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Justice UU Lalit: 74 दिन में सुप्रीम कोर्ट का कायाकल्प करेंगे जस्टिस यूयू ललित, जानिए चीफ जस्टिस बनने के बाद का प्लान

Who is Justice UU Lalit: जस्टिस यूयू ललित क्रिमिनल लॉ के स्पेशलिस्ट हैं. उन्होंने जून 1983 में वकालत की शुरुआत की थी. उन्हें साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया. वह 27 अगस्त को देश के 49वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लेंगे.

Justice UU Lalit: 74 दिन में सुप्री�म कोर्ट का कायाकल्प करेंगे जस्टिस यूयू ललित, जानिए चीफ जस्टिस बनने के बाद का प्लान

चीफ जस्टिस यूयू ललित

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डीएनए हिंदी: जस्टिस यूयू ललित (Justice UU Lalit) आगामी 27 अगस्त को देश के 49वें चीफ जस्टिस के तौर पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की सर्वोच्च कुर्सी संभालेंगे. वह मौजूदा चीफ जस्टिस एनवी रमना (Justice NV Ramana) की जगह लेंगे. हालांकि उनके चीफ जस्टिस बनने में अभी कुछ दिन शेष हैं, लेकिन वह पहले ही इशारा दे चुके हैं कि भारत के मुख्य न्यायधीश के तौर पर उनका कार्यकाल किस तरह का होने जा रहा है. सोमवार को एक बार फिर उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि चीफ जस्टिस के तौर पर अपने महज 74 दिन लंबे कार्यकाल को लेकर उनका क्या प्लान है, किस तरह वे सुप्रीम कोर्ट की कार्यशैली का कायाकल्प करना चाहते हैं.

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सीमित संसाधनों से अधिकतम आउटपुट देने का प्लान

जस्टिस उदय उमेश ललित ने NDTV से इंटरव्यू में बताया कि वे सुप्रीम कोर्ट के एडमिनिस्ट्रेटिव पहलू पर फोकस करना चाहते हैं. उनकी कोशिश 'सीमित संसाधनों से अधिकतम आउटपुट' देने की रहेगी. उन्होंने संकेत दिया कि इसके लिए ऐसे मामलों को आपस में जोड़कर एक साथ लिस्ट किया जाएगा, जो अन्य मामलों में मिसाल साबित हो सकते हैं. इससे निचली अदालतों में लंबित उनके ही जैसे मुकदमों का निस्तारण हो सकता है. 

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उन्होंने इसके लिए उदाहरण भी दिया. उन्होंने कहा, यदि इनकम टैक्स का कोई ऐसा मुद्दा है, जो बार-बार सामने आ रहा है. शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर विचार कर रही है तो जितनी जल्दी आप इस मुद्दे का निस्तारण करेंगे, उतना ही बढ़िया होगा, क्योंकि इससे हाईकोर्ट में लंबित उस मुद्दे से जुड़े मामले भी निस्तारित हो पाएंगे. 

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संविधान की व्याख्या के मामले जल्द से जल्द सुनेंगे

आगामी चीफ जस्टिस ने संकेत दिया कि संविधान की व्याख्या से जुड़े मामलों का जल्द निस्तारण उनकी प्राथमिकता में होगा. उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट के कामकाज का दूसरा हिस्सा कानूनों को खत्म करना, संविधान की व्याख्या करना है. उन्होंने कहा, जब भी ऐसा मौका आएगा, मामले को जल्द से जल्द उचित बेंच स्ट्रेंथ के सामने लिस्टिड किया जाएगा ताकि अधिकतम आउटपुट मिल सके. यह देखना किसी भी चीफ जस्टिस का अनिवार्य काम है.

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नहीं चाहते जजों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाई जाए

जजों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाए जाने की मांग वाली बहस इस समय कानूनी हलके में चल रही है, लेकिन आगामी चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस यूयू ललित इसके पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा, मैं जजों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाए जाने के पक्ष में नहीं हूं. काम का दबाव उनके (जजों के) स्वास्थ्य पर भारी पड़ता है. हालांकि खुद जस्टिस ललित का कार्यकाल भी मौजूदा रिटायरमेंट की उम्र के प्रतिबंध के कारण महज 74 दिन का ही होगा. उन्होंने संकेत दिया कि वे कोर्ट में हर किसी को विश्वास में रखकर हेल्दी प्रैक्टिस को बढ़ावा देने को प्राथमिकता देंगे.

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जज नहीं न्याय की आलोचना की जाए

मौजूदा समय में अदालतों में होने वाले निर्णयों के लिए जजों की आलोचना आम बात हो गई है, लेकिन जस्टिस ललित इसके पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा, जज की बजाय न्याय की आलोचना और समीक्षा होनी चाहिए.

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