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क्यों महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए ज्यादा खतरनाक है Covid?

कोरोना महामारी पर हर दिन नई स्टडी सामने आ रही है. जानें क्यों महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए कोरोना का खतरा ज्यादा है.

क्यों महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए ज्यादा खतरनाक है Covid?

Coronavirus Covid-19 crisis. (Photo-PTI)

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डीएनए हिंदी: महामारियां सब पर एक जैसा असर डालती हैं. मृत्युदर के आंकड़े भी पुरुष और महिलाओं के लिए समान रहते हैं. ऐसी कुछ स्टडी सामने आई हैं जिनमें यह कहा गया है कि कोविड-19 (Covid-19) महामारी ने यह साबित कर दिया है कि पुरुषों की मृत्युदर महिलाओं की तुलना में अधिक है.

शुरुआत में कुछ वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना था कि इसकी वजह बायोलॉजिकल (Biological) है. वैज्ञानिकों को संदेह था कि पुरुषों के इलाज के दौरान एस्ट्रोजन (estrogen) या एंड्रोजन (androgen) ब्लॉकर्स के जरिए पुरुषों में मौत के जोखिम को कम किया जा सकता है. अमेरिका में सेक्स डिफ्रेंस (sex differences) पर की गई स्टडी के मुताबिक यह तस्वीर बेहद जटिल है. पुरुषों की मृत्यु महिलाओं की तुलना में ज्यादा हुई है. शोधकर्ताओं का दावा है कि इससे पता चलता है कि इसके पीछे अलग-अलग सामाजिक कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. जैसे अलग-अलग जॉब, व्यवहार पैटर्न और स्वास्थ्य से संबंधित अंतर की वजह से ऐसा हो सकता है.

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कोई मजबूत दावा करना मुश्किल

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) में जेंडरसी लैब (GenderSci Lab) की निदेशक सारा रिचर्डसन (Sarah Richardson) ने कहा कहा है कि इस महामारी के दौरान, यहां तक ​​कि संयुक्त राज्य अमेरिका के भीतर भी लैंगिकअसमानताओं (sex disparities) के बारे में बताने के लिए कोई एक कहानी नहीं है जो बताती हो कि कि लैंगिक असमानताओं के सांस्कृतिक प्रभावों पर बात करे.

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन सेंटर से कोरोना के आंकड़े शेयर करने से पहले रिचर्डसन की टीम ने महिला और पुरुषों के संक्रमण और मौत के अलग-अलग आंकड़ों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया. हर दिन वेबसाइट पर नजर रखी गई. अप्रैल 2020 से लेकर दिसंबर 2021 तक के आंकड़ों पर गौर किया गया. लिंग आधारित कोविड मामलों की गणना का यही एक सोर्स रहा.


कैसे सामने आई रिसर्च?

 न्यूयॉर्क टाइम्स  की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 55 सप्ताह तक चली इस स्टडी में यह बात सामने आई कि कोरोना के बढ़ते केस पुरुष और महिलाओं में एक समान रहे. लेकिन मौत के आंकड़े लैंगिक आधार पर अलग-अलग रहे. महिलाओं की तुलना में पुरुषों की मौतें ज्यादा हुई हैं.

स्टडी में यह बात सामने आई है कि जीन, हार्मोन या प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं में जेंडर डिफ्रेंस के जरिए इसकी व्याख्या नहीं की जा सकती है.  सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजिस्ट (biological anthropologist) कैथरीन ली ने दावा किया है कि सामाजिक और व्यवहारिक कारक ऐसे पैटर्न को समझने में मददगार साबित हो सकते हैं.

क्या हैं स्टडी की बड़ी बातें?

स्टडी में यह कहा गया है कि पुरुष ज्यादातर ट्रांसपोर्ट, कारखानों, मीटपैकिंग यूनिट्स, कृषि और कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में ज्यादा नौकरी करते हैं. ये जगहें कोविड के लिए संवेदनशील हैं. घर में न रुकने की वजह से भी वायरस के प्रसार की आशंकाएं ज्यादा हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं में हाथ धोने, मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के प्रतिबंधों ज्यादा मानती हैं. ऐसे में वायरस का जोखिम कम हो सकता है. महिलाओं के वैक्सीनेशन की भी संभावना ज्यादा होती है. 

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