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Cyrus Mistry Death: साइरस मिस्त्री का आज होगा अंतिम संस्‍कार, पारसी लोगों में क्या है 'टावर ऑफ साइलेंस' की प्रथा?

Cyrus Mistry Death: साइरस मिस्त्री का आज वरली शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया जाएगा. पारसी धर्म में 'टावर ऑफ साइलेंस' से अंतिम संस्कार की प्रथा है.  

Cyrus Mistry Death: साइरस मिस्त्री का आज होगा अंतिम संस्‍कार, पारसी लोगों में क्या है 'टावर ऑफ साइलेंस' की प्रथा?
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डीएनए हिंदीः टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) का आज अंतिम संस्कार किया जाएगा. रविवार को उनकी महाराष्ट्र के पालघर रोड पर एक सड़क हादसे में मौत हो गई. अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए उनका परिवार मुंबई पहुंच चुका है. सुबह 11 बजे उनका मुंबई के वरली शवदाह गृह में विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. साइरस मिस्त्री पारसी धर्म के थे. पारसी समुदाय के लोग अपने दिवंगत परिजनों का 'टावर ऑफ साइलेंस' के जरिए अंतिम संस्कार करते हैं. हालांकि यह काफी विवादित है. आइये जानते हैं कि आखिर 'टावर ऑफ साइलेंस' क्या होता है.  

क्या होता है 'टावर ऑफ साइलेंस' ?
पारसी समुदाय में किसी की मौत के बाद उसके शव को 'टावर ऑफ साइलेंस' ले जाते हैं. 'टावर ऑफ साइलेंस' को आम भाषा में दखमा भी कहा जाता है. टावर ऑफ साइलेंस एक गोलाकार ढांचा होता है, जिसके ऊपर ले जाकर शव को सूरज की धूप में रख दिया जाता है. जिसके बाद गिद्ध उन शव को आकर खा जाते हैं. गिद्धों का शवों को खाना भी पारसी समुदाय के रिवाज का ही एक हिस्सा है. इस पर काफी विवाद भी हो चुका है और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है. 

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क्यों किया जाता है ऐसा?
दरअसल पारसी समुदाय में शव को अशुद्ध माना जाता है. वहीं पारसी पर्यावरण को लेकर भी सजग हैं इसलिए वे शरीर को जला नहीं सकते हैं क्योंकि इससे अग्नि तत्व अपवित्र हो जाता है. वहीं, पारसी शवों को दफनाया भी नहीं जाता है क्योंकि इससे धरती प्रदूषित हो जाती है और पारसी शवों को नदी में बहाकर भी अंतिम संस्कार नहीं कर सकते हैं क्योंकि इससे जल तत्व प्रदूषित होता है.

पारसी समुदाय ने बदली परंपरा
पिछले कुछ समय से पारसी समुदाय ने इस परंपरा को बदला है. कुछ पारसी लोग अपने रिवाज को छोड़कर शवों को जलाकर अंतिम संस्कार भी कर रहे हैं. ये लोग शवों को अब टावर ऑफ साइलेंस के ऊपर नहीं रखते हैं बल्कि हिंदू श्मशान घाट या विद्युत शवदाह गृह में ले जाते हैं. साइरस मिस्त्री का अंतिम संस्कार भी हिंदू शमशान घाट में किया जाएगा. मिस्त्री के परिवार में उनकी पत्नी रोहिका, बेटे फिरोज और जहान, मां पात्सी मिस्त्री, बहनें लैला रुस्तम जहांगीर और ए नोएल टाटा तथा भाई शपूर मिस्त्री हैं. 

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