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12 साल पहले अहमदाबाद में ही टीम इंडिया ने तोड़ा था ऑस्ट्रेलिया का तिलिस्म, रोहित सेना के पास इतिहास रचने का मौका

1996 वर्ल्डकप से शुरू हुआ ऑस्ट्रेलियाई टीम का स्वर्णिम सफर अहमदाबाद में ही आकर थमा था.

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IND vs AUS Final

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डीएनए हिंदी: भारत और ऑस्ट्रेलिया. क्रिकेट वर्ल्ड की दो धाकड़ टीमें. दोनों के बीच क्रिकेट मैदान जबरदस्त भिड़ंत देखने को मिलती है. इस बार मामला आर पार का है. 19 नवंबर को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में जब भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें वर्ल्डकप 2023 के फाइनल में उतरेंगी, तो दोनों की नजरें पुराना हिसाब चुकता करने पर होगा. कंगारूओं ने टीम इंडिया को 20 साल पहले जो घाव दिया था, वह अभी तक भरा नहीं है. वहीं भारतीय टीम ने इसी मैदान पर 12 साल पहले ऑस्ट्रेलिया का तिलिस्म तोड़ा था. आइए बारी बारी से समझते हैं.

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अभी भी चुभती है टीम इंडिया को वह हार

साल 2003. वर्ल्डकप साउथ अफ्रीका में खेला जा रहा था. भारतीय टीम जबर खेल रही थी. सौरव गांगुली की अगुवाई में टीम सेमीफाइनल तक 9 मुकाबले में 8 जीतकर पहुंची. ग्रप स्टेज में जो एक हार मिली थी वह ऑस्ट्रेलिया के हाथों मिली थी. सेमीफाइनल में गांगुली के रणबांकुरों का सामना हुआ मेमने जैसी टीम केन्या से. इस अफ्रीकी टीम को आसानी से पटखनी देकर टीम इंडिया फाइनल में पहुंची. जहां उसका इंतजार खूंखार ऑस्ट्रेलियाई टीम कर रही थी. रविवार, 23 मार्च को फाइनल खेला गया. उस दिन जोहैनेसबर्ग ने रिकी पोटिंग की क्रुरता देखी. पंटर ने सिर्फ 121 गेंदों में 8 छक्के उड़ाते हुए 140 रन मारे. उस जमाने में 100 के स्ट्राइक रेट से भी रन बनाना बड़ी बात होती थी. 

ऑस्ट्रेलिया ने बोर्ड पर 359 रन का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा किया. भारत की ओर हरभजन सिंह ही विकेट चटकाने में सफल रहे. जवाब में उतरी भारतीय सलामी जोड़ी पहले ओवर में ही टूट गई और मैच लगभग यहीं खत्म हो गया. ग्लेन मैक्ग्रा ने वर्ल्डकप में रन बरसा रहे सचिन तेंदुलकर को पहले ओवर में ही आउट कर दिया. इसके बाद बस औपचारिकताएं पूरी की गईं. वीरेंद्र सहवाग के 82 रन बस हार के अंतर को कम कर पाए. भारतु वर्ल्डकप का फाइनल सवा सौ रन से हार गया. हार और जीत खेल का हिस्सा हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने जिस तरह से भारत को खदेड़ा, यह हार लंबे समय तक चुभती रही. ऐसे में रविवार को भारतीय टीम उसी तरह से कंगारूओं को रगेदना चाहेगी.

जब अहमदाबाद में धोनी के धुरंधरों ने तोड़ा ऑस्ट्रेलिया का घमंड

अहमदाबाद का वह स्टेडियम, तब मोटेरा के नाम से जाना जाता था. इस मैदान पर आने से पहले ऑस्ट्रेलिया के लिए वर्ल्डकप जीतना बाएं हाथ का खेल हो गया था. 1996 के बाद से कंगारू टीम हर वर्ल्डकप के फाइनल में पहुंची थी. 1999 से 2007 के बीच लगातार तीन ट्रॉफी भी जीते. 2003 और 2007 में तो ऑस्ट्रेलिया बिना कोई मैच हारे वर्ल्डकप जीता, यह दर्शाता है कि किस कदर उनकी तूती बोल रही थी. भारत की संयुक्त मेजबानी में खेले जा रहे 2011 वर्ल्डकप में भी यह टीम एक और ट्रॉफी की ओर बढ़ती दिख रही थी. पर क्वार्टर फाइनल में उनका सामना धोनी के धुरंधरों से हो गया. 

अहमदाबाद में खेले गए उस नॉक आउट मुकाबले में एक बार फिर रिकी पोटिंग ने शतकीय पारी खेल दी. हालांकि 2003 वर्ल्डकप फाइनल की तरह उन्हें दूसरे छोर से ज्यादा सहयोग नहीं मिला. पोटिंग एक ओर टिके रहे और दूसरे छोर से भारतीय गेंदबाज विकेट सरकाते रहे. ऑस्ट्रेलिया किसी तरह से 260 तक पहुंचने में कामयाब हो पाया. भारत ने रन चेज में अच्छी शुरुआत की, लेकिन लगातार अंतराल पर विकेट भी गंवाए. एक समय 187 रन पर 5 विकेट गिर गए थे. ऐसा लग रहा था एक और वर्ल्डकप का सपना टूटा. पर युवराज सिंह और सुरेश रैना ने छठे विकेट के लिए 74 रन की साझेदारी कर भारत को लक्ष्य तक पहुंचा दिया. ऑस्ट्रेलिया 1992 के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचने में नाकाम रहा. कंगारू खिलाड़ी जरूर उस हार का बदला लेने के लिए घात लगाए होंगे.

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