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Rules of Tulsi Puja: कार्तिक माह में भूलकर भी न करें तुलसी से जुड़ी ये भूल, घोर दरिद्रता के होंगे शिकार

कार्तिक माह में तुलसी से जुड़े कुछ नियमों का पालन जरूरी है अन्यथा घर में घोर दरिद्रता और दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है.

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तुलसी औषधीय पौधा है और आयुर्वेद में इसे प्रत्यक्ष देवी कहा गया है.

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डीएनए हिंदीः कार्तिक माह को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में कार्तिक माह भगवान विष्णु के सबसे प्रिय महीनों में से एक है. तुलसी के पेड़ में माता लक्ष्मी के अलावा भगवान विष्णु का वास होता है. कार्तिक माह के अंत में माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ हुआ था.

कार्तिक माह में तुलसी की पूजा करने से पूर्ण फल मिलता है. इसलिए इस समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. जैसे कार्तिक माह में इस समय भूलकर भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, नहीं तो घर में दरिद्रता आ सकती है. आइए विस्तार से जानते हैं कार्तिक माह में तुलसी के पत्ते तोड़ना से बचने के अलावा और किन चीजों से बचना जरूरी है.

श्रीहरि पूजा-

कार्तिक माह में श्रीहरि की पूजा करना शुभ माना जाता है. इनकी पूजा करने से अनेक लाभ मिलते हैं. कार्तिक माह में तुलसी मां की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.

कार्तिक मास में नदी में स्नान करना

कार्तिक माह में पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व है. इस दौरान स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. अगर किसी व्यक्ति को शुभ फल पाना है तो कार्तिक माह में तुलसी से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

बिना स्नान किए तुलसी को न छुएं

तुलसी के पेड़ में मां लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए कार्तिक माह में बिना स्नान किए भूलकर भी तुलसी के पेड़ को न छुएं और न ही उसकी पूजा करें.

शाम ढलने के बाद तुलसी के पत्ते न तोड़ें

शाम ढलने के बाद तुलसी तोड़ना अशुभ माना जाता है. इस पर मां लक्ष्मी नाराज हो गईं.

शाम को तुलसी क्यों नहीं उठाते?

शाम के बाद तुलसी को छूना भी वर्जित है. तुलसी को माता राधा का ही रूप माना जाता है. इसलिए शाम के समय वह भगवान कृष्ण के साथ रास रचाते हैं. इसलिए शाम के समय तुलसी के पत्तों को न तोड़े और न ही छुए.
 

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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