. 
  3. वर्ल्ड पॉवर्टी क्लॉक की इसी साल आई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इस समय भयंकर गरीबी में जी रहे लोगों की संख्या 3% से भी कम है. साल 2022 में देश की कुल 140.85 करोड़ आबादी का 3.3% हिस्सा यानी 4.69 करोड़ लोग भयंकर गरीबी में थे, जबकि साल 2024 में 144.48 करोड़ आबादी में 3.44 करोड़ लोग यानी 2.4% हिस्सा ही भयंकर गरीब है.

सरकारी आंकड़े क्या कहते हैं

पिछले दिनों मोदी सरकार के नीति आयोग ने साल 2014 से 2023 यानी 9 साल का एक आंकड़ा जारी किया था, Multidimensional Poverty in India since the year 2005-06 नाम से जारी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि देश में 2013-14 में 29.17% लोग गरीब थे, जो 2022-23 में तेजी से घटकर 11.28% ही रह गए हैं यानी 17.89% लोग अब गरीब नहीं रहे हैं. इस दौरान करीब 24.82 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से बाहर आ गए हैं. सबसे ज्यादा 5.94 करोड़ लोग उत्तर प्रदेश में गरीबी की रेखा से बाहर निकले हैं. 

एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2005-06 में भयंकर गरीबी में जीवन बिताने वाले लोगों की संख्या करीब 6.45 करोड़ थी, जो 2015-16 में घटकर 3.70 करोड़ और 2019-21 के बीच 2.30 करोड़ ही रह गई. इस रिपोर्ट में भारत के गरीब राज्यों व समूहों की तरक्की में तेजी आने का दावा किया गया है.

कैसे तय होता है गरीबी में सुधार का आंकड़ा

गरीबी के स्तर में सुधार का आंकड़ा कई मानदंडों पर तय किया जाता है. इनमें बेहतर और सस्ती शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवनशैली आदि शामिल हैं. इसे तय करने में बाल पोषण, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा, मृत्यु दर, पीने का पानी, बिजली, घर, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, संपत्ति और बैंक अकाउंट जैसे फैक्टर शामिल होते हैं. 

51 साल में कितनी घटी है गरीबी

यदि इंदिरा गांधी के गरीबी हटाओ के नारे यानी साल 1973 से बात की जाए तो अब तक 51 साल इसे सच बनाने में बीत चुके हैं. इस दौरान साल 1993 में 36% गरीबी साल 2004 में घटकर 27.5% रह गई थी, लेकिन साल 2004 से 2009 के बीच यह फिर से बढ़कर 37.2% हो गई थी. साल 2011 में 21.9% और साल 2019 में देश में 20.8% गरीब होने का आंकलन किया गया था. देश में साल 2004 के 301.7 मिलियन गरीब लोगों की संख्या के मुकाबले साल 2019 में 346.3 मिलियन लोग गरीब होने का आंकलन किया गया, लेकिन यदि देश की साल 2004 और 2019 की अर्थव्यवस्था का अंतर देखों तो भले ही गरीबी रेखा में रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ी, लेकिन कुल जनसंख्या में बढ़ोतरी के मुकाबले यह आंकड़ा बेहद कम है.

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