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CAA Rules: इन राज्यों में नहीं लागू होगा CAA, समझें क्या है पूरा मामला

CAA Rules in Hindi: केंद्र सरकार की ओर से CAA के नियम जारी कर दिए गए हैं और अब इसके जरिए नागरिकता दिए जाने का रास्ता साफ हो गया है. इसके बावजूद यह कानून कुछ राज्यों में लागू नहीं होगा.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

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केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नागरिकता (संशोधन) अधिनियम-2019 (CAA) के नियम जारी करते हुए इसे लागू करने का ऐलान कर दिया है. 2019 में ही राष्ट्रपति की मंजूरी पा चुके इस कानून के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसके जरिए कई देशों से आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. हालांकि, देश के कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां यह कानून लागू नहीं होगा. यानी इन राज्यों में दूसरे देशों से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता नहीं दी जाएगी. नियमों के मुताबिक, पूर्वोत्तर भारत के जिन क्षेत्रों में जाने के लिए इनर लाइन परमिट (ILP) की जरूरत होती है वहां CAA लागू नहीं किया जाएगा.

CAA को पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में लागू नहीं किया जाएगा, जिनमें संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्र भी शामिल हैं. जारी किए गए नियमों के मुताबिक, इसे उन सभी पूर्वोत्तर राज्यों में लागू नहीं किया जाएगा जहां देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों को यात्रा के लिए इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है. आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू है.


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कुल 7 राज्यों में प्रभावित होगा CAA
अधिकारियों ने नियमों के हवाले से कहा कि जिन जनजातीय क्षेत्रों में संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्त परिषदें बनाई गई हैं, उन्हें भी सीएए के दायरे से बाहर रखा गया है. असम, मेघालय और त्रिपुरा में ऐसी स्वायत्त परिषदें हैं. यानी कुल 7 राज्यों के कुछ हिस्से ऐसे होंगे जहां CAA के तहत नागरिकता नहीं दी जाएगी. 

क्या है CAA?
CAA के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का रास्ता साफ हो गया है. इन तीन देशों के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारत की नागरिकता दी जाएगी. बता दें कि CAA को दिसंबर, 2019 में संसद में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे, जिसके चलते यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका था.


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गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा,"नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 कहे जाने वाले ये नियम CAA-2019 के तहत पात्र व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाएंगे. आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में जमा किए जाएंगे जिसके लिए एक वेब पोर्टल उपलब्ध कराया गया है." एक अधिकारी ने कहा कि आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा. 

2 साल में 1414 लोगों को मिली नागरिकता
इस बीच, पिछले दो वर्षों में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला अधिकारियों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम-1955 के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्ति दी गई हैं. गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक इन तीन देशों के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई.


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वे नौ राज्य जहां पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत भारतीय नागरिकता दी जाती है उनमें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं. असम और पश्चिम बंगाल में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बहुत संवेदनशील है और सरकार ने इन दोनों राज्यों में से किसी भी जिले के अधिकारियों को अब तक नागरिकता प्रदान करने की शक्ति नहीं प्रदान की है.

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