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Income Tax Vs TDS : इनकम टैक्स और टीडीएस में क्या होता है अंतर, जाने यहां 

Income Tax Vs TDS : इनकम टैक्स और टीडीएस में काफी अंतर होता है. जब उनकी गणना करने की बात आती है तो दोनों करों का एक अलग मैकेनिज्म होता है.

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डीएनए हिंदी: इनकम टैक्स और टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (Income Tax Vs TDS) दो सबसे आम शब्द हैं जो टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को अक्सर देखने को मिलते हैं. ये सुनने में एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन इनकम टैक्स (Income Tax) और टीडीएस (TDS) में काफी अंतर है. जब उनकी गणना करने की बात आती है तो दोनों टैक्सेस का एक अलग मैकेनिज्म या सिस्टम होता है. इसलिए, टैक्स रिटर्न दाखिल करने से पहले, सैलरीड लोगों के लिए इन शर्तों से संबंधित भ्रम से बचने और इन करों की प्रासंगिकता और निहितार्थ को समझना आवश्यक है. आइए आपको भी बताते हैं कि टीडीएस और इनकम टैक्स में क्या अंतर है.

Income Tax क्या है 
आयकर एक वो कंपलसरी कंट्रीब्यूशन है तो किसी व्यक्ति की इनकम पर उनकी  कमाई के अनुसार लगाया जाता है. आपकी ग्रॉस इनकम से काटे गए धन के लिए मानक टैक्स स्लैब रेट्स हैं. दूसरे शब्दों में, इनकम टैक्स यानी आयकर हमारी आमदनी पर लगने वाला टैक्स है. हर साल हमें अपनी आमदनी में से एक निर्धारित हिस्सा केंद्र सरकार को देना पड़ता है.

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TDS किसे कहते है
टीडीएस एक डायरेक्ट टैक्सेशन का तरीका है, जिसकी शुरुआत इनकम सोर्स (आय के सोर्स) से या इनकम पेआउट (आय की अदायगी) के समय से ही टैक्स एकत्रित करने के लिए की गई. टीडीएस का फुल फॉर्म है टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स यानि स्त्रोत पर की गई टैक्स (कर) कटौती. इस पद्धति के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति (कटौती करनेवाला/ डिडक्टर) किसी अन्य व्यक्ति को भुगतान करने के लिए ज़िम्मेदार है तो वह सोर्स (स्त्रोत) पर टैक्स में डिडक्शन (कटौती) कर शेष रकम डिडक्टी को ट्रान्स्फर करेगा. काटी गई टीडीएस राशि केंद्रीय सरकार को भेज दी जाएगी. फॉर्म 26एएस या डिडक्टर (कटौती करनेवाले) द्वारा जारी किए गए टीडीएस सर्टिफिकेट (प्रमाणपत्र) में डिडक्टी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) राशि की जाँच कर सकता है. टीडीएस टैक्स चोरी पर नियंत्रण रखने में मदद करता है. इतना ही नहीं, इस पद्धति में टैक्स पेयर (करदाता) को वित्तीय वर्ष के अंत में वार्षिक कर के रुप में एक बड़ी राशि का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती. 

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Income Tax और TDS के बीच अंतर

  • आयकर और टीडीएस अलग-अलग तरीकों से टैक्स कलेक्शन करने के दो रूप हैं.
  • एनुअल इनकम पर इनकम टैक्स का भुगतान किया जाता है, जहां किसी विशेष वित्तीय वर्ष के लिए टैक्स की गणना की जाती है.
  • टीडीएस किसी विशेष वर्ष में समय-समय पर सोर्स पर काटा जाता है.
  • इनकम टैक्स का भुगतान सीधे सरकार को किया जाता है। साथ ही, टीडीएस किसी की टैक्स लायबिलिटी खत्म करने का एक इनडायरेक्ट तरीका है, जहां करों का कटौतीकर्ता सरकार के लिए कर वसूली की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाता है.
  • एक वित्तीय वर्ष के दौरान एक व्यक्ति (असेसी) द्वारा अर्जित कुल आय पर आयकर लगाया जाता है.
  • टीडीएस के तहत, इनकम टैक्स कानून केवल निर्धारित भुगतान करने वाले कुछ व्यक्तियों पर सोर्स पर टैक्स काटने का दायित्व रखता है.
  • एक निश्चित वित्तीय वर्ष के पूरा होने के बाद उस विशेष अवधि के लिए निर्धारित टैक्स लिमिट से ऊपर अर्जित आय के लिए सभी वेतनभोगी व्यक्तियों या संस्थाओं पर इनकम टैक्स लगाया जाता है.
  • टीडीएस में, टैक्स कटौती और भुगतान की पूरी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप टैक्सपेयर्स को आय प्राप्त होने से पहले ही करों का भुगतान करना पड़ता है.
     

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