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legal Rights of Mother: प्रेग्नेंसी से अबॉर्शन तक हर मां को पता होने चाहिए उसके ये 10 अधिकार

सुप्रीम कोर्ट में वकील अनमोल शर्मा बता रही हैं एक मां से जुड़े 10 अहम कानूनी अधिकारों के बारे में-

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legal Rights of Mother: प्रेग्नेंसी से अबॉर्शन तक हर मां को पता होने चाहिए उसके ये 10 अधिकार

legal rights of mother in india

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डीएनए हिंदी: मई का महीना मदर्स डे का खास दिन लेकर आता है. मदर्स डे (Mother's Day) यानी एक ऐसा दिन जब हम अपनी मां को खास महसूस करवा सकते हैं. उनके प्रति अपना सम्मान व्यक्त कर सकते हैं. मगर कुछ औऱ भी है जो हमें अपनी मां के लिए करना चाहिए और हर मां को भी खुद के लिए. कुछ ऐसी जानकारी हैं जो हर महिला और मां को होनी चाहिए. ये जानकारी जुड़ी है उनके मां होने से जुड़े अधिकारों से.

मां  के अधिकार
एक मां को कानून ने कई तरहके अधिकार दिए हैं. इसमें मां बनने के अधिकार से लेकर बच्चा गोद लेने और संपत्ति तक के अधिकार शामिल हैं. कई बार महिलाएं इन मुद्दों पर जानकारी के अभाव में शोषण का शिकार हो जाती हैं. ऐसे में सही जानकारी बहुत जरूरी है. 

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ये हैं वो 10 अधिकार

1. मां/महिला का सम्मान करने का मौलिक कर्तव्य अनुच्छेद 51 (ई) में दर्ज है. इसमें प्रावधान है कि भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि मां/महिला का सम्मान करें.

2. मां का सबसे पहला अधिकार बच्चे को जन्म देना है. किसी भी गर्भवती महिला की मर्जी के खिलाफ उसका अबॉर्शन नहीं कराया जा सकता. अगर कोई ऐसा करता है तो वह आईपीसी की धार-313 के तहत दोषी माना जाता है. 

3. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि हर बच्चे को अपनी मां का उपनाम लिखने का अधिकार है. जस्टिस रेखा पल्ली ने यह निर्देश दिया है कि प्रत्येक बच्चे को अपनी मां के उपनाम को प्रयोग करने का अधिकार है, अगर वह ऐसा चाहे तो. 

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4. प्रत्येक महिला को गोद लेने का भी अधिकार है. वह अपने पति की रजामंदी से बच्चा गोद ले सकती है. अगर उसकी शादी नहीं हुई है तो भी वह गोद ले सकती है या पति की मौत हो चुकी हो या वह तलाकशुदा हो तो भी वह बच्चा गोद ले सकती है.

5. हमारा कानून बच्चे को मां से उसकी मर्जी के खिलाफ दूर करने का अधिकार नहीं देता है. अगर कोई ऐसा करता है तो वह क्रूरता की श्रेणी में आएगा और आईपीसी की धारा 498 (ए) के तहत दोषी पाया जाएगा. 

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6. अगर बच्चे मां का ढंग से भरण-पोषण नहीं कर रहे हों तो वह सीआरपीसी की धारा-125 के तहत अदालत जा सकती है. इस एक्ट के जरिए मां बच्चों से गुजारा भत्ता ले सकती है. मां की शिकायत पर बच्चे को नोटिस जारी किया जाएगा और 90 दिनों के भीतर अर्जी को निपटाना होगा. साथ ही हर महीने 10 हजार रुपये तक गुजारा भत्ता दिए जाने का भी प्रावधान है.

7. अगर कोई बच्चा किसी तरह से भी मां को प्रताड़ित करता है या नुकसान पहुंचाता है या धमकाता है तो मां उसके खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करा सकती है. 

8. मातृत्व लाभ अधिनियम 2017 के अनुसार गर्भवती महिला 26 सप्ताह के मातृत्व अवकाश की पात्र होती है. वह अपनी दो गर्भावस्थाओं के लिए ही यह अवकाश ले सकती है. नए संशोधन अधिनियम में उन मांओं को भी 12 सप्ताह का अवकाश देने का प्रावधान है जिन्होंने तीन महीने या उससे छोटे शिशु को गोद लिया हो.

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9. पुश्तैनी संपत्ति में मां का भी हिस्सा होता है. वह उस हिस्से को अपने लिए इस्तेमाल कर सकती है. अगर कोई महिला की खुद की अर्जित संपत्ति है तो उसकी मालकिन वह खुद ही होती है. उसको बेचने का अधिकार उसका ही होता है. 

10. हिंदू माइनोरिटी एंड गार्जिनयनशिप एक्ट 1956 के मुताबिक नाबालिग बच्चे की गार्जियनशिप और उसकी संपत्ति की देख-रेख का हक पिता को है, अगर पिता नहीं है तभी कानून मां को यह हक देता है. मुस्लिम कानून के तहत बच्चा अगर वह लड़का है तो 7 साल का होने तक और लड़की है तो पबर्टी आने तक उसकी कस्टडी मां के पास ही रहती है. 

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अनमोल शर्मा सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं.

(अनमोल शर्मा सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं, यह आर्टिकल उनसे बातचीत पर आधारित है)

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