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Gotabaya Rajapaksa: युद्ध के हीरो से 'फरार नेता' तक का सफर, जानिए कैसी रही गोटबाया राजपक्षे की जिंदगी

Gotabaya Rajapaksa life story: श्रीलंका के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के लिए मजबूर हुए गोटबाया राजपक्षे एक समय पर श्रीलंका के लोगों के लिए युद्ध के हीरो हुआ करते थे.

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देश छोड़ने पर मजबूर हो गए गोटबाया राजपक्षे

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डीएनए हिंदी: आज श्रीलंका में जारी संकट (Sri Lanka Crisis) के बीच देश से फरार होने पर मजबूर हो गए गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) एक समय पर 'युद्ध के हीरो' माने जाते थे. 90 के दशक में जब श्रीलंका में उग्रवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) का आतंक चरम पर था तो उस हिंसक आंदोलन को कुचलने और लगभग 30 साल तक चले गृह युद्ध को खत्म करने के लिए श्रीलंका के लोगों ने उन्हें सिर-आंखों पर बिठा लिया था. अब गोटबाया राजपक्षे और उनके भाई महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) के खिलाफ श्रीलंका में ऐसा माहौल बना कि दोनों ही भाई अपना-अपना पद छोड़कर श्रीलंका से भागने पर मजबूर हो गए.

पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई और 73 वर्षीय नेता गोटबाया राजपक्षे एक पूर्व सैन्य अधिकारी हैं, जिन्होंने 1980 में असम में ‘काउंटर इन्सर्जेंसी एंड जंगल वारफेयर स्कूल’ में प्रशिक्षण लिया था. वह सैन्य पृष्ठभूमि वाले पहले शख्स हैं जिन्हें 2019 में भारी जनादेश के साथ श्रीलंका का राष्ट्रपति चुना गया था. उन्होंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा ऐसे वक्त में दिया है जब देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में ले जाने का जिम्मेदार उन्हें ठहराते हुए प्रदर्शनकारियों ने उनके आधिकारिक आवास पर कब्जा जमा लिया था.

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आर्थिक संकट से जूझ रहा है श्रीलंका
श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद के सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. देश में विदेशी मुद्रा का भंडार खत्म हो गया है, जिसका मतलब है कि वह खाने-पीने की चीजों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर सकता, जिससे इन चीजों की भारी किल्लत हो गई है और महंगाई आसमान छू रही है. गोटबाया राजपक्षे ने बढ़ते दबाव के बाद अप्रैल महीने में अपने बड़े भाई चामल और बड़े भतीजे नामल को मंत्रिमंडल से हटा दिया था. बाद में महिंदा राजपक्षे ने भी इस्तीफा दे दिया था, जब उनके समर्थकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया था, जिससे देश के कई हिस्सों में राजपक्षे परिवार के समर्थकों के खिलाफ हिंसा भड़क उठी थी.

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गोटबाया राजपक्षे ने रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री बनाकर कुछ हफ्तों तक संकट पर काबू करने की कोशिश की लेकिन अंतत: वह नाकाम रहे और व्यापक प्रदर्शनों के बीच उन्हें अपना आधिकारिक आवास छोड़ना पड़ा. एक अज्ञात स्थान से गोटबाया राजपक्षे ने शनिवार रात को संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने को सूचित किया कि वह बुधवार को इस्तीफा देंगे. हालांकि, वह पद से इस्तीफा दिए बगैर देश छोड़कर मालदीव चले गए. मालदीव से वह सिंगापुर चले गए. सिंगापुर पहुंचने के बाद राजपक्षे ने अध्यक्ष को अपना इस्तीफा पत्र भेजा. 

गोटबाया राजपक्षे पर हुआ था आत्मघाती हमला
श्रीलंका के सिंहली बौद्ध बहुसंख्यक समुदाय ने लिट्टे के नेता वी. प्रभाकरण की 2009 में मौत के बाद संघर्ष खत्म करने में निभायी भूमिका के लिए राजपक्षे को 'वॉर हीरो' का खिताब दिया था. हालांकि, उन पर मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगा. राजपक्षे पर राजनीतिक हत्याओं के भी आरोप लगे. लिट्टे के निशाने पर आए राजपक्षे दिसंबर 2006 में एक आत्मघाती हमलावर की हत्या की कोशिश में बच गए थे. उन्हें चीन की ओर झुकाव रखने वाला भी माना जाता है. महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में चीन ने श्रीलंका में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करना शुरू किया था.

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आलोचकों का कहना है कि महिंदा के कारण देश चीन के कर्ज के जाल में फंसना शुरू हुआ. महिंदा के कार्यकाल में चीन ने हंबनटोटा बंदरगाह के लिए कर्ज दिया और कर्ज न चुका पाने के कारण देश ने उसे 99 साल के पट्टे पर बीजिंग को सौंप दिया था. श्रीलंका हिंद महासागर में अपनी अहम सामरिक स्थिति के कारण समुद्री मार्गों पर व्यापार करने का ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और चीन भी हिंद-महासागर में तेजी से अपना दबदबा बना रहा है. 

सेना में काम कर चुके हैं राजपक्षे
मतारा जिले के पलातुवा में 20 जून 1949 को जन्मे राजपक्षे नौ भाई-बहनों में पांचवें नंबर के हैं. उनके पिता डी. ए. राजपक्षे 1960 के दशक में विजयनंद दहानायके की सरकार में प्रमुख नेता थे और श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के संस्थापक सदस्य भी थे. राजपक्षे ने कोलंबो में आंनदा कॉलेज से प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा हासिल की और कोलंबो विश्वविद्यालय से 1992 में सूचना प्रौद्योगिकी में परास्नातक की डिग्री हासिल की. वह 1971 में कैडेट अधिकारी के तौर पर सीलोन आर्मी में शामिल हुए. उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में 1983 में मास्टर की डिग्री प्राप्त की. उन्हें 1991 में सर जॉन कोटेलावाला रक्षा अकादमी में डिप्टी कमांडेंट नियुक्त किया गया. सेना में 20 साल तक दी सेवा के दौरान राजपक्षे को देश के तीन राष्ट्रपति जे. आर. जयवर्दने, राणासिंघे प्रेमदास, राजपक्षे से वीरता पुरस्कार मिले.

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सेना से रिटायरमेंट के बाद गोटबाया राजपक्षे ने कोलंबो की एक आईटी कंपनी में नौकरी की. इसके बाद वह 1998 में अमेरिका चले गए और लॉस एंजिलिस में लोयोला लॉ स्कूल में एक आईटी पेशेवर के तौर पर काम किया. वह 2005 में अपने भाई महिंदा के राष्ट्रपति पद के लिए प्रचार अभियान में मदद करने के लिए श्रीलंका लौटे. इस दौरान उन्होंने श्रीलंका से दोहरी नागरिकता हासिल की. इसके बाद नवंबर 2005 में तत्कालीन नव निर्वाचित राष्ट्रपति महिंदा ने उन्हें रक्षा मंत्री बनाया. इस पद पर रहते हुए उन्होंने मई 2009 में लिट्टे को कुचल दिया और 'वॉर हीरो' का खिताब हासिल किया. राजपक्षे विवाहित हैं और उनका एक बेटा है.

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