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ड्यूटी के टाइम रहते थे गायब, बिहार में रोकी गई 1000 शिक्षकों और कर्मचारियों की सैलरी

Bihar Government News: बिहार सरकार 1000 से ज्यादा सरकारी शिक्षकों और कर्मचारियों की सैलरी पर रोक लगा दी है क्योंकि वे लापरवाही बरत रहे थे.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. 

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डीएनए हिंदी: ड्यूटी के समय स्कूल या दफ्तर से गायब रहने वाले और औचक निरीक्षणों में अनुपस्थित पाए गए हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों पर गाज गिर गई है. बिहार सरकार ने इन सभी कर्मचारियों की सैलरी रोकने का फैसला किया है. शिक्षा विभाग के नए अतिरिक्त मुख्य सचिव के के पाठक ने कार्यभार संभालते ही शिक्षा विभाग को पटरी पर लाने का काम शुरू कर दिया है. इस क्रम में सबसे पहले लापरवाह शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, अनुपस्थित रहने वाले और लापरवाही करने वाले हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों की लिस्ट तैयार किए जाने के बाद उनकी सैलरी रोक दी गई है.

बिहार शिक्षा विभाग ने मुजफ्फरपुर में स्थित बी आर आंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के 630 टीचर्स और कर्मचारियों के साथ-साथ बीएन मंडल यूनिवर्सिटी मधेपुरा के 190 और भोजपुर की वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के कई शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन रोकने का फैसला किया है. बताया जाता है कि नए अडिशनल चीफ सेक्रेटरी के के पाठक काफी सख्त अफसरों में से हैं और वह कार्रवाई भी उसी तरह से करते हैं.

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लिस्ट बनवाने के बाद की गई कार्रवाई
कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने ऐसे कर्मचारियों और शिक्षकों की लिस्ट बनवाई जो अनुपस्थित रहते हैं और ड्यूटी में लापरवाही बरतते हैं. इस लिस्ट में एक हजार से ज्यादा नाम सामने आए. उन्होंने तुरंत आदेश दिया कि इन सभी की सैलरी रोक दी जाए. यह फैसला उस समय लिया गया है जब कुछ दिन पहले ही राजभवन की तरफ से ऐलान किया गया कि अब  बिहार में ग्रेजुएशन की पढ़ाई 3 साल के बजाय 4 साल की होगी.

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दरअसल, राजभवन का कहना है कि बिहार के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में आधारभूत ढांचों की कमी है. ऐसे में ग्रेजुएशन 3 के बजाय 4 साल का होगा. इसका विरोध करते हुए बिहार सरकार ने कहा है कि अकादमिक सत्र को नियमित करने की कोशिश की जा रही है. कई बार ऐसी शिकायतें सामने आई हैं कि जिसमें देखा गया है कि कई-कई सालों में भी ग्रेजुएशन का कोर्स पूरा नहीं हो पाया है.

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