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Swami Swaroopanand Saraswati Died: राम मंदिर से लेकर RSS तक... शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के 10 विवाद!

Swami Swaroopanand Saraswati Died: द्वारकाशारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का 99 साल की उम्र में निधन हो गया. 

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डीएनए हिंदीः शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Swami Swaroopanand Saraswati) ने 99 साल की उम्र में रविवार को देह त्याग दी. उनका जन्म 2 सितंबर 1924 को मध्यप्रदेश के सिवनी के दिघोरी गांव में उनका जन्म हुआ था. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती में वैराग्य की भावना ऐसी कि महज 9 साल की उम्र में अपना घर त्याग दिया था. साधु जीवन के साथ-साथ एक स्वतंत्रता सेनानी भी रहे इसलिए उन्हें क्रांतिकारी साधु भी कहा जाता रहा. आजादी के बाद भी सियासत में उनकी कांग्रेसी नेताओं से नजदीकी बनी रही.  शंकराचार्य के जीवन में विवादों को कोई कमी नहीं रही. आइये जानते हैं उनसे जुड़े कुछ चर्चित विवाद. 

'शिरडी वाले सांईं अमंगलकारी'
स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती का मानना था कि सांई बाबा की पूजा करना गलत है. उन्होंने कहा था कि,"हिन्दू मंदिरों में सांई की प्रतिमा स्थापित करना देवी-देवताओं का अपमान करने के बराबर है. यदि सांई सचमुच चमत्कारिक हैं तो इस संकट का समाधान करें. उन्होंने कहा कि ‘सांई बाबा फकीर और अमंगलकारी थे. जब उनकी पूजा होती है तब आपदा आती है और वहां सूखा, बाढ़ और अकाल मृत्यु होती है. अब महाराष्ट्र में भी यही हो रहा है".

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'इस्कॉन करा रहा है धर्म परिवर्तन' 
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के मतानुसार, इस्कॉन भारत में आकर कृष्ण भक्ति की आड़ में धर्म परिवर्तन कर रहा है. उनका मानना था कि ये अंग्रेजों की कूटनीति है कि हिंदुओं का ज्ञान ले कर हिंदुओं को ही दीक्षा दे कर अपना शिष्य बना रहे हैं. 

'शनि पाप ग्रह, शनि पूजा से महिलाओं का हित नहीं'
कुछ साल पहले जब शनि शिगणापुर मंदिर में महिलाओं की प्रवेश के लिए आंदोलन चल रहा था. महिला समानता की बात हो रही थी, उस वक्त स्वामी स्वरुपानंद ने कहा था कि कि शनि एक पाप ग्रह हैं. उनकी शांति के लिए लोग प्रयास करते हैं. महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति मिलने पर इतराना नहीं चाहिए. शनि पूजा से महिलाओं का हित नहीं होगा. उनके प्रति अपराध और अत्याचार में बढ़ोतरी ही होगी".

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'श्रीश्री रविशंकर हिंदू संस्कृति के साथ कर रहे मजाक'
स्वामी स्वरुपानंद ने आर्ट ऑफ लिविंग (AOL) के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर को भी आड़े हाथों लिया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि, "श्रीश्री रविशंकर हिंदू संस्कृति के साथ मजाक कर रहे हैं. यमुना किनारे वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल में जुटे विदेशियों ने क्या गोमांस खाना छोड़ दिया है. धूम्रपान और नशा करना छोड़ दिया है. ये ब्रह्मचारी हो जाएंगे क्या. फिर बनावटी धर्म का प्रचार क्यों".

'RSS के स्वयंसेवक गोमांस खाते हैं'
RSS पर स्वामी स्वरुपानंद हमेशा हमलावर रहे. आरएसएस के लिए उन्होंने कहा कि,"आरएसएस अपनी शाखाओं में क्या बता रही है, जबकि उनके नेता खुद कहते हैं कि अरुणाचल प्रदेश में तीन हजार स्वयंसेवक गोमांस खाते हैं". इसके अलावा  उन्होंने ये भी कहा था कि," क्या आरएसएस को डॉ. हेडगेवार के द्वारा तय किए गए गणवेश को बदलने का अधिकार है". हालांकि इसके बाद आरएसएस के गणवेश में बदलाव भी देखने को मिला है. 

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'राम मंदिर का शिलान्यास मुहूर्त शुभ नहीं'
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती 5 अगस्त को राम मंदिर के भूमि पूजन को अशुभ बताया था. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अयोध्या में श्रीराम के मंदिर के शिलान्यास पर भी सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि,"भाद्रपद के महीने में किसी भी तरह का शुभ कार्य का शुभारंभ अच्छा नहीं माना जाता है. ऐसे में श्रीराम मंदिर निर्माण का शिलान्यास बेहद ही अशुभ मुहूर्त में किया गया है"

'वासुदेवानंद स्वामी को शंकराचार्य लिखने का अधिकार नहीं'
स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती और शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का विवाद कोर्ट तक पहुंच गया था. साल 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दोनों को शंकराचार्य मानने से इनकार कर दिया था. इसके बाद भी कुंभ और अर्धकुंभ के दौरान दोनों पक्ष एक दूसरे के खिलाफ बयान देते रहते थे. स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती दो पीठों (ज्योतिर्मठ और द्वारका पीठ) के शंकराचार्य थे. 

'राम मंदिर ट्रस्ट में भ्रष्टाचारी शामिल'
आरएसएस और भाजपा पर वो लगातार निशाना साधते रहे थे. श्रीराम मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने पर उन्होंने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि," सरकार की तरफ से बनाए गए ट्र्स्ट में भ्रष्टाचारियों को शामिल कर लिया गया है. चंपत राय कौन थे, यह पहले कोई नहीं जानता था, लेकिन,उन्हें राम मंदिर ट्रस्ट में सर्वेसर्वा बना दिया गया''

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गंगा की अविरलता के मुद्दे पर स्वामी सानंद ने शंकराचार्य को बताया था धोखेबाज 
गंगा की सहायक नदियों अलकनंदा और मंदाकिनी पर निर्माणाधीन और प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके स्वामी सानंद (प्रो.जीडी अग्रवाल) ने  अपना अनशन तोड़ने के बाद स्वरुपानंद सरस्वती पर धोखेबाज कहा था. स्वामी सानंद ने कहा था कि,"मैं सिस्टम से हार गया. मैं अकेले व्यवस्था नहीं बदल सकता. अनशन का मेरा फैसला गलत था. अब मुझमें इतनी शक्ति नहीं रही. स्वरूपानंद सरस्वती ने मुझे धोखा दिया"

मोदी बनाम केजरीवाल के सवाल पर पत्रकार को जड़ा थप्पड़ 
जनवरी, 2014 में जबलपुर में एक पत्रकार ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से महज इतना पूछा था कि नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल में से आपको कौन बेहतर प्रधानमंत्री लगता है. इस पर बताया जाता है कि वो शंकराचार्य ने भड़कते हुए पत्रकार को थप्पड़ जड़ दिया था. हालांकि कांग्रेस ने उनके व्यवहार का बचाव किया था. 

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