Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

CAA पर अमेरिका ने कही क्या बात, जो भारत को देना पड़ा ऐसा टका सा जवाब

America on CAA: अमेरिका को भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जवाब दिया गया है. आइए जानते हैं कि भारत ने क्या कुछ कहा है...

Latest News
article-main

 MEA Spokesperson Randhir Jaiswal

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

भारत में नागरिकता संसोधन अधिनियम (CAA) लागू किए जाने के बाद से ही कई देशों की ओर से रिएक्शन आ रहा है. संयुक्त राज्य अमेरिका ने गुरुवार को CAA को लेकर चिंता जाहिर की. इसके साथ कहा कि वह अधिनियम के कार्यान्वयन की बारीकी से निगरानी कर रहा है. धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं. अब अमेरिका के इस बयान पर भारत ने  करारा जवाब दिया है. आइए जानते हैं कि भारत की ओर से क्या कुछ कहा है... 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि 2019 भारत का आंतरिक मामला है. यह भारत की समावेशी परंपराओं और मानवाधिकारों के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए लाया गया है. बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिश्चियन समुदाय के लोगों को सीएए के जरिए भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आ चुके हैं. 


यह भी पढ़ें- Electoral Bonds से BJP को मिले 6 हजार करोड़, इन कंपनियों ने खूब दिया दान


नागरिकता देने से जुड़ा है CAA

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि CAA नागरिकता देने से संबंधित है, छीनने से नहीं है. भारतीय संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार पर चिंता का कोई आधार नहीं है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा दिए गए बयान को गलत ठहराते हुए कहा कि जो टिप्पणियां की गई हैं, वह पूरी तरह गलत सूचना पर आधारित है और अनुचित भी हैं.  भारत का संविधान अपने सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है. 

 


यह भी पढ़ें- चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड हुआ इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा, देखें पूरी लिस्ट


CAA पर अमेरिका ने कही थी यह बात 

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने गुरुवार को कहा था की हम 11 मार्च से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की अधिसूचना के बारे में चिंतित हैं.  हम बारीकी से निगरानी कर रहे हैं कि इस अधिनियम को कैसे लागू किया जाएगा. धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं. जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले नागरिक अधिकार समूहों ने भी इस कानून को लेकर चिंता जाहिर की थी, जिसे भारत ने खारिज किया है.

DNA हिंदी अब APP में आ चुका है. एप को अपने फोन पर लोड करने के लिए यहां क्लिक करें.

देश-दुनिया की Latest News, ख़बरों के पीछे का सच, जानकारी और अलग नज़रिया. अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement