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Places of worship act का क्या है सेक्शन-4 जिससे ज्ञानवापी और मथुरा को मिल सकती है राहत?

Explainer: इस कानून के सेक्शन-4 में कहा गया है कि कानून प्राचीन और ऐतिहासिक जगहों पर लागू नहीं होता है.

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Places of worship act का क्या है सेक्शन-4 जिससे ज्ञानवापी और मथुरा को मिल सकती है राहत?

कोर्ट ने मथुरा के विवादित स्थल का सर्वे कराने का आदेश दिया है.

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डीएनए हिंदीः ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में सर्वे का काम पूरा हो चुका है. एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी समेत कई लोग इस सर्वे की संवैधानिकता पर सवाल उठा रहे हैं. इसके लिए उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम यानी Places of worship (special provisions) act 1991 का हवाला दिया जा रहा है. ज्ञानवापी मस्जिद के अलावा मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर भी ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में इस कानून की ठीक से समझना बेहद जरूरी है.  

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट?
इस कानून को 1991 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार के समय बनाया गया था. इस कानून के तहत 15 अगस्‍त 1947 से पहले मौजूद किसी भी धर्म की उपासना स्‍थल को किसी दूसरे धर्म के उपासना स्‍थल में नहीं बदला जा सकता. इस कानून में कहा गया कि अगर कोई ऐसा करता है तो उसे जेल भेजा जा सकता है. कानून के मुताबिक आजादी के समय जो धार्मिक स्थल जैसा था वैसा ही रहेगा. 

ये भी पढ़ेंः Places of worship act: प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट क्या है? ज्ञानवापी केस में क्यों बन सकता है सबसे बड़ा आधार

क्या मथुरा और ज्ञानवापी पर लागू नहीं होगा कानून? 
जानकारों का कहना है कि इस याचिका में एक्ट की धारा 2, 3 और 4 को चुनौती दी गई है इसमें विशेष रूप से कानून के सेक्शन 4 का सब-सेक्शन 3 कहता है कि जो प्राचीन और ऐतिहासिक जगहें हैं उन पर ये कानून लागू नहीं होगा. मतलब अगर कोई जगह जिसका ऐतिहासिक महत्व है उसे प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत नहीं लाया जाएगा. इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि Archaeological Survey of India (ASI) यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इसे एंसियंट मॉन्यूमेंट एंड ऑर्कियोलॉजिकल साइट्स एंड रिमेंस एक्ट 1958 के तहत अपने संरक्षण में लेकर संरक्षित करेगा.

ऐसे में इस तरह की जगहों को मंदिर मस्जिद की जगह ऐतिहासिक धरोहर के तौर पर देखा जाएगा. अगर किसी बिल्डिंग को बने 100 साल हो गए हैं इसका कोई ऐतिहासिक महत्व है तो इसे एएसआई संरक्षित कर सकता है. इस नियम के हिसाब से कानून के कुछ जानकारों का मानना है कि मथुरा और काशी के मंदिरों के मामले इस कानून से बाहर हो जाते हैं.

ये भी पढ़ेंः Gyanvapi Masjid: सर्वे की रिपोर्ट के लिए मांगा 2 दिन का समय, वजूखाना-शौचालय शिफ्ट करने के लिए नई याचिका दाखिल
 
कहां-कहां विवाद

ज्ञानवापी मस्जिद: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद है कि इसे मंदिर को तोड़कर बनाया गया है. 

ताजमहल: आगरा में ताजमहल को लेकर दावा है कि यहां पहले शिवमंदिर था. ऐसे में तेजोमहालय के लेकर नया विवाद छिड़ा है. 

शाही ईदगाह मस्जिद: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बराबर में स्थित इस मस्जिद भी मंदिर को तोड़कर बनाने का दावा किया गया है.  

भोजशाला: धार में हिंदुओं के मंदिर पर मस्जिद बनाने का मामला विवाद में है. यहां नमाज पर रोक लगा पूरा परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग की जा रही है. 

कुतुबमीनार: दिल्ली में कुतुबमीनार का नाम बदलकर विष्णु स्तंभ रखने की मांग की जारी है. यहां भी हिंदू मंदिर का दावा किया जा रहा है.

अटाला मस्जिद: जौनपुर में अटला देवी के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा किया गया है. 

ये भी पढ़ेंः Shahi Eidgah Case: मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को तुरंत किया जाए सील, कोर्ट में लगाई अर्जी

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