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Delhi Pollution: हर तरफ धुंध, हवा में जहर, घुटती सांसें, दिल्ली के वायु संकट का गुनहगार कौन?

Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण के लिए कई वजहें जिम्मेदार हैं, जिन्हें नियंत्रण में करने की कवायद तो की जाती है लेकिन नतीजा नहीं निकलता है. आइए जानते हैं दिल्ली की जहरीली हवा के गुनहगारों को.

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Delhi Pollution: हर तरफ धुंध, हवा में जहर, घुटती सांसें, दिल्ली के वायु संकट का गुनहगार कौन?

Delhi Air Pollution.

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डीएनए हिंदी: अक्टूबर से लेकर फरवरी तक, दिल्ली की सुबहें सामान्य नहीं होती हैं. न लोग खुली हवा में साफ सांस ले पाते हैं, न ही धुंध की परत छटती है. नवंबर में आते-आते स्थितियां भयावह स्तर पर पहुंच जाती हैं. एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) आंकड़े बीते कल का देखें या आने वाले कल का, उनमें सुधार नजर नहीं आता है. चिंताजनक से शुरुआत होती है, बेहद खतरनाक श्रेणी तक जाती है. 

दिल्ली में इन दिनों पहली बार AQI गिरकर 'सीवियर प्लस' कैटेगरी में आ गई है. यह बेहद खतरनाक स्थिति है. दिल्ली में जहरीली धुंध की परत छाई रहती है, कुछ नजर नहीं आता है. हालात ऐसे हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्कूल दो दिनों के लिए बंद कर दिए गए हैं. कॉमर्शियल वाहनों पर रोक है, कंस्ट्रक्शन गतिविधियां रोक दी गई हैं, दूसरे कई प्रतिबंध इमरजेंसी मोड में लगने वाले हैं.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक दिल्ली के आनंद विहार में AQI 448 है. यह खतरनाक स्तर है. बूढ़े, मरीज और बच्चों के लिए ऐसे हाल में सांस लेना मुहाल है. दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में CPCB ने रेड मार्क शो किया है. मतलब, स्थितियां गंभीर हैं. अलीपुर का AQI 360, अशोक नगर का 387, बुराड़ी का 408, इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का AQI 419 है. ITO दिल्ली का AQI 385 है. आंकड़े देखें तो आम आदमी को राहत की सांस कहीं नहीं मिलने वाली है.

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विजिलेंस IQAir ने चेताया है कि PM2.5 कणों का स्तर इतना छोटा है कि वे खून में दाखिल हो सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानक से 35 गुना अधिक था, दिल्ली के लोग हर दिन झेल रहे हैं. मास्क बिना दिल्ली की हवा में घूमने लायक नहीं है. अगर मास्क लगाने की आदत नहीं है तो यह अपने प्रति अपराध है.

दिल्ली की जहरीली हवा के गुनहगार हैं कौन?
दिल्ली के सर्दियां, गर्मी से कम खतरनाक नहीं होती हैं. दिल्ली की जहरीली हवा का गुनहगार, यहां का अंधाधुंध विकास है. पर्यावरण कार्यकर्ता शोभित द्विवेदी कहते हैं, 'दिल्ली की आबोहवा बेहद जहरीली है. बेढंगा विकास, गाड़ियों से निकलता धुआं, जलस्रोतों का प्रदूषण और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं दिल्ली को तबाह कर रहा है. लोगों को गर्मी से राहत चाहिए लेकिन हवा में क्लोरो-फ्लोरो कार्बन घोलकर. इंसान का कंफर्ट पर्यावरण के लिए घातक है. लोग पेड़ नहीं लगाएंगे लेकिन प्रदूषण के सारे कारकों से रिश्ता बनाकर चलेंगे.'

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दिल्ली में प्रदूषण के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं पर दिल्ली की हवा के असली गुनहगार, गाड़ियों से निकलने वाला प्रदूषक, पराली जलाने से निकलने वाला धुआं और हवा की न्यूतनतम गति है. दिल्ली में इतने अव्यवस्थित तरीके से घर बने हैं कि हवा प्रदूषकों को बहा ले जाने में सक्षम ही नहीं है. दिल्ली की हवा तभी शुद्ध होती है जब बारिश हो. बारिश से इतर दिल्ली में वायु प्रदूषण एक स्थाई समस्या है, जो बढ़ती ही जाती है, घटती नहीं है. 

कब चरम पर होता है प्रदूषण?
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के मुताबिक सर्दी आते ही दिल्ली की हवा दमघोंटू हो जाती है. 1 से लेकर 15 नवंबर तक प्रदूषण अपने चरम पर होता है. दीपावली के बाद हालात और बिगड़ जाते हैं. दुर्योग से हरियाणा और पंजाब में इन्हीं दिनों जमकर पराली जलाई जाती है. वहां का धुंध, दिल्ली में अपना असर दिखाता है. वहां खुले मैदान हैं लेकिन दिल्ली संकीर्ण और खचाखच बिल्डिंगों से भरी है. यहां हवा की तीव्रता मंद पड़ती है और असर आम जनता पर पड़ता है. 

पंजाब में अक्टूबर से ही पराली जलने की शुरुआत हो जाती है. रविवार को ही 1000 से ज्यादा खेतों में परालियां जलाई गईं. पंजाब का धुआं पंजाब में नहीं, दिल्ली में असर दिखाता है. मौसम विभाग (IMD) तक को कहना पड़ा है कि लोग खेतों में आग लगाएंगे ऐसे में दिल्ली की वायु गुणवत्ता आने वाले दिनों में सुधरेगी नही. 

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने साल 2022 में एक शोध किया था. शोध में यह बात सामने आई थी कि दिल्ली-एनसीआर में में पीएम 2.5 के स्तर में वाहनों लगभग 51 प्रतिशत तक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं. उद्योगों की वजह से 11 फीसदी और कंस्ट्रक्शन का 7 प्रतिशत तक प्रदूषण बढ़ता है. 

क्या कर रही है सरकार?
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बारिश कम होने की वजह से दिल्ली में 2020 के बाद से अक्टूबर 2023 में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई है. दिल्ली सरकार ने सर्दियों के मौसम के दौरान वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पिछले महीने एक वर्क प्लान बनाया था. सरकार ने धूल प्रदूषण, वाहन उत्सर्जन और खुले में कचरा जलाने पर रोक लगाने की कवायद की थी. ग्रैप-3 लागू होने की वजह से अब गाड़ियों और कंस्ट्रक्शन वर्क पर रोक है लेकिन दिल्ली की हवा को ठीक करने के लिए ये इंतजाम नाकाफी हैं.

'...तो थम सकता है प्रदूषण'
सिंगरौली फाइल्स के लेखक और पर्यावरण कार्यकर्ता अविनाश चंचल कहते हैं, 'वायु प्रदूषण की कोई राजनीतिक सीमा नहीं है. चाहे केंद्र सरकार हो या फिर दिल्ली और आसपास के राज्यों की सरकार, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में अब तक असफल रही है. दिल्ली के वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ज़रूरी है कि सारी एजेंसी मिलकर समन्वित तरीक़े से कार्योजना पर काम करे. वायु प्रदूषण के जो मूल कारण हैं जिसमें वाहनों का प्रदूषण, कंस्ट्रक्शन, वेस्ट, रोड डस्ट, इंडस्ट्रियल प्रदूषण शामिल हैं पर तय समयसीमा बनाकर काम करने की ज़रूरत है.'

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