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Jitiya Vrat Katha 2022: व्रत के दिन यह पौराणिक कथा जरूर सुनें, संतान की लंबी उम्र का मिलेगा फल

Jitiya vrat के दिन संतान प्राप्ति से जुड़ी यह कथा सुनने से आपको मन चाहा फल मिलेगा, इसलिए व्रत के दिन महिलाओं पौराणिक कथा सुननी चाहिए, इस दिन है व्रत

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डीएनए हिंदी : Jitiya Vrat 2022 Date and Katha in Hindi- जितिया व्रत सिर्फ बिहार, बंगाल या फिर झारखंड में होता है ऐसा नहीं है. कई और राज्यों में भी महिलाएं बहुत ही श्रद्धा के साथ इसे मनाती हैं. बिहार में इसका खास महत्व है. जितिया का पर्व बहुत ही कठिन होता है, महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को मनाती हैं. जितिया या ज्यूतिया और शुद्ध रूप में कहें तो जीवित्पुत्रिका व्रत कहते हैं. अपनी संतान के लिए रखे जाने वाला यह व्रत अलग ही महत्व रखता है. 

कब है व्रत, तिथि 

इस साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 17 सितंबर 2022 को दोपहर 2.14 मिनट से शुरू होगी.अष्टमी तिथि का समापन 18 सितंबर 2022 को शाम 04.32 मिनट तक रहती है.उदयातिथि के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा.यह है इस व्रत की कथा

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कथा 

इस व्रत का संबंध महाभारत काल से जुड़ा है. युद्ध में पिता की मृत्‍यु के बाद अश्वत्थामा बहुत क्रोधित था, पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए पांडवों के शिविर गया और उसने पांच लोगों की हत्‍या कर दी. उसे लगा कि उसने पांडवों को मार दिया, लेकिन पांडव जिंदा थे, जब पांडव उसके सामने आए तो उसे पता लगा कि वह द्रौपदी के पांच पुत्रों को मार आया है. यह सब देखकर अर्जुन ने क्रोध में अश्‍वथामा को बंदी बनाकर दिव्‍य मणि को छीन लिया.

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अश्वत्थामा ने इस बात का बदला लेने के लिए अभिमन्‍यु की पत्‍नी उत्‍तरा के गर्भ में पल रही संतान को मारने की योजना बनाई. उसने गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया, जिससे उत्‍तरा का गर्भ नष्‍ट हो गया लेकिन उस बच्चे का जन्म लेना बहुत जरूरी था. इसलिए भगवान कृष्‍ण ने उत्‍तरा की अजन्‍मी संतान को गर्भ में ही फिर से जीवित कर दिया. गर्भ में मरकर जीवत होने की वजह से इस तरह उत्‍तरा के पुत्र का नाम जीवितपुत्रिका पड़ गया और तब से ही संतान की लंबी आयु के लिए जितिया व्रत किया जाने लगा

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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