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Happy Birthday Prakash Padukone: बैडमिंटन इतिहास का सितारा हैं प्रकाश पादुकोण, लगातार जीती थीं 7 चैंपियनशिप

आज दीपिका पादुकोण के पिता Prakash Padukone का बर्थडे हैं जो कि एक मंझे हुए भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं.

Happy Birthday Prakash Padukone: बैडमिंटन इतिहास का सितारा हैं प्रकाश पादुकोण, लगातार जीती थीं 7 चैंपियनशिप
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डीएनए हिंदी: बॉलीवुड स्टार अभिनेत्री ऐक्ट्रेस दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) के पिता और पूर्व शटलर प्रकाश पादुकोण (Prakash Padukone) का आज 67वां जन्मदिन है. उनका जन्म आज ही के दिन 10 जून, 1965 को हुआ था. प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप को जीतने वाले पहले प्रकाश पादुकोण भारतीय टीम के कोच हैं और देश में प्रतिभाओं को तराशने का काम कर रहे हैं. 

भारतीय बैडमिंटन इतिहास की जब भी बात होगी तो उनकी चर्चा जरूर होगी क्योंकि उन्होंने हमेशा ही भारत का मस्तक ऊंचा रखने के प्रयास किए है. बहुत कम लोग जानते होंगे कि प्रकाश पादुकोण के चैंपियन बनने का सफर एक मैरिज हॉल से शुरू हुआ था. दरअसल, उस वक्त स्टेडियम और इंडोर कोर्ट आज के जितनी नहीं होती थी तो प्रकाश ने मैरिज हॉल में ही प्रैक्टि शुरू कर दी थी. इस बारे में उन्होंने बेटी दीपिका को लिख एक पत्र में खुलासा किया था. 

उन्होंने बताया था कि उन्होंने बेंगलुरु में अपना करियर शुरू किया तो उन दिनों आज की तरह कोर्ट नहीं हुआ करते थे, जहां खिलाड़ी प्रैक्टिस कर पाएं. हमारा बैडमिंटन कोर्ट हमारे घर के पास कैनरा यूनियन बैंक का मैरिज हॉल था. जहां मैंने खेल के बारे में सब कुछ सीखा था. 

संघर्ष से शिखर तक 

प्रकाश पादुकोण  के समय में आज की तरह अकादमियां भी नहीं थीं. प्रकाश के पिता रमेश पादुकोण मैसूर बैडमिंटन असोसिएशन में सचिव थे. उन्होंने ही प्रकाश को बैडमिंटन से रूबरू कराया और खेल की तकनीकी बारिकियां सिखाई है. प्रकाश का पहला ऑफिशियल टूर्नमेंट कर्नाटक स्टेट जूनियर चैंपियनशिप-1970 था. यहां वह पहले ही दौर में हार गए लेकिन दो वर्ष बाद उन्होंने इस टूर्नमेंट का खिताब जीता. इसके बार उन्होंने फिर सीनियर नैशनल चैंपियनशिप जीती.

7 बार जीता खिताब 

चैंपियन बनने का सफर जो शुरू हुआ तो उन्हें लगातार 7 वर्ष तक कोई हरा नहीं सका. 1972 से 1978 तक वह नैशनल चैंपियन रहे. प्रकाश ने ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप-1980 में पुरुष एकल वर्ग का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया था. उन्होंने इंडोनेशिया के लियेम स्वी किंग को 15-3, 15-10 से हराकर ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप में तिरंगे की शान को बढ़ाया था. यह भारतीय बैडमिंटन इतिहास का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ.

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प्रकाश ने 1981 में भी ऑल इंग्लैंड चैंपिनशिप के फाइनल में जगह बनाई लेकिन इस बार वह चूक गए। उनके बाद कोच पुलेला गोपीचंद ने 2001 में इस सम्मानित टूर्नमेंट का खिताब जीता था. वो फिलहाल देश के खिलाड़ियों को ट्रेन कर उन्हें खेल के लिए तैयार कर रहे हैं. 

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