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मालदीव को आई अक्ल, कई मुद्दों पर बनी सहमति, क्या बैकफुट पर है मुइज्जू सरकार?

मालदीव और भारत के बीच संबंध अपने सबसे बुरे दौर में हैं. मोहम्मद मुइज्जू सरकार चीन के करीब जाना चाह रही है, वहीं भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रही है.

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मालदीव को आई अक्ल, कई मुद्दों पर बनी सहमति, क्या बैकफुट पर है मुइज्जू सरकार?

मोहम्मद मोइज्जू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फाइल फोटो)

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डीएनए हिंदी: चीन के कर्ज में डूबा मालदीव अब भारत के खिलाफ जमकर बयानबाजी कर रहा है. मालदीव की मोहम्मद मोइज्जू सरकार भारत विरोधी है. मोइज्जू सरकार से वहां की जनता भी खुश नहीं है. पर्यटन में बड़ा झटका खा चुका मालदीव को अब धीरे-धीरे अपनी गलती का अहसास हो रहा है. मालदीव कई मुद्दों को लेकर भारत के साथ सहमत नजर आ रहा है. भले ही यह मालदीव की रणनीतिक मजबूरी क्यों न हो.

भारत ने मालदीव से शुक्रवार को स्पष्ट रूप से कहा कि हिंद महासागर द्वीपसमूह में तीन विमानों के संचालन के लिए मालदीव को सहमत होना होगा.भारत ने कहा है कि मालदीव इसके व्यावहारिक समाधान पर सहमत हुआ है. मालदीव भारत का इस पर सहयोग करेगा. अब एयरपोर्ट से लेकर जरूरी विभागों में तैनात सैन्य कर्मियों तक, भारत अपनों को मई तक वापस बुला लेगा.

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मालदीव की मदद करता रहेगा भारत
मालदीव की लाख साजिशों के बाद भी भारत द्वीपीय देश की मदद करता रहेगा. सैन्य कर्मियों के मुद्दे को संबोधित करने के लिए भारत और मालदीव सरकार की ओर से गठित उच्च स्तरीय कोर समूह की दूसरी बैठक के बाद मालदीव के साथ अहम समझौते हुए हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों द्वारा तैयार किए गए समाधान भारतीय विमानन प्लेटफार्मों के निरंतर संचालन को जारी रखेंगे. भारत मालदीव के लोगों को मानवीय और चिकित्सीय सेवाएं देना जारी रखेगा. 

किन बातों पर सहमत हुए हैं भारत और मालदीव?
मालदीव के विदेश मंत्रालय के एक रीडआउट में भारत-मालदीव विवाद समाधानों की लिस्ट दी गई है. दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि भारत सरकार 10 मार्च 2024 तक तीन विमानन प्लेटफार्मों में से एक में सैन्य कर्मियों को बदल देगी, और अन्य दो में सैन्य कर्मियों को बदलने का काम 10 मई 2024 तक पूरा कर लेगी.'

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भारतीय सैनिकों की वापसी चाहते हैं मोइज्जू
मोहम्मद मोइज्जू को यह पसंद नहीं है कि भारतीय सैनिक उनके देश में तैनात रहें. मालदीव की ओर से जारी किए विवरण के मुताबिक 15 मार्च तक भारत सैनिकों को वापस बुला लेगा. भारत ने इस मामले पर चुप्पी साधी है.  

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एयरक्राफ्ट को लेकर क्या बनी है सहमति
भारतीय पक्ष नई दिल्ली द्वारा प्रदान किए गए दो एएलएच हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान को ऑपरेट करने के लिए मालदीव में तैनात 75 से अधिक सैन्य कर्मियों को बदलने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहा है. लोगों ने कहा कि एक विकल्प सैन्य कर्मियों की जगह दोनों प्लेटफार्मों से परिचित नागरिक ऑपरेटरों को रखना है. ये वे लोग होंगे जो विमान उड़ाने और मेंटिनेंस करने में भी कामयाब होंगे. इस काम में तीनों सेवाओं के सेवानिवृत्त सैनिकों को भी शामिल किया जा सकता है. मालदीव ने पहले भी स्पष्ट किया था कि भारतीय नागरिक कर्मचारी उड़ानें संचालित करने के लिए मालदीव में रह सकते हैं, लेकिन किसी भी सैन्यकर्मी को मंजूरी नहीं दी जाएगी.

क्या बैकफुट पर है मोइज्जू सरकार
मोइज्जू की खासियत यह है कि वे चीन को पसंद करते हैं. अब उनकी सरकार खाद्य सुरक्षा, हेल्थ-केयर और डिफेंस जैसे मामलों में चीन की मदद चाहता है. मालदीव भारत पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है. चीन की कूटनीति कामयाब हो रही है. ऐसा लग रहा है जब तक मालदीव में मोइज्जू सरकार है, तब तक भारत और मालदीव के बीच संबंध सामान्य नहीं होने वाले हैं. मोइज्जू चीन के करीबी हैं और उनका रुख भारत विरोधी है. उनकी सरकार रूढ़िवादी है और कट्टरपंथी रवैया अपनाना चाहती है. जहां हेल्थ केयर से लेकर खाद्य सामग्रियों तक मालदीव की निर्भरता भारत पर थी, वहीं अब मालदीव भारत को आंख दिखा रहा है.

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