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Harkara Movie Review: दो डाकियों की ऐसी कहानी जो कभी नहीं सुनी होगी, "हरकारा" मे दिखेगा भावनाओं का सैलाब

डीएनए हिंदीः राम अरुण कास्त्रो के निर्देशन में बनी फिल्म "हरकारा" में पोस्टमैन के चरित्र को लेकर भी एक बेहतरीन सब्जेक्ट पर समाज और देश को सन्देश देने वाली फिल्म बना सकता है, ये हमें हरकारा में देखने को मिला.

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हरकारा

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डीएनए हिंदी: इस फिल्म में देखने को मिलती है, कि कैसे दो अलग-अलग काल खंडों में दो डाकियों की कहानी से दर्शकों को जोड़ा गया है. फिल्म की कहानी काली नामक पोस्ट मैन से शुरू होती है जिसकी तैनाती एक आदिवासी सुदूर गांव में होती है जो कि बेहद पिछड़ा इलाका है, जिस कारण काली का यहां नौकरी में मन नहीं लगता. इसके साथ ही वो गांव वालों के व्यवहार से भी परेशान हो जाता है. इसलिए अपने तबादले की भी बात अधिकारियों से करता है लेकिन ऐसा होता न देख वो एक जनहित याचिका भी गांव में बैंक खोलने के लिए करता है.

कहानी का मेन पार्ट शुरू होता है जब काली एक वृद्धा की चिट्ठी के लिए पहाड़ी के ऊपर गांव में पैदल जाता है, तब एक व्यक्ति उसे गांव के मधेश्वरा भगवना जोकि ब्रिटिश काल में एक डाकिया था,जिसे भारत का पहला डाकिया भी बताया गया है. पहले उसे लगता है कि अंग्रेजों की वजह से देश आगे बढ़ रहा है, लेकिन जब उसे सच्चाई का पता चलता है तो वो विद्रोह कर देता है और गांव वालों को बचाता है. तब से गांववालों को यही लगता है कि इस गांव को बचाने वाला मधेश्वरन किसी भगवान से कम नहीं है. जिसे तब से वर्तमान तक पूजा जा रहा है. मधेश्वरन की कहानी सुनकर काली का गांव और गांव वालों के प्रति व्यवहार बदल जाता है.

फिल्म में पोस्ट मैन काली (काली वेंकट) और बतौर निर्देशक राम अरुण कास्त्रो ने अपने अभिनय से दर्शकों को बांधा है. वर्तमान में पोस्ट मैन जोकि सरकारी कर्मचारी है उसका सामान्य व्यवहार कहीं से भी नाटक प्रतीत नहीं होता, जिस प्रकार सुदूर पिछड़े इलाके में पोस्टिंग से उसका खीझना बेहद सामान्य प्रक्रिया है. उधर राम अरुण ने मधेश्वरन के किरदार में अपने आपको प्रभावित किया है. फिल्म में भले ही कोई बहुत एक्शन नहीं है लेकिन जंगल और पिछड़े इलाकों में ग्रामीणों का जीवन किस प्रकार था उसे बखूबी अदा किया है. मधेश्वरन की पत्नी दुर्गा ने छोटे रोल में भी प्रभावित किया है. इसके अलावा गांव में गणेश का किरदार करने वाला बालू बोस ने भी अपनी अभिनय क्षमता का बखूबी प्रदर्शन किया है.

फिल्म का संगीत प्रभावित करता है फिल्म की कहानी और दृश्यों की थीम के साथ ही बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म में कहीं भी असहज नहीं लगा, कहीं भी नहीं लगा कि दर्शक इससे खीजेंगे, बेहद शांत और टचिंग म्यूजिक है फिल्म में. निर्माता अरविंद और डॉ. हीरानंदानी की मेहनत आपको जरूर नजर आएगी.

"हरकारा" एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों को एक अनूठे सिनेमाटिक अनुभव में ले जाती है.  बेहद सामान्य तरीके से एक दमदार कहानी अपने दर्शकों को जोड़ती है.

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