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110 मंत्री, 31 कारें, 7 हवाई जहाज लेकर भारत आए थे Mikhail Gorbachev, हाथी और ऊंट के साथ हुआ था स्वागत

मिखाइल गोर्बाचोफ की भारत यात्रा इतनी शानदार थी कि उसकी रिपोर्टिंग दुनिया भर के प्रतिष्ठित प्रकाशनों में हुई थी. हर गली और सड़क पर गोर्बाचेव के पोस्टर थे. हाथी और ऊंट के साथ उनका स्वागत हुआ था. पढ़ें पूरी रिपोर्ट-

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Mikhail Gorbachev
 

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डीएनए हिंदी: एक ऐसा व्यक्ति जो बिना मार-पीट और खून-खराबे के ही युद्ध को खत्म करा दे. एक ऐसा व्यक्ति जिसे सिर्फ कुछ लोग ही नहीं पूरी दुनिया अपना हीरो माने. ऐसे ही व्यक्ति थे सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोफ (Mikhail Gorbachev). गोर्बाचेव का आज 91 साल की उम्र में निधन हो गया. वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे. उनके बारे में अहम जानकारी वाली कुछ बातें ये हैं कि वह सोवियत संघ के एक बेहद प्रभावशाली नेता थे. वह सोवियत संघ के 8वें और आखिरी राष्ट्रपति थे. उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था. मगर सोवियत संघ के इस नेता का भारत से कैसा कनेक्शन था, ये जानकारी आपको हैरत में भी डाल सकती है.

जब भारत आए थे मिखाइल गोर्बाचोफ (Mikhail Gorbachev India visit)
मिखाइल गोर्बाचोफ हमेशा ही सोवियत संघ और भारत के रिश्ते  मजबूत करना चाहते थे. वह दो बार भारत आए थे. एक बार सन् 1986 और फिर दो ही साल बाद सन् 1988 में.  सन् 1986 में जब गोर्बाचेव अपनी पत्नी के साथ नई दिल्ली आए थे तब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) और उनकी पत्नी सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने उनका स्वागत किया था. सन् 1988 में जब वह भारत आए तब भी राजीव गांधी से उनकी काफी गर्मजोशी भरी मुलाकात रही. दोनों ही नेता सोवियत संघ और भारत के रिश्तों को बेहतर व मजबूत बनाना चाहते थे. 

ये भी पढ़ें- Cold War खत्म करने से लेकर नोबेल पुरस्कार तक... जानें Mikhail Gorbachev से जुड़ी 10 बड़ी बातें

पूरे लाव-लश्कर के साथ भारत आए थे गोर्बाचेव
गोर्बाचोफ उस दौरान अपने 110 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आए थे. इसमें उनके रक्षा मंत्री से लेकर विदेश मंत्री तक शामिल थे. यही नहीं उनकी जरूरत का सारा सामान 7 हवाई जहाजों के जरिए भारत आया था. इसमें खान-पान की चीजें, संवाद और सिक्योरिटी से जुड़े साधन व उपकरण शामिल थे. इसके अलावा उनके इस लाव-लश्कर में 31 कारें भी भारत आई थीं.. उनके साथ 500 सुरक्षाकर्मी भी थे.  ये सभी दिल्ली के Centaur होटल में ठहरे थे. 

राजीव गांधी और मिखाइल गोर्बाचोफ की वो मुलाकात...

Los Angeles Times की एक रिपोर्ट की मानें तो उस वक्त गोर्बाचोफ का स्वागत हाथी और लाल रंग की ड्रेस पहनकर ऊंट पर बैठे सैनिकों के जरिए किया गया था. एयरपोर्ट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक हजारों लोगों की भीड़ उन्हें देखने, उनका स्वागत करने के लिए जुटी थी. उस दौरान दिल्ली की लगभग हर सड़क औऱ गली में राजीव गांधी औऱ गोर्बाचोफ की तस्वीरें लग गई थीं. यह गोर्बाचोफ की किसी भी एशियाई देश में पहली यात्रा थी.  उनकी चार घंटे तक राजीव गांधी से प्राइवेट मीटिंग चली थी. इसमें अनुवादकों के अलावा कोई शामिल नहीं था. 

गोर्बाचोफ ने भारत से रिश्तों पर कही थी ये बात
उस मुलाकात के दौरान गोर्बाचोफ ने कहा था कि भारत और सोवियत रूस को दीर्घकालिक वैश्विक शांति हासिल करने के लिए संबंधों को मजबूत करने की जरूरत है और सोवियत रूस हमेशा भारत के वास्तविक हितों का समर्थन करेगा. यही नहीं उन्होंने यहां तक वादा किया था कि वे अपनी विदेश नीति में ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे भारत के वास्तविक हितों को नुकसान पहुंचे. 1987 में जब राजीव गांधी मास्को गए, तो गोर्बाचोफ और गांधी ने छह घंटे की निजी मुलाकात की. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री की मां इंदिरा गांधी को एक स्मारक भी समर्पित किया और उनके नाम पर मॉस्को स्क्वायर का नाम रखा.

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