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दिखाई दे रहा भारत की सॉफ्ट पावर का असर, बौद्ध नीति के सहारे बढ़ रही 39 देशों से निकटता

भारत सरकार बौद्ध देशों को नजदीक लाने के लिए सॉफ्ट पावर पर काम कर रही है. पढ़िए मनीष शुक्ला की खास रिपोर्ट.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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डीएनए हिंदी: भारत की वर्तमान सरकार की विदेश नीति का लोहा दुनिया के ताकतवर देश भी मान रहे हैं. नरेंद्र मोदी सरकार अलग-अलग गुटों के देशों को साधने के लिए अलग-अलग रणनीतियों पर काम कर रही है. अमेरिका, रूस और पाकिस्तान के नेता तक भाजपा की विदेश नीति की खुलकर तारीफ कर चुके हैं. ताकतवर देशों को साधने के साथ ही भारत अपनी सॉफ्ट पावर के जरिए भी दुनिया के 3 दर्जन से ज्यादा देशों से निकटता बढ़ा रहा है. 

भारत अपनी Buddhist Diplomacy के सहारे एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को बेहतर करने में लगा हुआ है. जब से नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली है उसके बाद से भारतीय विदेश नीति में बौद्ध विरासत को काफी महत्व दिया जा रहा है. इस विदेश नीति की वजह से एशिया के ज्यादातर देशों से भारत के साथ संबंधों में मजबूती आ रही है.

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बात अगर बौद्ध आबादी की करें तो दुनिया भर की 97 प्रतिशत बौद्ध आबादी एशिया के देशों में रहती है और भारत बौद्ध धर्म का अहम तीर्थ स्थल है. ऐसे में पिछले कुछ सालों में दुनिया के 39 देशों में भारत ने इसी बौद्ध नीति के सहारे अपने संबंधों को नई दिशा दी है. दुनिया के अलग-अलग देशों में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में लगे International Buddhist Confederation (IBC) ने इस साल 5 नवंबर को दस साल पूरे होने पर दिल्ली में एक बड़ा कार्यक्रम किया.

 

 

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इस कार्यक्रम में दुनियाभर से आए  बुद्ध धर्म के अनुयायी, विद्वान और राजदूत शामिल हुए. हम आपको बता दें कि IBC की स्थापना साल 2012 में की गई थी और नई दिल्ली में इसका मुख्यालय बनाया गया है.  IBC का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में बौद्ध धर्म से जुड़े धार्मिक स्थलों का संरक्षण और उससे जुड़ी जानकारियों को दुनिया भर में प्रचारित-प्रसारित करना है. 

IBC से जुड़े जानकारों के मुताबिक, ज्यादातर बौद्ध धर्म से जुड़ी सांस्कृतिक विरासत भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश राज्यों में है. जिसकी वजह से हर साल लाखों की संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी भारत भ्रमण करने के लिए आते हैं. ऐसे में जहां देश में पर्यटन के क्षेत्र में इसका फायदा मिल रहा है वहीं बौद्ध धर्म का अहम तीर्थ स्थल होने की वजह से दुनिया भर के कई देशों  के लोग बौद्ध धर्म की वजह से अपने आप को जुड़ा महसूस करते हैं.

जानकारों का मानना है कि भारतीय विदेश नीति में लुक ईस्ट (Look East) और एक्ट ईस्ट एशिया (Act East Asia) की कामयाबी में बौद्ध नीति अहम स्थान बनता जा रहा है. देखा जाए तो चीन लगातार दुनिया के देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है. चीन अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए दुनिया के कई देशों को लोन मुहैया करा रहा है साथ ही  मिलिट्री, इंफ्रास्ट्रक्चर  के क्षेत्र में भी चीनी कंपनियां बड़ी संख्या में इंवेस्टमेंट कर रही हैं जिसकी वजह से चीन के कर्ज की माया जाल में भी कई देश फंस कर बाहर नहीं निकल पा रहे हैं.

हाल ही में जिस तरह से श्रीलंका , पाकिस्तान और अफ्रीका के कुछ देशों में चीन के कर्ज का असर हुआ उसे लेकर दुनिया के कई देश चीन की नीतियों पर शंकित है. चीन से उलट भारत सॉफ्ट पावर के दम पर एशिया के ज्यादातर देशों से जुड़ रहा है जिसकी वजह से भारत के प्रति इन देशों में काफी सम्मान है. भारत ने एक्ट ईस्ट एशिया के तहत अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए 3-C  यानी Culture, Connectivity and Commerce के विकास पर जोर दे रही है.

बौद्ध धर्म के संदेशों को दुनिया भर में प्रचारित-प्रसारित करने के लिए भारत नेपाल के लुंबिनी में  India International Centre for Buddhist Culture and Heritage बनवा रहा है. IBC के तहत बन रहे इस सेंटर का शिलान्यास पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी के नेपाल यात्रा के दौरान किया गया था.

IBC के सेक्रेटरी जनरल डॉ. धम्मपिया ने ज़ी मीडिया से खास बातचीत के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री मोदी भगवान बुद्ध के संदेशों को दुनिया के देशों में लेकर जा रहे हैं. उन्होंने जिस तरह से IBC ने आने वाले दिनों में दुनिया के उन देशों में जहां बौद्ध धर्म के अनुयायी सबसे ज्यादा रहते हैं उन देशों के young monks  को देश के सभी अहम बौद्ध धर्म से जुड़े तीर्थ स्थलों का भ्रमण कराने की योजना बनाई है.  इसी योजना के तहत इस साल दिसंबर महीने में  भूटान से 25 बुद्धिस्ट मोंक ( Buddhist Monk) दिल्ली आ रहे हैं. IBC के मुताबिक, ऐसे कार्यक्रमों से दुनिया के देशों में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में मदद मिलेगी.

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