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Maharashtra के बागी विधायकों का क्या होगा? जानिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा

Supreme Court Maharashtra MLAs Case: महाराष्ट्र के विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में कोई फैसला न लें.

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सुप्रीम कोर्ट 

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डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के विधायकों (Maharashtra MLAS) की अयोग्यता के मामले पर सोमवार को सुनवाई की. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly Speaker) के स्पीकर को निर्देश दिए हैं कि वह विधायकों की अयोग्यता पर कोई फैसला न लें. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि यह मामला कोर्ट के सामने लंबित है इसलिए वही इस पर अपना फैसला सुनाएगा. आपको बता दें कि शिवसेना विधायकों (Shiv Sena MLAs) की बगावत के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बीजेपी गठबंधन की सरकार बन जाने की वजह से उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था. शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में इन विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन. वी. रमन्ना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की एक बेंच ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की ओर से दाखिल किए उस याचिका पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि उद्धव ठाकरे धड़े की ओर से दायर कई याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई होनी है. कपिल सिब्बल ने कहा, 'अदालत ने कहा था कि याचिकाओं को 11 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा. मैं आग्रह करता हूं कि मामले पर सुनवाई पूरी होने तक अयोग्यता संबंधी कोई फैसला ना किया जाए.'

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम लेंगे फैसला
कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि बागी विधायकों के संपर्क करने पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत दी थी. सिब्बल ने आगे कहा, 'हमारी अयोग्यताओं संबंधी याचिकाओं पर अध्यक्ष कल सुनवाई करने वाले हैं. मामले पर सुनवाई पूरी होने तक किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जाना चाहिए. मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला होना चाहिए.' सुप्रीम कोर्ट की बेंच कहा, 'राज्यपाल की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, आप कृपया विधानसभा अध्यक्ष को सूचित करें कि वह इस संबंध में कोई सुनवाई ना करें. मामले पर सुनवाई हम करेंगे. इसके बाद, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि वह विधानसभा अध्यक्ष तक यह संदेश पहुंचा देंगे.

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आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे के अगुवाई में शिवसेना के बागी विधायकों ने महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ सरकार बना ली. शिंदे गुट के बीजेपी के साथ गठबंधन करने के बाद, उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की हैं. उद्धव ठाकरे गुट ने 3 और 4 जुलाई को हुई महाराष्ट्र विधानसभा की कार्यवाही की वैधता को भी चुनौती दी है, जिसमें विधानसभा के नए अध्यक्ष का चयन किया गया था और इसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शक्ति परीक्षण में बहुमत साबित किया था. 

बागियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था उद्धव ठाकरे गुट
इससे पहले, उद्धव ठाकरे गुट के चीफ व्हिप सुनील प्रभु ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और 15 बागी विधायकों को विधानसभा से निलंबित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने 27 जून को शिंदे गुट को राहत देते करते हुए 16 बागी विधायकों को भेजे गए अयोग्यता नोटिस पर जवाब देने की अवधि 12 जुलाई तक बढ़ा दी थी. महाराष्ट्र के राज्यपाल के शक्ति परीक्षण का आदेश देने के बाद 29 जून को महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया था. 

सुप्रीम कोर्ट के राज्यपाल के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. एकनाथ शिंदे ने 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जिसके बाद सुशील प्रभु ने उन पर और 15 बागी विधायकों पर बीजेपी के प्यादों के तौर पर काम करने, दलबदल कर 'संवैधानिक पाप' करने जैसे आरोप लगाए और उनके निलंबन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

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