Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Bihar Caste Reservation: बिहार में 65% होगा जातिगत आरक्षण, जानिए बिहार सरकार विधानसभा में लाई है क्या प्रस्ताव

Bihar Caste Reservation News: बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को जातिगत जनगणना की रिपोर्ट पेश की गई है. इस पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है.

Bihar Caste Reservation: बिहार में 65% होगा जातिगत आरक्षण, जानिए बिहार सरकार विधानसभा में लाई है �क्या प्रस्ताव

Bihar के मुख्यमंत्री Nitish Kumar.

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: Bihar Latest News- बिहार में सरकारी नौकरियों और एजुकेशन में जातिगत आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 65% करने का प्रस्ताव रखा गया है. यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में रखा. इससे पहले राज्य सरकार ने विधानसभा के पटल पर जातिगत जनगणना की रिपोर्ट रखी, जिसमें बिहार राज्य के इकोनॉमिक और एजुकेशन से जुड़े आंकड़े पेश किए गए हैं. इस रिपोर्ट में बिहार की एक तिहाई से ज्यादा जनसंख्या गरीबी की रेखा के नीचे रहने की जानकारी दी गई है. इसी रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है.

किस वर्ग को मिलेगा कितना आरक्षण

नीतीश कुमार ने राज्य में सभी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग की परिभाषा के तहत जातीय जनगणना कराई थी. इस जातीय जनगणना की विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में 215 जातियों की आर्थिक स्थिति का पूरा ब्योरा पेश किया गया है. इसी आधार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव में जातीय आरक्षण का खाका निम्न तरीके से खींचा गया है.

अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)- 43% आरक्षण
(इस 43% में अत्यंत पिछड़ा वर्ग यानी EBC की हिस्सेदारी भी शामिल है)
अनुसूचित जाति (SC)- 20% आरक्षण
अनुसूचित जनजाति (ST)- 2% आरक्षण

गरीबों का 10 फीसदी कोटा मिलाएं तो कुल 75% आरक्षण

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से राज्य में आरक्षण की सीमा को 65% तक बढ़ाए जाने की घोषणा के बाद हलचल मच गई है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यदि राज्य सराकार के इस 65% कोटे के साथ केंद्र सरकार की तरफ से गरीबों के लिए लागू EWS कोटा भी शामिल करें तो कुल आरक्षण 75% पर पहुंच जाएगा. केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का कोटा (Economically Weaker Sections Quota) यानी EWS कोटा घोषित किया था, जिसे सु्प्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. हालांकि साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार के फैसले को सही माना था.

बिहार में ये है मौजूदा आरक्षण व्यवस्था

फिलहाल बिहार में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई अधिकतम 50% आरक्षण की व्यवस्था लागू है. इसमें EBC के लिए 18%, OBC के लिए 12%, SC के लिए 16%, ST के लिए 1% और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए 3% आरक्षण का प्रावधान है. इसके अलावा 10% EWS कोटा भी लागू है.

क्यों रखा है नीतीश कुमार ने ऐसा प्रस्ताव?

दरअसल बिहार सरकार के जातीय जनगणना के आंकड़ों के आधार पर यह प्रस्ताव पेश किया गया है. इस जातीय सर्वे के प्राथमिक आंकड़े 2 अक्टूबर को पेश किए गए थे. इसका दूसरा हिस्सा मंगलवार को बिहार विधानसभा में रखा गया है. इन आंकड़ों में सामने आया है कि राज्य की आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अति पिछड़ा वर्ग (EBC) की जातियों की संख्या सबसे ज्यादा है. ये जातियां राज्य की आबादी का 60% हिस्सा हैं. इनके अलावा अन्य सवर्ण जातियों की आबादी करीब 10 फीसदी है. राज्य के सामान्य वर्ग में 25.9%, पिछड़ा वर्ग के 33.16 %, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58 %, अनुसूचित जाति में 42.93 %, अनुसूचित जनजाति में 42.70 % और अन्य जातियों में 23.72 % गरीब परिवार हैं. इन्हीं आंकड़ों के आधार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 'जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी' फॉर्मूला तय किया है यानी जिन जातियों की आबादी जितनी ज्यादा है, उन्हें उतना ही ज्यादा आरक्षण मिलना चाहिए.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement