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नए आपराधिक कानूनों को मिल गई राष्ट्रपति की मंजूरी, जानिए क्या-क्या बदल गया 

BNS Replace IPC: राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद तीन नए आपराधिक कानूनों ने पुराने कानूनों की जगह ले ली है.

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Indian Parliament Passed These Bills in Winter Session 

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डीएनए हिंदी: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही ये तीनों बिल अब कानून बन गए हैं. ये नए कानून बनने के साथ ही भारतीय न्याय संहिता कानून अब आईपीसी (इंडियन पीनल कोड) की जगह लेगा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इन कानूनों की खूबियां बताते हुए कहा था कि इनमें महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है. 

आईपीसी में पहले कुल 511 धाराएं हुआ करती थीं अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में 358 धाराएं होंगी. वहीं, सीआरपीसी की जगह लेने वाले बीएनएसएस में कुल 531 धाराएं होंगी. इसके अलावा, भारतीय साक्ष्य संहिता में 170 धाराएं होंगी. नए कानून में राजद्रोह को हटाकर देशद्रोह शब्द लिख दिया गया है. अब बीएनएस की धारा 150 देशद्रोह से जुड़े मामलों में लागू की जाएगी.

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नए कानून में धारा 375 और 376 की जगह बलात्कार की धारा 63 होगी. सामूहिक बलात्कार की धारा 70 होगी, हत्या के लिए धारा 302 की जगह धारा 101 होगी. भारतीय न्याय संहिता में 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है, जिसमें एक नया अपराध मॉब लिंचिंग है. इसमें मॉब लिंचिंग पर भी कानून बनाया गया है. 41 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है. 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है. 25 अपराधों में न्यूनतम सजा की शुरुआत की गई है. 6 अपराधों में सामूहिक सेवा को दंड के रूप में स्वीकार किया गया है और 19 धाराओं को निरस्त किया गया है.

क्या-क्या बदल गया?
इसी तरह भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत 170 धाराएं होंगी, 24 धाराओं में बदलाव किया गया है. नई धाराएं और उपाधाराएं जोड़ी गई हैं. लोकसभा ने इन तीनों विधेयकों को 20 दिसंबर और राज्यसभा ने 21 दिसंबर को पारित किया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ये बिल संसद में रखे थे, जिन्हें ध्वनि मत से पारित किया गया. सोमवार को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी के बाद ये बिल कानून बन गए.

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इन बिलों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा था, 'मैं जो बिल राज्यसभा में लेकर आया हूं उनका उद्देश्य दंड देने का नहीं है, इसका उद्देश्य न्याय देना है. इन विधेयकों की आत्मा भारतीय है. व्यास, बृहस्पति, कात्यायन, चाणक्य, वात्स्यायन, देवनाथ ठाकुर, जयंत भट्ट, रघुनाथ शिरोमणि अनेक लोगों ने जो न्याय का सिद्धांत दिया है, उसको इसमें कॉन्सेप्चुलाइज़ किया गया है. सरकार का मानना है कि यह कानून स्वराज की ओर बड़ा कदम है.'

गृहमंत्री का कहना है कि स्वराज मतलब स्वधर्म को आगे बढ़ाना है, स्वभाषा को जो आगे बढ़ाए वह स्वराज है. जो स्व संस्कृति को आगे बढ़ाए वह स्वराज है. स्व शासन को जो प्रस्थापित करे, वह स्वराज है. अमित शाह के मुताबिक, यह कानून लागू होने के बाद तारीख पर तारीख का जमाना चला जाएगा. तीन साल में किसी भी पीड़ित को न्याय मिल जाए, ऐसी न्याय प्रणाली इस देश के अंदर प्रतिस्थापित होगी.

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