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कौन हैं K Padmarajan, मामूली टायर मैकेनिक की Lok Sabha Elections 2024 के बीच क्यों हो रही चर्चा?

Who is K Padmarajan: तमिलनाडु के मैट्टूर में टायर रिपेयर शॉप चलाने वाले के. पदमाराजन चुनाव हारने का नया रिकॉर्ड बना चुके हैं. उनकी कहानी बेहद रोचक है.

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Who is K Padmarajan: हार किसी को भी अच्छी नहीं लगती है. लेकिन एक शख्स ऐसा भी है, जो चुनावों में हारने का नया रिकॉर्ड बनाने के बावजूद फिर से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहा है. ये शख्स हैं के. पद्मराजन, जो तमिलनाडु के मैट्टूर में मामूली सी टायर रिपेयरिंग शॉप चलाते हैं. 65 साल के पद्मराजन इतनी बार चुनाव हार चुके हैं कि इसे नया वर्ल्ड रिकॉर्ड माना जा रहा है. इसके बावजूद वे हिम्मत नहीं हारे हैं और एक बार फिर लोकसभा चुनाव (Lok Sabha ELections 2024) के लिए मैदान में मौजूद हैं. यही कारण है कि पूरे देश में अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवारों की घोषणा के बीच उनकी जमकर चर्चा हो रही है.

238 बार चुनाव हार चुके हैं अब तक

एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, पद्मराजन ने पहली बार साल 1988 में मैट्टूर से चुनाव लड़ा था. इसके बाद से वे अब तक 238 बार अलग-अलग तरह के चुनावों में हिस्सा ले चुके हैं और हार का सामना कर चुके हैं. फिर भी वे हिम्मत हारने को तैयार नहीं हैं. लोग उनके उम्मीदवारी के लिए नामांकन करने पर हंसते हैं, लेकिन उनका कहना है कि वे बस यह साबित करना चाहते हैं कि एक आम आदमी भी चुनाव का हिस्सा बन सकता है. मशहूर चंदन तस्कर वीरप्पन जैसी लंबी-लंबी मूंछे रखने वाले पद्मराजन के मुताबिक, सभी उम्मीदवार चुनाव में जीत चाहते हैं, लेकिन मैं उनमें नहीं हूं. मेरे लिए चुनाव में हिस्सेदारी करना ही जीत के बराबर है और जब हारना तय हो तो मैं खुशी-खुशी हारने को तैयार हूं.


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'इलेक्शन किंग' के नाम से पुकारते हैं लोग

पद्मराजन को उनके शहर के लोग 'इलेक्शन किंग' कहकर बुलाते हैं. वे पूरे देश में स्थानीय निकाय से लेकर राष्ट्रपति पद तक के चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन भर चुके हैं. आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Polls 2024) में भी उन्होंने तमिलनाडु की धर्मपुरी सीट से पर्चा भरा है.

वाजपेयी से मोदी तक, सबसे हारे हैं चुनाव

पद्मराजन महज सबसे ज्यादा बार हारने वाले उम्मीदवार के तौर पर ही खास नहीं है, बल्कि आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि वे किन-किन लोगों से चुनाव हार चुके हैं. वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह तक के सामने चुनाव लड़कर हार चुके हैं. यहां तक कि पद्मराजन राहुल गांधी के सामने भी चुनाव लड़ चुके हैं. पद्मराजन के मुताबिक, जीत अलग बात है, लेकिन मैं इस बात की परवाह नहीं करता कि मेरे सामने कौन उम्मीदवार है?

चुनाव लड़ना हो रहा महंगा, इससे चिंतित हैं पद्मराजन

देश में चुनाव लड़ना लगातार महंगा होता जा रहा है. ऐसे में पद्मराजन के सामने चुनौती खड़ी हो गई है कि वे अपनी 'हार' का सिलसिला कैसे जारी रखेंगे? मौजूदा लोकसभा चुनाव के लिए ही उन्हें 25,000 रुपये की जमानत जमा करानी पड़ी है, जो 16% वोट हासिल नहीं करने पर जब्त हो जाएगी. 

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका है नाम

पद्मराजन का नाम भारत के सबसे असफल उम्मीदवार के तौर पर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (Limca Book of Records) में दर्ज हो चुका है और इसे ही उनकी इकलौती जीत माना जा सकता है. 1988 से चुनाव लड़ रहे पद्मराजन की बेस्ट परफॉर्मेंस 2011 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में रही थी, जब मैट्ट्र सीट से उन्होंने 6,273 वोट हासिल की थी, जबकि विजेता रहे उम्मीदवार को 75,000 से ज्यादा वोट मिली थी.

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