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Loan App Fraud: गंदा है पर धंधा है ये, जानिए कैसे काम कर रहे ये रैकेट, चीन का क्या है इसमें रोल

RBI का कोई नियम नहीं मानती हैं ये मोबाइल ऐप्स. मिनटों में खाते में पैसा आने के लालच में फंस रहे हैं लोग.

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डीएनए हिंदी: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने तीन दिन पहले देश में गैरकानूनी लोन ऐप्स (Instant Loan Apps) के धंधे को लेकर अहम बैठक की थी. इस बैठक में माना गया कि ये एप्स भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियम-कानूनों के दायरे से बाहर रहकर बड़े पैमाने पर कर्ज बांट रहे हैं. साथ ही डरा-धमकाकर ऊंची ब्याज दरों पर वसूली कर रहे हैं. 

इससे भी बड़ी चिंता इन मोबाइल ऐप्स का लिंक चीन (China) के साथ जुड़ने को माना जा रहा है. पूरे देश में पकड़े गए लोन ऐप्स गिरोहों से पूछताछ में सभी का आखिरी सिरा चीन से जुड़ा मिला है. इस लिंक पर अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) से लेकर खुफिया एजेंसियों तक ने नजर गड़ा दी है. आइए जानते हैं कैसे धंधा चला रहे हैं ये लोन ऐप्स और चीन का इनके संचालन में क्या रोल है?

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छोटी रकम का कर्ज, बेहद ऊंचा ब्याज

दरअसल ये मोबाइल एप्लिकेशन इसलिए पॉपुलर हो रहे हैं, क्योंकि इनके जरिए मजदूर, रेहड़ी चलाने वाले जैसे लेवल के लोगों को भी मिनटों में ऑनलाइन कर्ज मिल जाता है. ये लोन ऐप्स इन लोगों को बेहद छोटी रकम का कर्ज देते हैं, लेकिन बदले में 15 से 20 फीसदी तक का बेहद ऊंचा ब्याज वसूलते हैं. इनके कामकाज का तरीका कुछ-कुछ गली-मोहल्ले में ब्याज पर पैसा देने वाले अवैध सूदखोरों जैसा ही होता है, बस ये लोग ऑनलाइन काम करते हैं.

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वैरीफिकेशन नहीं कराते मोबाइल डाटा हैक करते हैं

ये कस्टमर वैरीफिकेशन के लिए RBI की तरफ से तय नियम फॉलो नहीं करते बल्कि लोन लेने वाले का मोबाइल डाटा ही एक तरीके से हैक कर लेते हैं. लोन लेने वाले को मोबाइल में एप्लिकेशन डाउनलोड कर ऑनलाइन फॉर्म भरना पड़ता है. इससे पहले मोबाइल यूजर को फोन की कॉन्टेक्ट लिस्ट, फोटोज, वीडियोज और अन्य डिजिटल कंटेंट का एक्सेस एप्लिकेशन को देना पड़ता है. इसी के साथ सारा डाटा ऐप्स संचालकों के पास पहुंच जाता है.

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कर्ज की रकम से ही काट लेते हैं ब्याज

ऐप्स के जरिए कर्ज देते समय कर्जदार को बहुत सारी जानकारियां नहीं दी जाती हैं. इनमें से एक कर्ज की रकम में से ही पहली किस्त का ब्याज काटना भी शामिल है. इसके बाद ज्यादातर एप्लिकेशन रोजाना या साप्ताहिक आधार पर ब्याज वसूली शुरू करती हैं.

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फर्जी न्यूड फोटो करते हैं तैयार, फिर करते हैं ब्लैकमेलिंग

कई लोन ऐप्स पर फोन डाटा से फोटो चुराने का भी आरोप है. आरोप है कि इन फोटो की मदद से कर्ज लेने वाले या उसके परिजनों की नकली न्यूड फोटोज तैयार कर लिए गए और ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी. इससे परेशान होकर कई लोगों ने सुसाइड भी कर ली है. चंडीगढ़ साइबर सेल के हत्थे चढ़े गिरोह की ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर ही 58 लोगों के सुसाइड करने की पुष्टि हो चुकी है. मध्य प्रदेश के इंदौर में तो पति-पत्नी और दोनों बच्चों के सुसाइड करने का मामला सामने आ चुका है.

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अवैध है पूरी तरह से ये गोरखधंधा, 100 से ज्यादा एप्स सक्रिय

सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय की बैठक में RBI की तरफ से इन एप्स का पूरा लेखाजोखा दिया गया. बताया गया कि गूगल ऐप स्टोर (Google App Store) पर ऐसी करीब 100 से ज्यादा लोन ऐप्स की पहचान हो चुकी है, जिनका रिजर्व बैंक के सिस्टम से दूर-दूर तक कोई लेनादेना नहीं है. 

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 के पहले दो महीने में ऐप स्टोर की जांच की गई थी. उस जांच में 1,100 से ज्यादा डिजिटल लोन ऐप्स भारत में सक्रिय मिले थे. RBI इनमें से लगभग 600 ऐप्स को प्ले स्टोर से हटवा चुका है.

बाकी बची ऐप्स को हटवाने के लिए गूगल से बात की जा रही है. इसके अलावा RBI ने कानूनी रूप से वैध बैंकों व NBFC की ऐप्स की एक White List भी तैयार करने का निर्णय लिया है, जिसे गूगल के साथ साझा किया जाएगा. 

गूगल ने भी अगस्त में बताया था कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में प्ले स्टोर पर सक्रिय करीब 2000 लोन ऐप्स चिह्नित किए गए. इन सभी को प्ले स्टोर से हटा दिया गया है.

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हवाला के जरिए चीन भेजा जाता है पूरा पैसा

ED और अन्य जांच एजेंसियों के साथ ही कई राज्यों की पुलिस की छानबीन में इन लोन ऐप्स के लिंक चीन से ही जुड़े मिले हैं. इन ज्यादातर ऐप्स के सर्वर चीन में ही मौजूद हैं, जहां फोन का डाटा सेव किया जाता है. कुछ ऐप्स के सर्वर पाकिस्तान के कराची, बांग्लादेश के ढाका, नेपाल के काठमांडू और श्रीलंका के कोलंबो में भी मिले हैं, लेकिन वहां भी इनका फाइनल सर्वर चीन से ही लिंक पाया गया है.

अब तक हुई गिरफ्तारियों में भी कई मामलों में चीनी नागरिक अलग-अलग जगह की पुलिस के हत्थे चढ़े हैं. बेंगलुरु में ED ने चीनी आदमियों के कंट्रोल वाली 6 मुखौटा कंपनियों के परिसरों पर छापे मारकर 17 करोड़ रुपये जब्त किए थे.

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कोरोना के दौर में तेजी से फैला ये अपराध

अब तक हुई जांच के मुताबिक, ये अपराध कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी के दौर में ज्यादा तेजी से फैला है, जब बहुत बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए और उन्हें घर चलाने के लिए कर्ज की जरूरत पड़ी. ऐसे में बिना वैरीफिकेशन और बिना गारंटर के लोन देने वाली ये ऐप्स परेशान लोगों को एक बढ़िया जरिया दिखाई दीं. इसके चलते बड़ी तेजी से लोग इनके चंगुल में फंसते गए.

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हर राज्य में हैं शिकायतें

इन लोन एप्स की तरफ से डराने-धमकाने जैसी शिकायतें देश के लगभग हर राज्य में हैं. मध्य प्रदेश में 900 से ज्यादा, चंडीगढ़ में 150 से ज्यादा, दिल्ली में भी 500 से ज्यादा मामले पुलिस के पास पहुंचे हैं.

लोगों के दस्तावेज चुराकर कर रहे धोखाधड़ी

बेंगलुरु में ED के छापे में सामने आए सबूतों से यह भी जानकारी मिली कि ये लोन ऐप्स लोगों के मोबाइल से उनके पर्सनल दस्तावेज भी चुरा रही हैं. ऐसे दस्तावेजों की मदद से भारतीय नागरिकों को कंपनियों का डायरेक्टर दिखाकर मुखौटा कंपनियां तैयार की जा रही हैं, जिनसे यहां वसूली जाने वाली रकम को कई देशों के नेटवर्क से घुमाकर चीन ट्रांसफर किया जा रहा है.

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कई जगह हुई है गिरफ्तारी

  • फरवरी में 2 चीनी नागरिकों और 115 नेपालियों की गिरफ्तारी लोन ऐप्स के धंधे में की गई.
  • 12 सितंबर को चंडीगढ़ पुलिस ने एक चीनी नागरिक समेत 21 लोग 5 राज्यों से गिरफ्तार किए.
  • तमिलनाडु पुलिस ने चेन्नई में 2 चीनी नागरिकों समेत 4 आरोपी लोन ऐप्स संचालन में पकड़े हैं.
  • हैदराबाद पुलिस ने भी लोन ऐप्स से कर्ज देकर धमकी देने वाले चीनी नागरिक को गिरफ्तार किया.
  • दिल्ली पुलिस ने 21 अगस्त को 22 लोगों को गिरफ्तार किया, जो एक चीनी नागरिक से आदेश लेते थे.
  • 11 सितंबर को गुरुग्राम और नोएडा में भी कॉल सेंटर के जरिए लोन ऐप्स चलाने वाले 4 लोग दबोचे.

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