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जन धन योजना बनी भारत की वित्तीय साक्षरता की नींव, पूर्व मंत्री सुरेश प्रभु बोले- समाज पर डाला है व्यापक प्रभाव

Jan Dhan Yojana News: भारतीयों वैश्विक डिजिटल लेनदेन में 42% योगदान का एक बड़ा कारण मोदी सरकार की जन धन योजना भी रही है, जिसमें गरीबों तक को बैंक खाते की सुविधा मिली है.

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IFLC 2023 को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु.

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डीएनए हिंदी: गरीबों और वंचितों को बैंकिंग योजनाओं से जोड़ने के लिए शुरू की गई जनधन योजना का व्यापक प्रभाव हुआ है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को इस योजना की सराहना की और कहा कि यह भारत की वित्तीय साक्षरता का आधार बनी है. एवोक इंडिया फाउंडेशन की तरफ से आयोजित  इंटरनेशनल फाइनेंशियल लिटरेसी कॉन्क्लेव 2023 (IFLC 2023) के दौरान एक्सपर्ट्स ने जनधन योजना के व्यापक प्रभाव समझाए. उन्होंने बताया कि इस योजना की ही बदौलत दुनिया के डिजिटल लेनदेन में भारत की हिस्सेदारी करीब 42% है.

32 से ज्यादा एक्सपर्ट्स ने लिया भाग

IFLC 2023 के छठे संस्करण में शिक्षा, उद्योग और सरकार से 32 से अधिक प्रतिष्ठित एक्सपर्ट्स ने भाग लिया. इन सभी ने भारत में वित्तीय समावेशन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर संबोधन व चर्चा की. दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कॉन्क्लेव का आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया, जिसका विषय फाइनशियल इंक्लूजन: ब्रिजिंग द गैप (वित्तीय समावेशन - अंतराल को को कम करना) रखा गया था.  मुख्य अतिथि के तौर पर वर्चुअल तरीके से मौजूद पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने व्यावहारिक वित्तीय शिक्षा के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने विशेष रूप से जन धन योजना जैसी पहल पर प्रकाश डाला और इसे वित्तीय साक्षरता में भारत की परिवर्तनकारी यात्रा के लिए महत्पूर्ण व मजबूत आधार बताया.  प्रभु ने आर्थिक क्षेत्र से आगे बढ़कर व्यापक प्रभाव के रूप में सामाजिक परिवर्तन पर जोर दिया.

भारत में महज 24% लोग वित्तीय साक्षर

कार्यक्रम के दौरान एवोक इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष-सलाहकार बोर्ड के प्रोफेसर सुब्रत चक्रवर्ती ने स्वागत भाषण में कॉन्क्लेव की व्यावहारिक चर्चाओं की नींव रखी. इस दौरान जर्नल 2023 का अनावरण हुआ. एवोक इंडिया के संस्थापक और अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार द्विवेदी ने बताया कि भारत में केवल 24 प्रतिशत लोग वित्तीय साक्षर हैं. स्टैंडर्ड एंड पूअर्स फाइनेंशियल सर्विसेज एलएलसी (एसएंडपी) के वैश्विक सर्वेक्षण के हिसाब से दक्षिण एशियाई देशों में 25% से भी कम व्यस्क वित्तीय साक्षर हैं. उन्होंने वित्तीय साक्षरता को आम भारतीय के लिए प्राथमिकता बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही कहा कि भारत की 76% वयस्क आबादी में बुनियादी वित्तीय अवधारणाओं की भी समझ नहीं है. सलाहकार बोर्ड के सम्मानित सदस्य एके सिंह ने उद्घाटन सत्र का औपचारिक समापन किया. 

ग्रामीण समुदायों में वित्तीय समावेशन की जरूरत

सीएफएल, आरबीआई परियोजना की नोडल अधिकारी सुनीता पॉल ने भी ग्रामीण समुदायों में वित्तीय समावेशन की जरूरत समझाई. उन्होंने खासतौर पर युवाओं और महिलाओं में वित्तीय साक्षरता जागरूकता की अहमियत बताई. अनंत नारायण ने विनियमन से परे सेबी की बहुमुखी भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने बचतकर्ताओं को निवेशकों के रूप में विकसित होने के लिए प्रोत्साहित करने के सेबी के मिशन पर जोर दिया, जिससे पूंजी निर्माण में योगदान दिया जा सके. डॉ. प्रभाकर साहू ने बताया कि कैसे जन धन योजना के परिणामस्वरूप भारतीयों के लिए 50,000 बैंक खाते खोले गए, जिससे पारदर्शिता और दक्षता में वृद्धि हुई. 

पैनलों ने की इन विषयों पर चर्चाएं

पहले पैनल चर्चा में हेमेंद्र माथुर की अध्यक्षता में कृषि क्षेत्र पर एक केंद्रित  चर्चा में किसानों के वित्तीय समावेशन की अनिवार्य आवश्यकता पर जोर दिया गया. पैनलिस्टों में सिराज हुसैन आईएएस (सेवानिवृत्त), डॉ. हर्ष कुमार भनवाला और संजीव अस्थाना जैसे वक्ता शामिल थे, जिन्होंने कृषि क्षेत्र में वित्तीय समावेशन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला.

दूसरी पैनल चर्चा, युवा: जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के लिए वित्तीय समावेशन का लाभ उठाना में सीएस तृप्ति कपाड़िया, आशीष पी सोमैया, फेरिस वी, शिवम बाथम और मोनिका हालन जैसे वक्ता शामिल थे. वक्ताओं का विविध समूह वित्तीय समावेशन और युवा जनसांख्यिकीय की क्षमता को उजागर करने में इसकी भूमिका के विषय पर विस्तृत चर्चा की. स्कोप के संस्थापक और सीईओ श्री अप्पल्ला साईकिरन ने वित्तीय साक्षरता के महत्वपूर्ण महत्व को बताया.

वंदना भटनागर की अध्यक्षता में तीसरे पैनल चर्चा, महिलाओं के वित्तीय समावेशन के माध्यम से लैंगिक अंतर को कम करना में बेहतर वित्तीय पहुंच के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की रणनीतियों पर जोर दिया गया. श्रीमती दक्षिता दास, नैना लाल किदवई, श्री केएस राव और डॉ. अनिता मधोक सहित पैनलिस्टों ने वित्तीय साक्षरता पर ध्यान देने के साथ लैंगिक अंतर को कम करने के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण पर चर्चा की. 

चौथे पैनल ने एमएसएमई क्षेत्र में वित्तीय समावेशन में अंतर को संबोधित किया. चिंतन खन्ना ने चर्चा का संचालन किया. पैनल में ज्योति प्रकाश गादिया, श्रीचंद दास, नीरज सिंघल और अभिषेक कुमार शामिल थे, जिन्होंने एमएसएमई क्षेत्र में वित्तीय समावेशन, चुनौतियों और संभावित समाधानों के महत्वपूर्ण पहलुओं पर व्यापक चर्चा की.

समापन सत्र में, वित्तीय समावेशन और समग्र विकास को बढ़ावा देने में बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया. विवेक लॉ द्वारा संचालित, पैनल चर्चा में रजनीश कुमार, देवेश माथुर, शांतनु श्रीवास्तव, डॉ. कामाख्या नारायण सिंह और डेनी वी थॉमस जैसी प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल थीं. कार्यक्रम में फाइनेंशियल इंक्लूजन एंड लिटरेसी लीडरशिप  पुरस्कार 2023 प्रदान किए गए. इस पुरस्कार द्वारा वित्तीय समावेशन में योगदान देने वाले व्यक्तियों, संस्थानों और नवाचारों को सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार राष्ट्रव्यापी नामांकन के आधार पर एक प्रतिष्ठित जूरी द्वारा चुने गए योग्य विजेताओं और उपविजेताओं को प्रदान किए गए.

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