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INDIA या भारत, क्या बदला जा सकता है नाम? 10 पॉइंट्स में समझें पूरा विवाद

India Vs Bharat Controversy: देश के नाम से INDIA शब्द को हटाया जा सकता है? आइये जानते हैं इसके विवाद की शुरुआत और देश का संविधान क्या कहता है.

INDIA या भारत, क्या बदला जा सकता है नाम? 10 पॉइंट्स में समझें पूरा विवाद

president draupadi murmu and pm modi

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डीएनए हिंदी: जी20 समिट के निमंत्रण पत्र में President Of India की जगह President Of Bharat लिखने के बाद विवाद शुरू हो गया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार संविधान को बदलना चाहती है. सरकार का यह कदम अंतरराष्ट्रीय मंच पर नामकरण में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक माना जा रहा है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि 18 से 22 सितंबर को होने वाले संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार देश के नाम से INDIA हटाने को लेकर विधेयक ला सकती है. लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई  देश के नाम से INDIA शब्द को हटाया जा सकता है? आइये जानते हैं इसके विवाद की शुरुआत और देश का संविधान क्या कहता है.

बेंगलुरु से शुरू हुआ था विवाद 
इंडिया शब्द पर विवाद की शुरुआत 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की मीटिंग से हुई थी. बीजेपी सरकार के खिलाफ एकजुट 26 विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन का नाम इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (INDIA) रखने का ऐलान किया था. इस घोषणा के बाद बीजेपी ने निशाना साधना शुरू कर दिया था कि इंडिया अंग्रेजों द्वारा दिया गया गुलामी का नाम है. इस नाम को आंतकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन, ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से भी जोड़े जाने लगा. बीजेपी के कुछ नेताओं ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से इंडिया शब्द को हटा दिया और इसे भारत से हटाने की मांग करने लगे. 

राष्ट्रपति मुर्मू के निमंत्रण में भारत लिखा
जी20 समिट में हिस्सा लेने आ रहे सभी देशों के प्रतिनिधियों को 9 सितंबर को रात्रिभोज के लिए न्योता दिया गया है. इस भोज के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी निमंत्रण भेजा गया है. जिसमें सामान्य 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की बजाय 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा है. इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए कहा कि बीजेपी  'राज्यों के संघ' पर भी हमला कर रही है.

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G20 बुकलेट में भारत
विदेशी प्रतिनिधियों के लिए बनाई गई G20 पुस्तिका में भी भारत शीर्षक रखा गया है, जो पहले इंडिया हुआ करता था. बुकलेट में लिखा 'भारत लोकतंत्र की जननी. भारत देश का आधिकारिक नाम है. पुस्तिका में कहा गया है कि संविधान में और 1946-48 की चर्चाओं में भी इसका उल्लेख है. यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर नामकरण में एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है, क्योंकि इस समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और दुनिया के कई दिग्गज नेता भारत आ रहे हैं.

क्या कहता है संविधान?
अगर भारत के संविधान की बात की जाए तो उसमें भारत और इंडिया दोनों ही नाम हैं. संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है कि 'इंडिया,जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा (India , that is Bharat, shall be an union of states). संविधान में यह स्पष्ट लिखा है कि देश को आधिकारिक तौर पर क्या बुलाया जाएगा. इसी के आधार पर हिंदी में देश को 'भारत गणराज्य' और अंग्रेजी में 'Republic of India' लिखा गया है.

इंडिया या भारत कौन सा सही शब्द
भारत के संविधान में India और भारत दोनों ही शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. इसलिए दोनों ही शब्द सही हैं. लेकिन संविधान में यह कहीं लिखा कि इंडिया अंग्रेजों के द्वारा रखा गया नाम है. ऐतिहासिक तथ्य की बात करें तो सदियों से भारत और भारतवर्ष कहा जाता रहा है. पौराणिक साहित्य और महाभारत में भी इसका उल्लेख है.

संविधान में कैसे रखा गया नाम?
18 सितंबर 1949 को संविधान सभा की बैठक हुई थी. इसमें नए बने राष्ट्र के नामकरण पर सभा के सदस्यों ने चर्चा की थी. इस दौरान सभा के सदस्यों की तरफ से विभिन्न नामों का प्रस्ताव रखा गया. जैसे भारत, हिंदुस्तान, हिंद, भारतभूमिक, भारतवर्ष. लेकिन आखिर में संविधान सभा ने भारत और इंडिया रखने का फैसला लिया जिसमें 'अनुच्छेद-1. संघ का नाम और क्षेत्र' शीर्षक दिया गया.

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भारत नाम को लेकर पहले भी उठी मांग
देश का नाम इंडिया की जगह भारत शब्द इस्तेमाल करने की मांग पहले भी उठती रही है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के लोकसभा सदस्य के तौर पर 13 मार्च, 2015 को लोकसभा में संविधान के अनुच्छेद 1 में बदलाव के लिए एक प्राइवेट मेंबर बिल भी पेश किया था. हालांकि, इस पर चर्चा नहीं हो सकी थी.

सुप्रीम कोर्ट में भी डाली गई थी याचिका
इंडिया की जगह भारत नाम का इस्तेमाल करने पर 2014 में सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका डाली गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया था. याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को इंडिया का नाम बदलकर भारत रखने का निर्देश दिया जाए. सर्वोच्च अदालत के तत्कालीन सीजेआई एचएल दत्तू और जस्टिस एके सीकरी ने याचिकाकर्ता निरंजन भटवाल को कहा कि वो इस सिलसिले में पहले सरकार के संबंधित विभाग में जाएं.

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