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CM योगी से मिले सभी रालोद विधायक, क्या जयंत चौधरी का NDA से जुड़ना हो गया है तय?

Jayant Chaudhary Latest News: राजनीतिक हलकों में अफवाह है कि पश्चिमी यूपी में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए भाजपा ने रालोद को साथ जुड़ने का न्योता दिया है, लेकिन कुछ सीटों पर बात अटकी हुई है.

CM योगी से मिले सभी रालोद विधायक, क्या जयंत चौधरी का NDA से जुड़ना हो गया है तय?

Yogi Adityanath से मुलाकात के दौरान अपनी बात रखते राष्ट्रीय लोकदल कार्यकर्ता. (Photo- RLD/Twitter)

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डीएनए हिंदी: Uttar Pradesh News- उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़े उलटफेर के संकेत मिल रहे हैं. पश्चिमी यूपी के जाट वोट बैंक में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के भाजपा (BJP) नेतृत्व वाले NDA से जुड़ने की चर्चा चल रही है. रालोद प्रमुख जयंत रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के दिल्ली सर्विस बिल (Delhi Service Bill) पर राज्यसभा में वोटिंग से गायब रहने के बाद यह चर्चा शुरू हुई थी, जो लखनऊ में रालोद विधायकों के एकसाथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने के बाद अब और तेज हो गई है. 

नौ में से 8 रालोद विधायकों ने की मुलाकात

रालोद के नौ में से 8 विधायक बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) से मिलने पहुंचे. यह मुलाकात मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर हुई है. रालोद का केवल एक विधायक गुलाम मोहम्मद इस मुलाकात में शामिल नहीं था. हालांकि गुलाम मोहम्मद के नहीं पहुंचने का कारण विधानसभा में उनका प्रश्न लगा होना बताया गया है, लेकिन इसके पीछे गुलाम मोहम्मद का समाजवादी पार्टी से पुराना जुड़ाव भी एक कारण बताया जा रहा है. दरअसल गुलाम मोहम्मद सपा के टिकट पर ही अब तक विधायक रहे हैं. इस बार भी उन्हें टिकट रालोद के चिह्न पर मिला था, लेकिन यह सीट सपा कोटे की ही मानी गई थी. 

विधायकों ने कहा- समस्याएं बताने गए थे

रालोद विधायकों ने हालांकि अपनी मुलाकात को राजनीतिक नहीं बताया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रालोद विधायकों ने कहा है कि वे प्रदेश में बाढ़ से किसानों के नुकसान पर मुआवजा देने और किसानों को फ्री बिजली देने जैसे मुद्दों को लेकर सीएम से मिले थे. साथ ही मुख्यमंत्री से बकाया गन्ना मूल्य दिलाए जाने और गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी करने की भी मांग रखी गई है. 

क्यों चल रही है सियासी हलके में चर्चा

विधायकों के यह स्पष्टीकरण देने के बावजूद सियासी हलकों में रालोद और एनडीए के मेल की चर्चा का माहौल पूरी तरह गर्म है. इसका कारण पहली बार रालोद के सभी विधायकों का एकसाथ मुख्यमंत्री से मिलना माना जा रहा है. इससे पहले रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी भी राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर उस वोटिंग से गायब रहे थे, जिसे विपक्षी एकता की कसौटी का पैमाना माना जा रहा था. हालांकि जयंत चौधरी ने अपनी पत्नी के ऑपरेशन के कारण वोटिंग में शामिल नहीं हो पाने की बात कही थी, लेकिन बताया जा रहा है कि उनकी पत्नी दो दिन पहले ही अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुकी थीं. 

कहां अटकी हुई है बात

भाजपा और रालोद के सूत्र दोनों दलों के बीच गठबंधन की बातचीत चलने की पुष्टि कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि कुछ सीटों को लेकर बात अटकी हुई है. दरअसल जयंत चौधरी भाजपा से पश्चिमी यूपी की 10 लोकसभा सीट मांग रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर पर भाजपा सांसद जीते हुए हैं. इनमें बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना और मथुरा जैसी रालोद का गढ़ समझी जाने वाली सीटें शामिल हैं. इसके उलट भाजपा ने रालोद को 10 ऐसी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है, जिन पर भाजपा उम्मीदवार को लोकसभा चुनाव 2019 में हार मिली थी. इनमें रामपुर, अमरोहा, नगीना आदि सीट शामिल हैं. इन सीटों पर रालोद के लिए ज्यादा बड़ी चुनौती है. 

इसके अलावा कुछ सीटों पर रालोद को अपने उम्मीदवार भाजपा के चुनाव चिह्न कमल पर उतारने का ऑफर दिया गया है, जिस तरह रालोद के चुनाव चिह्न पर पिछले चुनाव में कई सीट पर सपा उम्मीदवार उतरे थे. रालोद को NDA के घटक दल के तौर पर जुड़ने की बजाय भाजपा में विलय का भी ऑफर दिया गया है. माना जा रहा है कि हालिया मंत्रिमंडल विस्तार में जयंत से बातचीत लंबित होने के कारण ही किसी जाट चेहरे को मौका नहीं दिया गया था, जबकि गुर्जर समुदाय से दो लोग मंत्री बनाए गए हैं.

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