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Same Sex Marriage: सिंगल पर्सन बच्चे को गोद ले सकता है तो समलैंगिक कपल क्यों नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने किया सवाल

भारतीय कानून एक अकेले व्यक्ति को बच्चा गोद लेने की इजाजत देता है. समलैंगिक जोड़ों के पास बच्चा गोद लेने का भी अधिकार नहीं है. LGBTQ कम्युनिटी का कहना है कि यह संवैधानिक नियमों के खिलाफ है. उनकी मांग है कि कपल को भी गोद लेने का अधिकार मिले.

Same Sex Marriage: सिंगल पर्सन बच्चे को गोद ले सकता है तो समलैंगिक कपल क्यों नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने किया सवाल

supreme court Same sex marriage

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डीएनए हिंदी: समलैंगिक विवाहों (Same Sex Marriage) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बीते 9 दिनों से सुनवाई चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बुधवा को कहा कि भारतीय कानून वैवाहिक स्थिति की परवाह किए बिना अकेले व्यक्ति को भी बच्चा गोद लेने की अनुमति देते हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून मानता है कि आदर्श परिवार के अपने जैविक संतान होने के अलावा भी कुछ विषम स्थितियां हो सकती हैं. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि लिंग की अवधारणा परिवर्तनशील हो सकती है, लेकिन मां और मातृत्व नहीं. NCPCR की दलील है कि समलैंगिक जोड़ों को बच्चों को गोद लेने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा क्यों समलैंगिक कपल नहीं गोद ले सकते बच्चा?

सुप्रीम कोर्ट ने NCPCR से पूछा कि लिव-इन या समलैंगिक जोड़े को बच्चों को गोद लेने की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकती, जबकि एक सिंगल पर्सन ऐसा कर सकता है.

NCPCR ने अलग-अलग कानूनों में बच्चों के वेलफेयर को सबसे आगे रखने का जिक्र करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कांस्टीट्यूशनल बेंच से कहा कि यह कई फैसलों में कहा गया है कि बच्चे को गोद लेना मौलिक अधिकार नहीं है. 

क्या है NCPCR का तर्क?

NCPCR  और दूसरे पक्षकारों की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बेंच से कहा, 'हमारे कानूनों की संपूर्ण संरचना स्वाभाविक रूप से विषमलैंगिक व्यक्तियों से पैदा हुए बच्चों के हितों की रक्षा और कल्याण से संबंधित है और सरकार विषमलैंगिकों और समलैंगिकों के साथ अलग-अलग व्यवहार करने में न्यायसंगत है.'

बेंच में जस्टिस एसके कौल, न्यायमूर्ति एसआर भट्ट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि देश का कानून अलग-अलग कारणों से गोद लेने की इजाजत देता है.

CJI ने क्या कही अहम बात?

CJI चंद्रचूड़ ने कहा, 'यहां तक कि एक अकेला व्यक्ति भी बच्चा गोद ले सकता है. ऐसे पुरुष या महिला, सिंगल सेक्स रिलेशन में हो सकते हैं. यदि आप बच्चे पैदा करने में सक्षम हैं तब भी आप बच्चा गोद ले सकते हैं. जैविक संतानोत्पत्ति की कोई अनिवार्यता नहीं है.'

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून मानता है कि आदर्श परिवार के अपने जैविक संतान होने के अलावा भी कुछ स्थितियां हो सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि विषमलैंगिक विवाह के दौरान यदि पति या पत्नी की मृत्यु हो जाती है, तो ऐसी सूरत में क्या होगा. समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी याचिकाओं पर पीठ के समक्ष नौवें दिन सुनवाई जारी रही. (इनपुट: भाषा)

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