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Lok Sabha Elections 2024: अचानक राजनीति को TATA करने लगे Gautam Gambhir, जानिए क्या है पूर्व क्रिकेटर के इस कदम का कारण

Lok Sabha Elections 2024: गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) को दिल्ली ही नहीं पूरे देश में भाजपा का स्टार चेहरा माना जाता है. ऐसे में उनका अचानक राजनीति छोड़ना कई सवाल खड़े कर गया है. 

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Lok Sabha Elections 2024: भाजपा इस समय लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटी हुई है. ऐसे में शनिवार सुबह अचानक भाजपा सांसद और पूर्व भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने राजनीति छोड़ने की घोषणा करके सभी को चौंका दिया है. गंभीर को भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के जरिये राजनीति में एंट्री दी थी, जिसके बाद वे पूर्वी दिल्ली सीट से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे थे. इस बार भी चुनाव में उन्हें पार्टी की तरफ से स्टार चेहरे के तौर पर पेश किए जाने की संभावना जाहिर की जा रही थी, लेकिन अचानक उनकी इस घोषणा से कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. गंभीर ने चुनावी राजनीति से दूरी बनाने की घोषणा एक्स (पहले ट्विटर) पर की, जिसमें उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी पत्र लिखकर दे चुके हैं. आखिर गंभीर ने अचानक ऐसा फैसला क्यों लिया है? आइए आपको इस सवाल का जवाब बताते हैं.


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लोकसभा टिकट कटने की थी संभावना

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, गौतम गंभीर ने पार्टी सांसद के तौर पर भाजपा में कोई खास योगदान नहीं दिया है. पार्टी को पिछले 5 साल के दौरान देश का स्टार क्रिकेटर होने के बावजूद उनका कोई खास लाभ नहीं मिला है. पार्टी की रैलियों में भी गंभीर ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है. ऐसे में इस बार गौतम गंभीर को लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के लिए तरजीह मिलने की संभावना ना के बराबर थी. सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के आला नेताओं ने इस बात के संकेत गंभीर को दे भी दिए थे. ऐसे में माना जा रहा है कि टिकट कटने की संभावित बेइज्जती से बचने के लिए गंभीर ने खुद ही चुनावी राजनीति से दूर होने की बात कहकर पार्टी का काम आसान किया है. भाजपा के उम्मीदवारों की पहली सूची आने से ठीक पहले की गई घोषणा से यही संकेत मिल रहा है.


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स्थानीय नेताओं के साथ नहीं थी जुगलबंदी

सूत्रों का कहना है कि गौतम गंभीर दिल्ली भाजपा के नेताओं से भी दूरियां बनाकर रखते रहे हैं. इसके चलते पार्टी नेता उनसे ज्यादा खुश नहीं हैं. स्थानीय नेताओं से जुगलबंदी नहीं होने का नजारा गंभीर की तरफ से किए गए कई आयोजनों में भी दिखा, जहां पार्टी नेताओं की मौजूदगी ना के बराबर रही है. कहा यह जाता है कि वे पार्टी कार्यकर्ताओं से भी ज्यादा मिलते-जुलते नहीं हैं. भाजपा 'बूथ लेवल' पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी है, जो जानती है कि बूथ पर बैठा कार्यकर्ता ही चुनाव के समय वोटर को मतदान केंद्र तक लाकर जीत दिलाता है. ऐसे में स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी गंभीर के राजनीतिक करियर की बाधा बन रही थी.

राजनीति से ज्यादा क्रिकेट में बिजी

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, गौतम गंभीर राजनीति में आने के बावजूद क्रिकेट जगत में ही ज्यादा बिजी रहे हैं. एकतरफ उनके पास पार्टी की मीटिंगों और रैलियों में आने का समय नहीं है, वहीं दूसरी तरफ वे क्रिकेट कमेंट्री से लेकर कोचिंग तक में लगातार बिजी दिखाई दिए हैं. इसे लेकर भी पार्टी के अंदर से कई सवाल उठ रहे हैं. इस कारण भी गंभीर को राजनीति में अपने आगे बढ़ने के आसार कम दिखाई दे रहे हैं. यह फैसला इस बात का भी संकेत हो सकता है.

दोबारा IPL से जुड़ने के हैं आसार

गौतम गंभीर देश के स्टार क्रिकेटर रहे हैं. उन्होंने भारत को टी20 वर्ल्ड कप 2007 और वनडे वर्ल्ड कप 2011 जिताने में अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा भी उन्होंने देश के लिए कई अहम क्रिकेट पारियां खेली हैं. IPL में भी गौतम एक क्रिकेटर और एक कप्तान, दोनों भूमिका में खासे सफल रहे हैं और KKR को अपनी कप्तानी में खिताब भी जिता चुके हैं. राजनीति में आने के बाद वे IPL से दूर हो गए थे. सूत्रों के मुताबिक, उनके पास कई IPL टीमों की तरफ से मेंटॉरशिप के लिए ऑफर हैं. ऐसे में हो सकता है कि दोबारा Indian Premier League पर ही फोकस करने के लिए उन्होंने चुनावी ड्यूटी को अलविदा कहने का निर्णय लिया है.

पूर्वी दिल्ली सीट पर कड़ा है मुकाबला

पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला कड़ा माना जा रहा है. यहां से AAP (Aam Aadmi Party) ने दलित नेता कुलदीप कुमार (Aap Leader Kuldeep Kumar) को उम्मीदवार बनाया है, जो इसी इलाके से विधायक भी हैं. कुलदीप कुमार को आप के साथ गठबंधन कर चुकी कांग्रेस (Congress) का भी समर्थन रहेगा. ऐसे में BJP के लिए इस सीट पर मुकाबला बेहद मुश्किल माना जा रहा है. यही कारण है कि स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देखते हुए भाजपा के गौतम गंभीर का टिकट काटकर किसी दूसरे को खड़े करने की संभावना सामने आ रही है. यह भी गौतम गंभीर के राजनीति से अलविदा कहने का कारण हो सकता है.

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