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Nagchandreshwar Temple Open: MP में रात 12 बजे खुले इस मंदिर के द्वार, जानिए क्या है इतिहास

Nag Panchami 2022: नाग पंचमी के दिन एमपी स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के दरवाजे एक दिन के लिए खुलते हैं. जानिए नाग देवता का यह मंदिर क्यों है खास, क्या है इसका इतिहास

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डीएनए हिंदी: आज नाग पंचमी (Nag Panchami 2022) के दिन मंदिरों में भक्तों की भीड़ है, एक तो आज नाग पंचमी और फिर मंगला गौरी (Mangla Gauri Vrat 2022) की भी पूजा है. एमपी के उज्जैन (MP Ujjain Nag Temple) में नाग देवता का एक ऐसा मंदिर है जो साल में एक ही बार खुलता है, उसके पट सिर्फ एक दिन के लिए खुलते हैं. कल रात 12 बजे नागचंद्रेश्वर मंगिर (Nagchandreshwar Temple) के पट खुल गए और आज सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगने लगी है. पूजा अर्चना के लिए मंदिर को खूब सुंदर से सजाया गया है. 

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क्यों एक दिन खुलते हैं द्वार

यह मंदिर तीसरी मंजिल पर स्थित है और बीती रात से ही लोग यहां लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं ताकि उन्हें मंदिर का पहला दर्शन हो सके.बताया जाता है कि महाकाल मंदिर (Mahakal Mandir) स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की है. इस प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर भगवान शिव और मां पार्वती बैठी हैं. यह दुनिया में एकमात्र ऐसी प्रतिमा है और कहीं नहीं है, जिसमें नाग शैय्या पर विष्णु नहीं भगवान शिव विराजित हैं. मंदिर में दशमुखी नाग देव की प्रतिमा भी है, यह महाकाल मंदिर परिसर में ही मौजूद है.

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क्या है इसका इतिहास (History Behind Nag Mandir)

गौरतलब है कि पिछले दो साल से कोरोना की वजह से आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर का पट नहीं खोला जा रहा था. दो साल बाद सोमवार की रात जब मंदिर का पट खुला तो श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. बताया जा रहा है कि नागचंद्रेश्वर मंदिर में इस बार दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या लाख के पार हो सकती है.

ऐसी मान्यताएं हैं कि सर्पों के राजा तक्षक ने भोलेनाथ को प्रसन्न करने  लिए घोर तपस्या की, जिसके बाद भोलेनाथ ने उन्हें खुश होकर अमरत्व दान किया. इसके बाद नाग देवता ने शिवजी के साथ एक साथ एकांत में यहीं वास करने का फैसला किया. जिसके बाद से यह मंदिर नाग देवता की पूजा के लिए जाना जाता है. आपको बता दें कि सालों से इस मंदिर की यही परंपरा रही है कि एक दिन के लिए यह मंदिर खुलता है. 
 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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