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G-20 Summit में चीनी डेलीगेशन में आए थे जासूस? 8 पॉइंट्स में जानिए होटल में हुए बैग विवाद का पूरा सच

Delhi News: भारत की मेजबानी में 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन पूरी तरह सफल रहा है. इस दौरान चीन की भूमिका कुछ ऐसी रही है, जिससे चीन इस सम्मेलन में सरकारी डेलीगेशन के जरिये जासूसी कराने की कोशिश में घिर गया है.

G-20 Summit में चीनी डेलीगेशन में आए �थे जासूस? 8 पॉइंट्स में जानिए होटल में हुए बैग विवाद का पूरा सच

Representational Photo

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डीएनए हिंदी: Latest News in Hindi- दिल्ली में पिछले सप्ताह भारत की मेजबानी का डंका पूरी दुनिया में बज गया. दुनिया की आर्थिक महाशक्तियों के समूह जी-20 के शिखर सम्मेलन के आयोजन को हर तरफ सराहना मिली है. हालांकि इस आयोजन को लेकर पड़ोसी देश होने के बावजूद चीन की हरकतें सवालिया रही हैं. पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ऐन मौके पर इस आयोजन के लिए भारत आने से दूरी बना ली. इसके बाद अब कुछ ऐसी बातें सामने आई हैं, जिनसे इस सम्मेलन के दौरान चीन के जासूसी की कोशिश करने का भी संदेह हो रहा है. 

आइए 8 पॉइंट्स में जानते हैं क्या रहा है पूरा विवाद

1. ताज होटल में ठहराया गया था चीनी डेलीगेशन

जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति की जगह वहां के प्रधानमंत्री ली कियांग आए थे. उनके साथ एक भारीभरकम डेलीगेशन भी दिल्ली पहुंचा था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी प्रधानमंत्री और डेलीगेशन के ठहरने का इंतजाम दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित ताज पैलेस होटल में किया गया था. इसी होटल में चीनी डेलीगेशन के चेक-इन करने के दौरान कुछ बैग को लेकर विवाद हुआ है.

2. प्रोटोकॉल के कारण बिना तलाशी के कमरे में भेजे गए बैग

चीनी डेलीगेशन के सामान में कई बैग इतने बड़े थे कि उन्हें देखकर होटल में तैनात की गई सुरक्षा टीम को वे बेहद अजीब लगे. राजनयिक प्रोटोकॉल के कारण उन बैग को बिना तलाशी के ही कमरे में भेजा गया. होटल के कमरे में बैग पहुंचाने वाले कर्मचारीने सुरक्षाकर्मियों को उनके अंदर संदिग्ध उपकरण होने की जानकारी दी. इसके बाद इन बैगों की सूचना भारतीय खुफिया एजेंसियों के आला अधिकारियों को दी गई.

3. बैग स्कैन कराने के लिए तैयार नहीं हुए चीनी अधिकारी

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों की सलाह के बाद प्रोटोकॉल के बावजूद सुरक्षा के मुद्दे पर चीनी डेलीगेशन के बैग स्कैन करने का निर्णय लिया गया. इसकी जानकारी चीनी अधिकारियों को दी गई, लेकिन उन्होंने बैग स्कैन कराने से स्पष्ट इंकार कर दिया. पुलिस के लगातार बैग चेक कराने को लेकर जोर दिए जाने के बावजूद चीनी अधिकारियों के इंकार करने पर हालात टकराव जैसे बन गए. 

4. चीनी डेलीगेशन चाहता था प्राइवेट इंटरनेट कनेक्शन

चीनी डेलीगेशन के बैग चेक कराने से इंकार के बाद अपने लिए होटल में सिक्योर प्राइवेट इंटरनेट कनेक्शन की मांग करने से भी संदेह के हालात बन गए. होटल ने चीनी डेलीगेशन को ऐसा इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया. चीनी डेलीगेशन ने प्राइवेट इंटरनेट कनेक्शन मांगने का कारण भी नहीं बताया.

5. बढ़ते प्रेशर के बाद बैग लेकर अपने दूतावास चले गए चीनी अधिकारी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब बैग चेक करने के लिए चीनी डेलीगेशन पर लगातार दबाव बढ़ता रहा तो करीब 12 घंटे बाद वे अपने दूतावास चले गए. दूतावास जाते समय चीनी अधिकारी अपने साथ संदिग्ध बैग भी ले गए. इसके कुछ समय बाद वे होटल में वापस लौट आए.

6. दूतावास से लौटने के बाद चेक कराए बैग

चीनी अधिकारी कुछ समय बाद दूतावास से होटल में वापस लौटे. इसके बाद उन्होंने सिक्योरिटी टीम को बुलाकर अपने बैग चेक करने के लिए खुद कहा. मीडिया रिपोर्ट्स में होटल के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि उस समय बैग में कुछ भी संदिग्ध नहीं निकला, लेकिन चीनी अधिकारियों के बैग लेकर पहले दूतावास जाने और वहां से लौटने के बाद जांच कराने से भी संदेह के हालात बने हैं. माना जा रहा है कि बैग के अंदर से कोई खास उपकरण दूतावास में निकाल लिया गया और इसके बाद बैग की जांच करने की इजाजत दी गई.

7. ताज होटल में ही ठहरे हुए थे ब्राजील के राष्ट्रपति

ताज पैलेस होटल में ही ब्राजील के राष्ट्रपति भी ठहरे हुए थे, जो जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए हुए थे. ब्राजील जी-20 सम्मेलन का अगला मेजबान भी है. ब्राजील और चीन के बीच बहुत गहरे आर्थिक संबंध नहीं हैं. ऐसे हालात में ब्राजीली राष्ट्रपति की मौजूदगी वाले होटल के अंदर ही चीनी डेलीगेशन की ऐसी हरकतों से कई तरह के संदेह पैदा हुए हैं.

8. चाणक्यपुरी इलाके में हैं कई देशों के दूतावास

ताज पैलेस होटल चाणक्यपुरी इलाके में मौजूद है, जिसे दिल्ली का VVIP जोन भी कहा जाता है. ऐसे इलाके में चीनी डेलीगेशन के पास संदिग्ध उपकरण होने का मतलब दूसरे देशों की होटल से जासूसी की कोशिश से लगाया जा रहा है. हालांकि इस पूरे विवाद को लेकर भारतीय एजेंसियों ने कोई बयान नहीं दिया है. चीन की तरफ से भी इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया गया है यानी चीन भी इस पूरे मामले को बिना चर्चा में आए ही शांत करने की कोशिश में है. 

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