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Ghosi Hot Seat: किसके कब्जे में जाएगा पूर्वांचल का ये मजबूत किला? त्रिकोणीय मुकाबले के आसार

पिछले 20 सालों में घोसी (Ghosi) के सियासी समीकरण बड़ी तेजी से बदले हैं. इस बार यहां से त्रिकोणीय मुकाबले की संभावनाएं बन रही हैं.

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इस बार के लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में घोसी लोकसभा सीट पर एनडीए (NDA) से सुहेलदेव भारतीय पार्टी के अरविंद राजभर उम्मीदवार हैं, वो ओपी राजभर के पुत्र हैं. वही सपा ने इस सीट से पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता राजीव राय को अपना प्रत्याशी बनाया है. बसपा ने इस लोकसभा सीट से बालकृष्ण चौहान को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार मुकाबला त्रिकोणीय भी देखने को मिल सकता है.

2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में क्या थी स्थिति
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी हरिनारायण राजभर विजयी हुए थे. उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी और बीएसपी के नेता दारा सिंह चौहान को एक लाख 46 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था. 2019 के चुनाव के समीकरण थोड़े से अलग थे, उस वक्त सपा-बसपा ने आपस में गठबंधन किया था और चुनाव में उतरे थे. इसका पूरा फायदा बीएसपी के घोसी के प्रत्याशी अतुल राय को हुआ था. उन्होंने करीब सवा लाख मतों से उस समय के मौजूदा एमपी और बीजेपी नेता हरिनारायण राजभर को शिकस्त दी थी.


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किसी एक पार्टी का गढ़ नही रही है ये सीट
घोसी उत्तर प्रदेश की एक ताकतवर लोकसभा सीट मानी जाती है. ये सीट कभी कम्युनिस्ट पार्टियों का गढ़ रहा है तो कभी कांग्रेस का मजबूत किला रहा है. कभी यहां बीजेपी का परचम लहराया है तो कभी यहां बसपा ने यहां से अपनी फतेह हासिल की है. साथ ही ये सीट सीट सपा और सुहेलदेव पार्टी के भी स्ट्रांग होल्ड है. कुल मिलाकर ये सीट किसी भी एक पार्टी की परंपरागत सीट बनकर नहीं रही है. अलग-अलग काल खंड में अलग-अलग पार्टियों ने यहां से जीत हासिल की है. एक बार तो यहां से एक निर्दलीय उम्मीदवार भी जीत हो चुकी है.

तेजी से बदलते समीकरण
पिछले 20 सालों में घोसी के सियासी समीकरण बड़ी तेजी के साथ बदले हैं.  इस बार की लड़ाई तो और भी ज्यादा अलहदा है. मुख्तार अंसारी की मौत के बाद इस सीट के समीकरण और भी तेजी से बदल रहे हैं.  घोसी की पहचान बुनकरों और कारीगरों से होती रही है. घोसी लोकसभा सीट के अंतर्गत मऊ जिले की 5 विधानसभा सीट आती हैं. ये सीटें है, मऊ, घोसी, मोहम्मदाबाद-गोहना, मधुबन और बलिया जिले की रसड़ा सीट मिलाकर बुना हुआ है.

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