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Rajasthan में कांग्रेस को मिल गया चुनावी मुद्दा, BJP की बढ़ेगी टेंशन, जानिए कैसे

राजस्थान सरकार पुरानी पेंशन योजना की बहाली का चुनावी वादा दोहराने जा रही है. बीजेपी पर यह मुद्दा हिमाचल प्रदेश की तरह भारी पड़ सकता है.

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राहुल गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. (तस्वीर-PTI)

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डीएनए हिंदी: राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लागू करके इसे चुनावी मुद्दा बना दिया है. ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों को रिटायर होने के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी मिलती है, इसके लाभार्थियों की संख्या हजारों में हैं. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की हासिल हुई जीत की एक वजह इस योजना की बहाली का वादा था. अब एक बार राजस्थान में भी कांग्रेस यही प्रयोग दोहरा रही है.

राज्य सरकार के अलग-अलग विभागों के कर्मचारी अभी भी इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि क्या राजस्थान सरकार इस योजना को लंबे समय तक चला पाएगी या चुनाव के बाद केंद्र और राज्य के सत्ता में आने पर यह महज एक वादा भर रह जाएगा. एनपीएस के तहत फंड जारी करने के मुद्दे पर केंद्र और राज्य आमने-सामने हैं.

राज्य सरकार की एक कर्मचारी हिमानी ने कहा, 'सभी कर्मचारी इस बात से खुश हैं कि उन्हें पेंशन मिलेगी. हालांकि, साथ ही बिना किसी स्पष्टता के समय-समय पर जारी किए जा रहे अलग-अलग सर्कुलर उन्हें भ्रमित कर रहे हैं.'

अशोक गहलोत के वादे पर क्या कह रहे हैं सरकारी कर्मचारी?

हिमानी ने कहा, 'अपने आदेश में, सरकार ने जीपीएफ-एसएबी अकाउंट खोलने के लिए कहा है. सभी कर्मचारियों को यह पता नहीं है कि यह अकाउंट क्या है. आदेश में कहा गया है कि इस अकाउंट को खोलने से एफडी आदेशों के अनुपालन और बकाया राशि के त्वरित भुगतान में मदद मिलेगी.'

एक अन्य कर्मचारी ने कहा, 'इससे पहले, हमें ओपीएस के लाभार्थी बनने के लिए निकाले गए पीएफ को फिर से जमा करने के लिए कहा गया था. अब कई कर्मचारी जिन्होंने घर खरीदने या अपने बच्चे की शादी के लिए अपना पीएफ निकाल लिया है, वे पैसे फिर से जमा कराने के लिए दर-दर भटक रहे हैं.' उन्होंने कहा कि अब तक इस बारे में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं कि हम इस ओपीएस वादे से कैसे लाभान्वित होने जा रहे हैं. 

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अशोक गहलोत सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस की घोषणा की है और केंद्र से 2005 से राजस्थान सरकार के कर्मचारियों के खाते में नई पेंशन योजना के तहत जमा हुए 39,000 करोड़ रुपये जारी करने को भी कहा है.

हालांकि, पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण ने इस फंड को जारी करने से इनकार कर दिया है. अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि राज्य सरकार कर्मचारियों को पेंशन का भुगतान कैसे करती है.

इस साल की शुरुआत में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान केंद्र सरकार से नई पेंशन योजना में जमा राशि को जारी करने का आग्रह किया था क्योंकि राज्य ने पिछले साल अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को वापस कर दिया था.

गहलोत ने राज्यपाल के अभिभाषण पर दो दिन की बहस के बाद सदन को बताया, 'हम शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के लिए नई पेंशन योजना के तहत स्थानांतरित राज्य कर्मचारियों के फंड को अब और नहीं छोड़ सकते. केंद्र सरकार को जल्द से जल्द पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों और नियोक्ताओं के लिए इसे जारी करना चाहिए.'

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अशोक गहलोत ने चेतावनी दी है, 'हमारा पैसा एनपीएस में जमा है. ओपीएस लागू करने के बावजूद नहीं दे रही है अभी, अगर नहीं देंगे तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, पर लेकर रहेंगे.'

केंद्र और राज्य में ओल्ड पेंशन को लेकर रार

गहलोत ने पिछले साल बजट में पुरानी पेंशन योजना को पुर्नजीवित करने की घोषणा की थी.
गहलोत ने कहा था कि बोर्ड, निगम, अकादमियों और विश्वविद्यालयों के कर्मियों को भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा.

हालांकि, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई पेंशन योजना के लिए जमा धन जारी करने की राजस्थान सरकार की मांग को खारिज कर दिया.

वित्त मंत्री ने कहा था, 'मैं पुरानी पेंशन योजना के मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती, लेकिन राज्य सरकार ने अपने दम पर यह वादा किया है और अब उम्मीद है कि सरकार को फंड जारी किया जाना चाहिए. इसकी अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए. यह कर्मचारी का हक का पैसा है और उन्हें ही दिया जाना चाहिए.'

क्या है पुरानी पेंशन योजना?

पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद मासिक पेंशन पाने का हकदार होता है. मासिक पेंशन आम तौर पर व्यक्ति के अंतिम आहरित वेतन का आधा होता है.

क्या है नई पेंशन योजना?

नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी अपने वेतन का एक हिस्सा पेंशन फंड में जमा करते हैं. इसके आधार पर, वे एकमुश्त राशि पाने के हकदार होते हैं. पुरानी पेंशन योजना को दिसंबर 2003 में बंद कर दिया गया था और नई पेंशन योजना 1 अप्रैल 2004 को लागू हुई थी.

क्या है बीजेपी का रिएक्शन?

BJP नेताओं का दावा है कि कांग्रेस सरकार 39000 करोड़ रुपये की धनराशि चाहती है जिसका उपयोग वह अपने अपने स्वार्थ के लिए कर सकती है. राज्य आर्थिक रूप से गरीब है और राज्य सरकारों के सार्वजनिक उपक्रमों में भी खराबी है. 2004 में नौकरी करने वालों को 2033-34 में पेंशन मिलेगी और इसके लिए सरकार को एकमुश्त फंड की जरूरत होगी.

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कांग्रेस के इस कदम से बढ़ेगी बीजेपी की टेंशन?

BJP का कहना है कि  मिलियन डॉलर का सवाल अब यह है कि उस समय राज्य में कौन सी सरकार होगी और क्या वह धन हासिल कर पाएगी? हालांकि कांग्रेस कार्यकर्ता खुश हैं और कहते हैं कि ओपीएस के कारण केंद्र सरकार दबाव में आ गई है. इस कदम का मुकाबला करने के लिए बीजेपी के पास अब कुछ भी नहीं है. (इनपुट: IANS)

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