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National Herald Case: नेशनल हेराल्ड दफ्तर पर ED की छापेमारी, सोनिया-राहुल से हाल में हुई थी पूछताछ

National Herald Case: नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ के बाद ईडी की टीम हेराल्ड हाउस पर छापेमारी करने पहुंची है.

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डीएनए हिंदीः नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) मामले में बड़ी खबर सामने आ रही है. ईडी की टीम हेराल्ड हाउस पर छापेमारी करने पहुंची है. ईडी ने दिल्ली में एक साथ 12 जगहों पर छापेमारी की है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पिछले दिनों ईडी ने पूछताछ की थी. सोनिया गांधी से पूछताछ के विरोध में कांग्रेस ने सत्याग्रह भी किया था. 

कब हुआ खुलासा
दरअसल बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने गलत तरीके से यंग इंडियन लिमिटेड (वाईआईएल) के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का अधिग्रहण किया है. उन्होंने आरोप लगाया था कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को टीजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया है.

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
जवाहर लाल नेहरु समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने Associate Journal Limited नाम से 1938 में एक कम्पनी बनाई थी, जो National Herald नाम से एक अखबार प्रकाशित करती थी. चूंकि ये कंपनी अखबार प्रकाशित करती थी, इसलिए इसे कई शहरों में सस्ते दामों पर सरकारों से जमीनें मिली. आरोप ये है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने एक ऐसी कम्पनी बनाई, जिसका मकसद कारोबार करना नहीं था. बल्कि वो इस कम्पनी के जरिए AJL को खरीदकर उसकी 2 हज़ार करोड़ रुपये की सम्पत्ति को अपने नाम पर करना चाहते थे. वर्ष 2011 में ऐसा ही हुआ. उस समय सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कम्पनी यंग इंडिया लिमिटेड ने AJL को टेकओवर कर लिया. इस तरह केवल 50 लाख रुपये चुकाकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी 2 हजार करोड़ रुपये की संपति के मालिक बन बैठे. आज उनसे होने वाली पूछताछ भारतीय राजनीति के लिए काफी अहम होने जा रही है. इसे आप चार अहम बदलावों के रूप में देख सकते हैं. 

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एजेएल की क्या भूमिका 
एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है. जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपये की देनदारियों को अपने जिम्मे ले लिया था. इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है. बाकी की 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास थी. इसके बाद टीएजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर 'यंग इंडियन ' को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था. 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया. यानी 'यंग इंडियन' को मुफ्त में टीएजेएल का स्वामित्व मिल गया. 

किन-किन पर लगा आरोप
इस मामले में सोनिया और राहुल गांधी के अलावा कई और कांग्रेस नेताओं का भी नाम सामने आया. जांच में सामने आया कि नवंबर 2010 में यंग इडिंया नाम से कंपनी बनाई, जिसमें उन दोनों के 76 प्रतिशत शेयर थे. उनके अलावा मोती लाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास शेष बचे 24 प्रतिशत शेयर थे. इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नाडिस के अलावा सुमन दूबे और सैम पित्रोदा भी आरोपी है. इन आरोपियों में से मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस की साल 2020 और 2021 में मौत हो चुकी है.

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7 साल से जमानत पर बाहर हैं सोनिया-राहुल 
नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नाडिस के अलावा सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को आरोपी बनाया गया है. इन आरोपियों में से मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस की साल 2020 और 2021 में मौत हो चुकी है. बाकी बचे सभी आरोपियों को दिसंबर 2015 में इस मामले में निचली अदालत से जमानत मिली हुई है. साल 2014 में प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच शुरू की. 18 सितंबर 2015 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड केस को जांच के लिए फिर से खोल दिया.

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