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'जर्मनी से ज्यादा तो बंगाल की आबादी', सुप्रीम कोर्ट के जज को क्यों कहनी पड़ी ये बात

ईवीएम और VVPAT के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा, ‘भारत में चुनाव एक बहुत बड़ा कार्य है. कोई भी यूरोपीय देश ऐसा करने में सक्षम नहीं हो सकता.

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से मतदान के दौरान हर वोटर को वेरिफिकेशन के लिए VVPAT स्लिप दिए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि जब सीक्रेट बैलेट से मतदान होता था, तब भी समस्याएं होती थीं. उच्चतम न्यायालय ने ईवीएम की आलोचना और बैलेट पेपर वापस लाने का आह्वान करने के कदम पर नाखुशी जताई.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक बहुत बड़ा काम है और तंत्र को कमजोर करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. अदालत ने इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे चुनाव परिणामों में हेरफेर करने के लिए बैलेट पेपर के दौर में मतदान केंद्रों को कब्जा लिया जाता था. शीर्ष अदालत EVM के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) का उपयोग करके डाले गए वोटों के पूर्ण सत्यापन के अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

वीवीपैट एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने में सक्षम बनाती है कि उसका वोट सही ढंग से पड़ सका है या नहीं. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस दलील की आलोचना की कि कई यूरोपीय देश वोटिंग मशीनों का परीक्षण करने के बाद Ballot Paper के जरिए मतदान पर वापस लौट आए हैं. 

प्रशांत भूषण ने दिया था जर्मनी का उदाहरण
जस्टिस दत्ता ने गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण से कहा, ‘यह (भारत में चुनाव) एक बहुत बड़ा कार्य है. कोई भी यूरोपीय देश ऐसा करने में सक्षम नहीं हो सकता. आपने जर्मनी की बात की लेकिन वहां की आबादी कितनी है. मेरा गृह राज्य पश्चिम बंगाल जर्मनी से कहीं अधिक आबादी वाला है. हमें चुनावी प्रक्रिया में आस्था और विश्वास बनाए रखना होगा. इस तरह तंत्र को कमजोर करने की कोशिश न करें.’ 


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प्रशांत भूषण ने जर्मनी का उदाहरण देते हुए मतपत्र से चुनाव कराने पर लौटने की वकालत की थी. पीठ ने कहा कि भारत में लगभग 98 करोड़ पंजीकृत वोटर्स हैं. कुछ मानवीय त्रुटियों के कारण मतों की गिनती में कुछ विसंगति हो सकती है, लेकिन इसे रोका और सुधारा जा सकता है. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने अतीत में बूथ कब्जाने का जिक्र करते हुए कहा, ‘श्रीमान भूषण, हम सभी ने 60 का दशक देखा है. हमने देखा है कि पहले क्या होता था जब ईवीएम नहीं थे. हमें यह आपको बताने की जरूरत नहीं है.’ 

SC ने चुनाव आयोग से मांगी फुल डिटेल
पीठ ने अदालत में मौजूद निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से ईवीएम की कार्यप्रणाली, उनके भंडारण और डेटा हेरफेर की संभावना के बारे में सवाल किए. पीठ ने आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह से कहा कि हम चाहते हैं कि आप हमें ईवीएम के बारे में A से Z तक प्रत्येक विवरण से अवगत कराएं. भूषण ने कहा कि वह यह भी चाहते हैं कि प्रत्येक मतदाता को वीवीपैट मशीन से डाले गए वोट की पर्ची एकत्र करने और उसे मतपेटी में डालने की अनुमति दी जानी चाहिए. (PTI इनपुट के साथ)

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