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Amritpal Singh: जुबां पर खालसा का नारा और आंखों में वैसा ही गुस्सा, कौन है भिंडरावाले का नया वर्जन?

Khalistan Movement: अपने समर्थकों की गिरफ्तारी पर हजारों लोगों संग थाने में घुसकर 29 साल के अमृतपाल सिंह ने सरकार को उनकी रिहाई के लिए मजबूर कर दिया.

Amritpal Singh: जुबां पर खालसा का नारा और आंखों में वैसा ही गुस्सा, कौन है भिंडरावाले का नया वर्जन?

जनरैल सिंह भिंडरावाले और अमृतपाल सिंह

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डीएनए हिन्दी: पंजाब में एक बार फिर खालिस्तानी आतंकवाद पैर पसार रहा है. पंजाबी ऐक्टर संदीप सिंह उर्फ दीप सिद्धू (Sandeep Singh alias Deep Sidhu) की मौत के 7 महीने बाद उनका बनाया संगठन 'वारिस पंजाब दे' (Waris Panjab De) एक बार फिर सुर्खियों में है. सितंबर में इस संगठन की कमान 29 साल के नौजवान अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) को दी गई थी, जिसे उसकी हरकतों के लिए 4 महीने में ही 'भिंडरावाले 2.0' कहा जा रहा है. गृह मंत्री अमित शाह को जान से मारने की धमकी दे चुके अमृतपाल सिंह ने बृहस्पतिवार को अमृतसर के अजनाला थाने में जमकर बवाल काटा. अमृतपाल ने अपने समर्थकों की गिरफ्तारी पर तलवारें लिए हजारों लोगों के साथ थाने में घुसकर सरकार को उनकी रिहाई के लिए मजबूर कर दिया. आइए जानते हैं कि अमृतपाल सिंह कौन है?

पहले जान लें वारिस पंजाब दे संगठन के बारे में

दीप सिद्धू ने वारिस पंजाब दे संगठन की स्थापना युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाने और पंजाब को 'जगाने' के लिए किया था. इस संगठन का एक मकसद पंजाब के अधिकारों की रक्षा और सामाजिक मद्दों को उठाने के लिए भी किया गया था. साथ ही एक विवादित लक्ष्य भी है, पंजाब की 'आजादी' के लिए लड़ाई. पंजाब चुनाव से पहले चंडीगढ़ में 'वारिस पंजाब दे' की स्थापना करते हुए दीप सिद्धू ने कहा था कि पंजाब के अधिकारों और संस्कृति की रक्षा करने,स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे सामाजिक मुद्दों को उठाने का काम यह संगठन करेगा. साथ ही दिल्ली की तानाशाही के खिलाफ दबाव समूह के रूप में भी काम करेगा.

गौरतलब है कि किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली के लालकिला पर सिख झंडा फरहाने के आरोप में दीप सिद्धू के गिरफ्तार भी किया गया था. बाद में एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी.

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अमृतपाल खुद को मानता है भिंडरावाले का अनुयायी

अब वारिस पंजाब दे संगठन की कमान अमृतपाल सिंह के हाथ में है. यह कमान उसे खालिस्तानी विद्रोही जनरैल सिंह भिंडरावाले (Jarnail Singh Bhindranwale) के गांव में सौंपी गई थी. भिंडरावाले को ही 80-90 के दशक में पंजाब में आतंकवाद को चरम पर पहुंचाने का जिम्मेदार माना जाता है.अमृतपाल सिंह खुद को खालिस्तानी आतंकी जनरैल सिंह भिंडरावाले का ही अनुयायी होने का दावा करता है. हालांकि, दीप सिद्धू का परिवार यह मानता है कि अमृतपाल सिंह खालिस्तान के नाम पर सिख युवाओं को गुमराह कर रहा है.

संगठन के मुखिया की ताजपोशी के मौके पर अमृतपाल सिंह ने कहा भी था कि भिंडरावाले मेरी प्रेरणा हैं. मैं उनके बताए रास्ते पर चलूंगा. अमृतपाल ने कहा कि मैं भिंडरावाले की तरह बनना चाहता हूं. पंजाब का हर युवा भिंडरावाले बनना चाहता है. हालांकि, मैं उनकी बराबरी नहीं कर सकता. मैं उनके पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हूं.

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अमृतपाल ने कहा कि दीप सिद्धू सिख समुदाय के लिए शहीद हुए हैं. सिद्धू जैसे लोग गुरु महाराज के कर्तव्य पथ पर थे. गुरु के रास्ते पर चलने वाले कभी हादसों में शहीद नहीं होते. अमृतपाल ने कहा कि हम जानते हैं उनकी मौत कैसे हुई है. उन्हें कौन मारा है. अमृतपाल ने भिंडरावाले की याद में बने गुरुद्वारा संत खालसा के पास ही इस सभा को संबोधित किया.

इस मौके पर 15 प्रस्तावों को पास किया गया. इसमें यह भी कहा गया कि कोई भी व्यक्ति सिखों के धार्मिक मुद्दों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. अमृतपाल ने कहा कि मेरे खून का एक-एक बूंद पंथ की आजादी को समर्पित है. हमारी लड़ाई इसी गांव से अतीत में भी शुरू हुई थी और भविष्य में भी यहीं से होगी.

अमृतपाल सिंह ने कहा कि हम सब अब भी गुलाम हैं. हमें आजादी के लिए लड़ना होगा. हमारा पानी लूटा जा रहा है. हमारे गुरु का अपमान किया जा रहा है. उन्होंने सभा में मौजूद नौजवानों से सिख पंथ के लिए जान देने को तैयार रहने के लिए कहा. 

दुबई में रहता है अमृतपाल

बताया जाता है कि अमृतपाल दुबई में रहता है. वह कुछ महीने पहले ही पंजाब लौटा है. वह भिंडरावाले की तरह की कपड़े पहनता है. हथियारबंद लोगों का दस्ता भी उसके साथ रहता है.

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