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Maharashtra Politics: संकट से बची शिंदे सरकार, उद्धव ठाकरे को भी नहीं हुआ नुकसान, जानें सुप्रीम कोर्ट ने कैसे निकाली बीच की राह

महाराष्ट्र में जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत की थी तब एकनाथ शिंदे समेत 15 अन्य शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराया गया था. सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच अब इस केस की सुनवाई करेगी.

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Supreme Court

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डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के सियासी संकट को लेकर दायर याचिका की सुनवाई पर फैसला टाल दिया है. एकनाथ शिंदे बनाम उद्धव ठाकरे गुट से जुड़े मामले की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच करेगी. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 जजों की संवैधानिक पीठ इस केस की सुनवाई करेगी. साल 2022 में उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जब एकनाथ शिंदे ने बगावत करके महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार गिरा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट में 7 जजों की बेंच अब इस केस की सुनवाई करेगी. कोर्ट नए सिरे से दोनों पक्षों की दलीलें सुन सकता है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस केस की सुनवाई करेगी. शिंदे गुट की बगावत की वजह से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास आघाड़ी (MVA) गठबंधन सरकार गिर गई थी. 

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या-क्या कहा, पढें अहम बातें-

1. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि पिछले साल 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं था. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व की स्थिति बहाल करने से इनकार करते हुए कहा कि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था.

2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना का व्हिप नियुक्त करने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला अवैध था.

3. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'चूंकि ठाकरे ने विश्वास मत का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था, इसलिए राज्यपाल ने सदन में सबसे बड़े दल BJP के कहने पर सरकार बनाने के लिए शिंदे को आमंत्रित करके सही किया.'

4. पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारि, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा शामिल रहे. उसने कहा, 'सदन में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल का ठाकरे को बुलाना उचित नहीं था क्योंकि उनके पास मौजूद सामग्री से इस निष्कर्ष पर पहुंचने का कोई कारण नहीं था कि ठाकरे सदन में बहुमत खो चुके हैं.'

5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूर्व स्थिति बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि ठाकरे ने विश्वास मत का सामना नहीं किया और इस्तीफा दे दिया था. इसलिए राज्यपाल का सदन में सबसे बड़े दल भाजपा के कहने पर सरकार बनाने के लिए शिंदे को आमंत्रित करने का फैसला सही था. 

6. सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य करार देने के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार से जुड़े पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के 2016 के नबाम रेबिया फैसले को सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को भी भेज दिया.

संविधान पीठ ने 16 मार्च, 2023 को संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में अंतिम सुनवाई 21 फरवरी को शुरू हुई थी और 9 दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था. 

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सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के अंतिम दिन हैरत जताया था कि वह उद्धव ठाकरे की सरकार को कैसे बहाल कर सकती है, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सदन में बहुमत परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. 

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सुनवाई की अहम बातें जान लीजिए

उद्धव ठाकरे गुट ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि वह 2016 के अपने उसी फैसले की तरह उनकी सरकार बहाल कर दे, जैसे उसने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सरकार बहाल की थी. 

ठाकरे गुट की ओर से सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी एवं देवदत्त कामत और अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष पक्ष रखा था.

- एकनाथ शिंदे गुट का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल, हरीश साल्वे एवं महेश जेठमलानी और अधिवक्ता अभिकल्प प्रताप सिंह ने किया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता राज्य के राज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश हुए थे.

- सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं को सात-सदस्यीय संविधान पीठ के हवाले करने की अपील ठुकरा दी थी.

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