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Petrol Price in Sri Lanka: 500 रुपये प्रति लीटर है दाम! 4 से 5 दिन लाइन में लगने का बाद मिल रहा ईंधन

Petrol Price in Sri Lanka: श्रीलंका में पेट्रोल-डीजल की कीमत आसमान छू रही है. भारत के यह पड़ोसी देश ईंधन की भारी किल्लत का सामना कर रहा है. कोलंबों में लोगों को बेहद सीमित मात्रा में पेट्रोल दिया जा रहा है.

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कोलंबो के पेट्रोल पंप के बाहर लंबी कतार

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डीएनए हिंदी: भारत के पड़ोसी मुल्क श्रीलंका के हालात क्या हैं, यह पूरी दुनिया देख रही है. लंबे समय से इस देश में ईंधन की कमी बरकरार है, जिस वजह से लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में पेट्रोल पंपों के बाहर लंबी लाइनों को देखा जा सकता है. लोकल लोगों का दावा है कि उन्हें 4 से 5 दिन इंतजार के बाद सीमित मात्रा में पेट्रोल मिल रहा है. न्यूज एजेंसी ANI द्वारा जारी की गई कुछ तस्वीरों में कोलंबो स्थित एक पेट्रोल पंप पर लंबी लाइनों को देखा जा सकता है.

ईंधन की कीमत 450-500 रुपये/लीटर
ANI द्वारा ट्वीट की गई तस्वीरें बताती हैं कि कोलंबों में पेट्रोल और डीजल की कीमत (Petrol Diesel Price in Sri Lanka) 470 रुपये प्रति लीटर और 500 रुपये प्रति लीटर के बीच है. पेट्रोल पंप पर लगाए गए पोस्टरों से पता चलता है कि एक कार में सिर्फ हजार रुपये का तेल डलवाया जा सकता है जबकि थ्री व्हीलर में 2500 रुपये और टू व्हीलर में अधिकतम 1500 रुपये का तेल डलवाने की इजाजत है.

पेट्रोल पंप पर कतार में लगे एक युवक ने बताया, "मैं यहां गुरुवार को आया था, हम 4-5 दिनों से कतार में इंतजार करते हैं. लेकिन उन्होंने बाइक के लिए 1500 रुपये की सीमा निर्धारित की है - सिर्फ 3 लीटर पर्याप्त नहीं है, हम कूरियर सेवा में हैं."

क्यों संकट में है श्रीलंका की अर्थव्यवस्था?
श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है. मई महीने में श्रीलंका अपने इतिहास में पहली बार अपने विदेशी ऋण का भुगतान करने में विफल रहा. श्रीलंका सरकार इसको लेकर कोरोना को जिम्मेदार ठहराती है. श्रीलंका की सरकार का कहना है कि कोरोना की वजह से उनका पर्यटन व्यापार पूरी तरह से खत्म हो गया. पर्यटन के जरिए ही श्रीलंका सबसे ज्यादा विदेशी मुद्रा अर्जित करता है. श्रीलंका का यह भी कहना है कि पर्यटकों की संख्या में कमी आने की एक वजह 2019 में चर्चों पर हुए घातक बम हमले भी हैं, जिस वजह से पर्यटक भयभीत हो गए. हालांकि बहुत सारे एक्सपर्ट्स का मानना है कि आर्थिक कुप्रबंधन की वजह से श्रीलंका की यह हालत हुई है.

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