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DNA TV Show: चुनौती बनता जा रहा है E-Waste, जिसके सामने हारने लगी है दुनिया

DNA TV Show: क्या आपने कभी ये सोचा है कि नया फोन खरीदने के बाद पुराने फोन का क्या हुआ? आइए E-Waste जुड़े विषय के बारे में जानते हैं.

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DNA TV SHOW

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नया स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट जैसे न जाने जितने उपकरण लेने के बाद पुराना वाला कचरा बन जाता है. आज दुनियाभर में 16 अरब मोबाइल फोन चलन में हैं, जिसमें से 5.3 अरब इस साल के आखिर तक इस्तेमाल से बाहर हो जाएंगे. ऐसे में E-Waste दुनिया के सामने एक चुनौती बनता जा रहा है. जिसके सामने दुनिया हारने लगी है. आइए आज के डीएनए शो के जरिए जानते हैं कि E-Waste किस तरह से दुनिया के सामने एक परेशानी के रूप में सामने आ रहा है. 
 

हम सबके पास मोबाइल फोन है, घर में टीवी है, लैपटॉप है और भी ऐसे बहुत से electronic सामान है जो हर रोज इस्तेमाल होते है लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि नया smartphone खरीदने के बाद पुराने फोन का क्या हुआ? नया टीवी घर में आने के बाद पुराने टीवी का क्या हुआ ? उस laptop का क्या हुआ, जिसे खराब होने के बाद आपने फेंक दिया? शायद ही आपने इसके बारे में सोचा हो, आज जिस तरह से देश दुनिया में electronic सामान की चाहत बढ़ती जा रही है, वो Gadget जहर बनकर अब हमारे वातावरण का गला घोंट रहे हैं. E-Waste पर UN की The Global E-Waste Monitor 2024 रिपोर्ट जारी हुई है. जिसमें E-Waste वाली सुनामी का जिक्र है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर सालाना 6.2 करोड़ टन electronic कचरा पैदा हो रहा है. 2010 के बाद से देखें तो इस कचरे में 82 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट में कहा है कि E-Waste अगर ऐसे ही बढ़ता रहा तो वर्ष 2030 तक 32 फीसदी की वृद्धि के साथ बढ़कर 8.2 करोड़ टन पर पहुंच सकता है. E-Waste का वार्षिक उत्पादन 23 लाख टन प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है. जिन electronic सामानों ने हम सबकी जिंदगी को आसान बना दिया है, वही सामान अब जिन्दगी में ज़हर भी घोल रहे है. यूएन की E-Waste पर आई नई रिपोर्ट के सिर्फ कुछ आंकड़ों के बारे में बताया है.

क्या है E-Waste?

आमतौर पर हम अपने घरों और दफ्तरों में जिन Mobile, Laptop, TV, Tablet, Solar Panels समेत दूसरे electronic gadget और दूसरे अन्य उत्पादों को इस्तेमाल के बाद फेंक देते है, वहीं बेकार फेंका हुआ कचरा, electronic waste यानि E-Waste कहलाता है. आप भी अपने पुराने टीवी, टेबलेट, समेत इलेक्ट्रोनिक सामान को या तो कबाड़ी की दुकान पर बेच देते होंगे या फिर फेंक देते होंगे लेकिन E-Waste की असली समस्या तब शुरू होती है. जब इस कचरे का सही तरीके से collection और recycling नहीं होती. जिससे मिट्टी, पानी और हवा जहरीली हो रही है. UN की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2022 में यूरोप, ओशिनिया कंट्रीज़ और अमेरिका ने प्रति व्यक्ति सबसे ज्यादा electronic कचरा पैदा किया. इस कचरे में यूरोप प्रति व्यक्ति 17.6 किलोग्राम के हिसाब से सबसे आगे है. इसके बाद ओशिनिया ने प्रति व्यक्ति 16.1 किलोग्राम E-Waste पैदा किया...ओशिनिया ऐसे द्वीपों के समुह को कहा जाता है जो प्रशांत महासागर में फैले हुए है. जबकि अमेरिका ने 14.1 किलोग्राम कचरा पैदा किया था. इन देशों में E-Waste को इकट्ठा करने और recycling के साधन मौजूद हैं इसलिए इन देशों में E-Waste की recycling दर भी ऊंची है लेकिन बहुत से ऐसे देश हैं, जहां E-Waste बड़ी मात्रा में निकला लेकिन ना यहां ऐसे कचरे को इकट्ठा करने के पर्याप्त संसाधन है और ना recycling के साधन हैं.  रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में पैदा हुए, E-Waste का सिर्फ 22.3 प्रतिशत हिस्सा ही इकट्ठा और Recycle हो पाया था. वर्ष 2030 तक electronic कचरे को इकट्ठा करने और recycling की दर घटकर सिर्फ 20 फीसदी रह जाएगी. 

खिलौने से हो रहा है इतना कचरा 

आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि दुनिया का करीब एक तिहाई यानी 2,000 करोड़ किलोग्राम इलेक्ट्रॉनिक कचरा खिलौने, microwave oven, vacuum cleaner और  e-cigarette जैसे छोटे उपकरणों के रूप में पैदा हो रहा है. ये वो समस्या है जिसका अभी हमें बहुत ज्यादा पता नहीं चल रहा है, लेकिन धीरे धीरे ये समस्या बढ़ रही है. जिसका पर्यावरण के साथ साथ हमसब पर भी बहुत बुरा असर पड़ रहा है. जिस तरह से जलवायु परिवर्तन किसी एक देश की नहीं बल्कि पुरी दुनिया की समस्या है, ठीक उसी तरह से E-Waste भी किसी एक देश की नहीं बल्कि पुरी दुनिया की समस्या है. पूरी दुनिया में E-Waste की मात्रा कितनी ज्यादा है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अगर इस electronic waste को 40 metric ton क्षमता के ट्रकों में भरा जाए तो इसके लिए करीब 15.5 लाख से ज्यादा ट्रकों की जरूरत पड़ेगी. इन ट्रकों को एक के पीछे एक लगाया जाए तो ये भूमध्य रेखा के चारों और एक लाइन बना सकते हैं. E-Waste रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रहा है जबकि recycling की दर अब भी बहुत कम है. ऐसे में बहुत बड़ी मात्रा में E-Waste नदियों में बहा दिया जाता है, बड़े-बड़े गोदामों में ई कचरा पड़ा रहता है. समंदर में फेंक दिया जाता है. जिससे पर्यावरण के साथ साथ जीव जन्तुओं को भी नुकसान हो रहा है. 


कितनी है recycling की दर

वैश्विक स्तर पर recycling की दर सिर्फ 12 फीसदी दर्ज की गई है. 500 करोड़ किलोग्राम E-Waste में छोटे IT और दूरसंचार उपकरण शामिल हैं, जिनमें Laptop, Mobile Phone, GPS Device और router शामिल है. इस कचरे का भी केवल 22 फीसदी हिस्सा ही इकट्ठा और Recycle किया जा रहा है. solar panel भी E-Waste का कारण बन रहा है. वर्ष 2022 में करीब 60 करोड़ टन फोटोवोल्टिक पैनल से ई-कचरा निकला है. दुनियाभर में electronic waste के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह electronic सामान की तेजी से बढ़ती खपत है. आज के समय में बाजार में उपलब्ध electronic सामान की उम्र कम होती है. खराब होते ही इन्हें फेंक दिया जाता है. जैसे ही नई technology आती है, पुराने को dump कर दिया जाता है.

सबसे कम इस देश निकल रहा है  E-Waste

अफ्रीका सबसे कम E-Waste पैदा कर रहा है लेकिन साथ ही वो इसे Recycle करने के लिए भी संघर्ष कर रहा है, जहां इस कचरे के recycling की दर एक फीसदी से भी कम है.  ये आंकड़े कितने डराने वाले हैं.  वर्ष 2022 में Small e waste यानी फोन, या earplug जैसे छोटे electric products से ही करीब 2 करोड़ 45 लाख metric ton e waste पैदा हुआ था और इस कचरे का कुल वजन इतना ज्यादा है, कि इसके सामने गीज़ा जैसे एक दो नहीं, चार pyramid भी मिला दें तो भी कचरे का वजन ज्यादा ही रहेगा. चिंता की बात ये है कि इसका बहुत छोटा सा हिस्सा ही recycle हो पाया जबकि बाक़ी का खुली ज़मीन पर रह गया या फिर नदियों और समंदर में पहुंच गया. 

जानिए E-Waste का खतरा 

E-Waste के चलते लाखों महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट ‘Children and Digitally Connected Site’ की रिपोर्ट के मुताबिक,  1.29 करोड़ महिलाएं E-Waste से जुड़े क्षेत्र में काम करती हैं, ये महिलाएं या तो E-Waste को इकट्ठा करती है या फिर recycle के काम में लगी हैं. ये महिलाएं E-Waste के संपर्क में आती है इससे न केवल इन महिलाओं के स्वास्थ्य पर बल्कि उनके अजन्में बच्चों को भी खतरा होता है.  इसी तरह करीब 1.8 करोड़ बच्चे और किशोर, जिनमें से कुछ की उम्र तो पांच वर्ष से भी कम है वो इस काम में जुटे है.  E-Waste में मौजूद सीसा और पारा इन बच्चों की दिमागी क्षमता को नुकसान पहुंचा सकता है. आज का समय electric car का समय है...e bike का समय है. आज बड़े पैमाने पर solar panel का इस्तेमाल हो रहा है. कुल मिलाकर हम सब डिजिटल युग में है लेकिन इन सुख सुविधाओं के साथ हमें E-Waste के रूप में नई मुसीबत भी मिल रही है. जो पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है. 

 E Waste को वैज्ञानिक तरीकों से Recycle करने पर होगा फायदा 

E Waste को वैज्ञानिक तरीकों से Recycle किया जाए तो इससे दुनिया को फायदा भी हो सकता है. recycle से सिर्फ पर्यावरण ही नहीं बचेगा बल्कि इससे कीमती धातुओं को भी बचाया जा सकता है. वर्ष 2022 में जो E-Waste पैदा हुआ उसमें साढ़े सात लाख करोड़ रूपये की बहुमुल्य धातुएं थी.  इसमें डेढ़ लाख करोड़ रूपये का तांबा मौजूद था. इसी तरह 1 लाख 24 हजार 500 करोड़ का सोना भी मौजूद था. यानि अगर हम E-Waste को Recycle करें तो ना सिर्फ पर्यावरण को बचा पाएंगे बल्कि लाखों करोड़ रूपये की धातुओं को भी बचाया जा सकता है. भारत पूरी दुनिया में E-Waste पैदा करने की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है. वर्ष 2021-22 में 1.6 मिलियन टन E-Waste भारत में हुआ था. वर्ष 2030 तक भारत में 14 मिलियन टन E-Waste होने का अनुमान है. हालाकि भारत ने इस समस्या से निपटने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. जैसे भारत में नई Scrap Policy के तहत सरकार ने वर्ष 2022 में Mobile Phones, Laptop, Fridge, TV, AC समेत 134 Electronic Items की Expiry Date तय कर दी थी यानी एक निश्चित वक्त के बाद आपके घर में मौजूद Electronic Items कबाड़ हो जाएंगे और आपको उन्हें Scrap करवाना पड़ेगा. ये बिलकुल वैसे ही है जैसे भारत में वाहनों की Expiry Date 15 साल होती है. जिसके बाद वाहनों को सड़कों पर चलाने की अनुमति नहीं मिलती और उन्हें Scrap करवाना होता है. उसी तरह अब Electronic सामान को भी एक निश्चित समय के बाद Scrap करवाना होगा. जिस तरह से गाड़ियों की Scrapping को बढ़ावा देने के लिए लोगों को एक Discount Certificate दिया जाता है, जिसका इस्तेमाल वो नई गाड़ी खरीदने में कर सकते हैं, वैसी ही Policy अब Electronic सामान के लिए भी तैयार की गई है. जिस तरह गाड़ियों की Scrapping का काम Recycling Agencies करती हैं, उसी तरह Electronic सामान के Collection और Scrapping का काम भी Private Agencies कर रही हैं. 
 

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