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जानें महाभारत में यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछे थे कौन से सवाल, जवाब सुनते ही जिंदा कर दिए थे चारों पांडव

महाभारत में युद्ध के अलावा भी कई सारे ऐसे प्रसंग हैं, जिन्हें जानकर हर कोई हैरान रह जाता है. इन्हीं में से एक यक्ष और युद्धिष्ठिर का वार्तालाप था, जिसमें युधिष्ठिर ने यक्ष के इन सवालों के जवाब दिये थे. 

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जानें महाभारत में यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछे थे कौन से सवाल, जवाब सुनते ही जिंदा कर दिए थे चारों पांडव
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द्वापर युग में पांडवों और कौरवों के बीच हुए युद्ध के साक्ष्य कलयुग में भी मिल चुके हैं. युद्ध की कहानियां भी प्रख्यात है. युद्ध के साथ महाभारत (Mahabharat Yaksha) में यक्ष और युधिष्ठिर के प्रसंग भी अपनी अलग जगह रखता है. इस प्रसंग में बताया जाता है कि पांच पांडवों में चार अपनी एक गलती की वजह से मारे गये थे. इनमें सिर्फ युधिष्ठिर (Yudhisthira) जिंदा बचे थे, जिन्होंने समझदारी और विवेक के बल पर अपने चारों मृतक भाईयों को पुनर्जीवित करा लिया था.

दरअसल जब पांडव अज्ञातवास (Agyatvaas) पर थे. तभी एक दिन युधिष्ठिर ने नकुल को पानी लेने के लिए भेजा था. नकुल ने जंगल में एक तालाब ढूंढने के बाद पानी पीने के लिए झूका ही था. तभी तालाब में मौजूद यक्ष ने नकुल को पानी पीने से रोक दिया. यक्ष ने कहा कि मेरे सवाल का जवाब देने के बाद ही तुम पानी पी सकते हो, नकुल ने प्यास अधिक लगी थी. उसने यक्ष (Yaksha) की बात को अनसुना कर तालाब से पानी पी लिया, जिसे पीते ही नकुल की जान चली गई. नकुल के बहुत देर तक वापसी न करने पर युधिष्ठिर ने सहदेव को उन्हें देखने के लिए भेजा. सहदेव ने भी नकुल की तलाश में तालाब तक जा पहुंचे. यहां सहदेव ने जैसे ही पानी पीने का प्रयास किया, यक्ष ने उनसे भी सवाल पूछा और जवाब न देने पर मरने की चेतावनी दी, लेकिन सहदेव ने भी इसे अनुसना कर कर पानी पीना शुरू कर दिया. इससे उनकी मौत हो गई. 


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अर्जुन और भीम की भी हो गई मौत

सहदेव के काफी देर तक वापसी न करने पर अर्जुन और भीम भी तालाब के पास जा पहुंचे. भाईयों को तलाशते हुए दोनों थक चुके थे. जैसे वही उन्होंने तालाब का पानी पीना शुरू किया. यक्ष ने उन्हें सचेत किया और अपने सवालों का मांगा, लेकिन अर्जन और भीम ने भी उनकी बात को अनसुना कर पानी पीना शुरू कर दिया. इससे वह दोनों भी वहीं मर गये. 

युधिष्ठिर ने पहुंचकर देखा हाल

पांडवों के पांचवें भाई युधिष्ठिर ने देखा कि एक एक करके गये उनके चारों भाई वापस नहीं लौटे तो वह उनकी तलाश में निकल गये. युधिष्ठिर भाईयों को जंगल में तलाशते हुए तालाब के पास पहुंच गये. यहां उन्होंने अपने भाई को मृत देखा तो तालाब में यक्ष से इसकी वजह पूछी. इस पर यक्ष ने उनसे सवाल किये. यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा कि पृथ्वी से भारी क्या है? युधिष्ठिर ने कहा कि पृथ्वी से भारी और बढ़कर मां है. 

 


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युधिष्ठिर ने दिये ये सवाल 

युधिष्ठिर से यक्ष ने पूछा कि आकाश से भी ऊंचा क्या है. इस पर युधिष्ठिर ने कहा कि पिता का कद आकाश से भी ऊंचा होता है. यक्ष ने अगले सवार में पूछा कि हवा से क्या चलता है. इस पर ​युधिष्ठिर ने जवाब दिया कि हवा से भी तेज मन की गति होती है. यक्ष ने पूछा कि तिनकों से ज्यादा संख्या किसकी होती है. युधिष्ठिर ने बताया कि चिंताओं की संख्या से कहीं ज्यादा होती है. यक्ष ने पूछा कि सोने के बाद भी आंखें कौन नहीं बंद करता है. इस पर युधिष्ठिर ने कहा कि मछली सोने पर भी आंखें नहीं बंद करती है. इसके अलावा भी यक्ष ने युधिष्ठिर से कई सवाल पूछे और उन्होंने सभी सही जवाब भी दिये. 

जवाब से प्रसन्न होकर यक्ष ने किया जिंदा

युधिष्ठिर के जवाब सुनकर यक्ष प्रसन्न हो गये. इस पर युधिष्ठिर ने यक्ष से कहा कि उनके भाईयों को पुनर्जीवित कर दें. यक्ष उनके उत्तर से प्रसन्न ​थे. इसके बाद यक्ष ने युधिष्ठिर के चारों को भाईयों को फिर से जिंदा कर दिया. साथ ही पानी पीने की भी इजाजत दी.

 Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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