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भ्रम में न रहें कि बूढ़ों की बीमारी है हार्ट अटैक, युवा भी रखें अपना दिल संभाल कर, ये हैं डॉ. वांगला के टिप्स

Heart Disease Myths: हाल के वर्षों में हार्ट अटैक से युवा लोगों की मौत की कई खबरें सामने आई हैं. खूब मेहनतकश इन्सान भी हार्ट अटैक से मरा है. इसलिए हमें इस बीमारी को लेकर न तो बिल्कुल बेफिक्र रहने की जरूरत है और न इतना चिंतित कि बेमौत मारे जाएं. जानें हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नितांत वांगला के टिप्स.

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डीएनए हिंदी : दिल का मामला बहुत नाजुक होता है. लेकिन इस नाजुक दिल को लेकर कई तरह की भ्रांतियां के शिकार हम रहते हैं. समाज में यह बात डंके की चोट पर कही जाती रही है कि दिल की बीमारी बूढ़ों को ही हो सकती है या यह वंशानुगत बीमारी है. या फिर जो लोग फिजिकली सक्रिय रहते हैं, मेहनत करते रहते हैं, उन्हें दिल का दौरा नहीं आ सकता.
हाल के वर्षों में हार्ट अटैक से बिल्कुल युवा लोगों की मौत की खबरें सामने आई हैं. खूब मेहनतकश इन्सान भी हार्ट अटैक से मरा है. इसलिए हमें इस बीमारी को लेकर न तो बिल्कुल बेफिक्र रहने की जरूरत है और न इतना चिंतित कि बेमौत मारे जाएं.

हार्ट अटैक के मिथकों से उबरें

पोमोना वैली हॉस्पिटल मेडिकल सेंटर के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नितांत वांगला ने इस बाबत एक महत्त्वपूर्ण लेख लिखा था. डॉ. नितांत वांगला के मुताबिक, हाल के शोध से  पता चलता है कि दिल का दौरा अब बूढ़ों की बीमारी नहीं रह गई है बल्कि यह किसी भी उम्र को अपना शिकार बना सकती है, युवा महिलाओं में यह बीमारी तेजी से बढ़ी है. उन्होंने बताया कि दिल के दौरे के साथ अस्पताल में भर्ती होने वाले युवा रोगियों में लगातार वृद्धि हुई है. इसकी वजह तलाशते हुए वो बताते हैं कि कोरोनरी धमनी रोग को अक्सर वृद्ध पुरुषों को प्रभावित करने वाली बीमारी के रूप में देखा जाता है, इसलिए सीने में दर्द की शिकायत करने वाली महिलाओं को उच्च जोखिम के रूप में नहीं देखा जाता है. इसके अलावा, पुरुषों और महिलाओं में दिल के दौरे के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, इसलिए संकेत नजर नहीं आते.

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चिंतित करने वाले आंकड़े

डॉ. नितांत वांगला ने मेडिकल न्यूज टुडे का हवाला देते हुए बताया कि हर साल लगभग 8 लाख 36 हजार 546 अमेरिकी हृदय रोग से मरते हैं. मरनेवालों में पुरुषों के साथ महिलाओं की संख्या भी बड़ी है. महिलाएं अक्सर इसके लक्षणों के लिए एसिड रिफ्लक्स या फ्लू जैसी कम गंभीर स्थितियों को जिम्मेदार मानती हैं.

दिल का दौरा सिर्फ बूढ़ों को नहीं

डॉ. वांगला ने उस मिथक को भी खारिज किया कि मेहनत मशक्कत करने वालों को दिल का दौरा नहीं आता. वे कहते हैं कि दिल का दौरा किसी को भी, कभी भी आ सकता है. हां, इससे बचने में व्यायाम थोड़ी बहुत मदद करता है, लेकिन सही खान-पान, धूम्रपान न करना और नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराने से ही हृदय-स्वस्थ रहने की संभावना है.

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इन सिम्टम्स पर नजर रखें

उन्होंने इशारा किया है कि गर्दन, जबड़ा, कंधा, ऊपरी पीठ या पेट में परेशानी हो, सांस लेने में कठिनाई हो, एक या दोनों बाहों में दर्द हो, मतली या उलटी जैसा महसूस करें, अत्यधिक पसीना आए, चक्कर आए या असामान्य थकान महसूस करें तो इसे नजरअंदाज न करें, इसपर निगाह रखें और जरूरत पड़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें.)

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