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उद्धव से ज्यादा एकनाथ शिंदे की रैली में उमड़ी शिवसैनिकों की भीड़, क्या खत्म हो रहा है ठाकरे का वर्चस्व?

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के समर्थन में शिवसेना के पुराने नेता भी आ रहे हैं. उद्धव गुट राज्य में अलग-थलग पड़ता जा रहा है.

उद्धव से ज्यादा एकनाथ शिंदे की रैली में उमड़ी शिवसैनिकों की भीड़, क्या खत्म हो रहा है ठाकरे का वर्चस्व?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे. (फाइल फोटो)

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डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र (Maharashtra) की सियासत में सबसे मजबूत पार्टियों में शुमार शिवसेना (Shiv Sena) अपनी स्थापना के 56 साल बाद दो धड़ों में बंट गई है. एक गुट का नेतृत्व उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) कर रहे हैं, वहीं दूसरा सत्तारूढ़ गुट एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) का है. राज्य की राजनीति में जहां उद्धव ठाकरे हाशिए पर जाते नजर आ रहे हैं, वहीं एकनाथ शिंदे अपना दबदबा साबित कर रहे हैं.

शिवसेना के दोनों गुटों के लिए दशहरा रैली, अपना वर्चस्व साबित करने की रैली थी. एकनाथ शिंदे यह बाजी जीत गए. एकनाथ शिंदे गुट की रैली बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) ग्राउंड में हुई थी. वहां करीब 3 लाख शिवसैनिक और शिंदे समर्थक राज्यभर से आए थे.

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किसकी रैली में कितनी हुई भीड़?

खुद उद्धव ठाकरे के समर्थक मानते हैं कि उनकी रैली में 2.5 लाख लोग उमड़े थे, वहीं एकनाथ शिंदे की रैली में 3 लाख से ज्यादा लोग शामिल होने आए थे. बीते कई साल में दशहरा रैली में इतनी भीड़ कभी नहीं हुई थी. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की रैली शिवाजी पार्क में हुई थी, जिसे शिवसैनिक शिवतीर्थ बुलाते हैं.

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वहीं मुंबई पुलिस का दावा है कि एकनाथ शिंदे की रैली में करीब 2 लाख लोग शामिल होने आए थे, वहीं उद्धव ठाकरे के समर्थन में 1 लाख लोग आए थे. शिंदे गुट ने 3 लाख लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की थी. एकनाथ शिंदे के गुट में उद्धव ठाकरे के कुछ और वफादार नेता भी शामिल हो गए. 

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टूट रह है उद्धव ठाकरे का सियासी वर्चस्व

उद्धव ठाकरे को शिवसेना की बागडोर उनके पिता बाल ठाकरे ने सौंपी थी तो एकनाथ शिंदे ने इसे बगावत से जीत लिया. एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक, लगातार उद्धव समर्थकों को अपने खेमें में शामिल करा रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि ठाकरे परिवार का सियासी तिलिस्म टूट रहा है. उद्धव ठाकरे के अपने ही उनके वर्चस्व को खारिज कर रहे हैं.

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