Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

Leap Year Calculation: 4 साल बाद ही क्‍यों आता है लीप ईयर, जानें, एक्‍स्ट्रा दिन फरवरी में क्यों जोड़ा गया

Leap Year Calculation: दरअसल, सूर्य 365 दिन और करीब 6 घंटे में इस पृथ्‍वी का चक्‍कर लगा पाता है. इसे एक सूर्य वर्ष कहते हैं. और इसके बाद ही नया साल शुरू होता है. तो ये जो 365 के बाद अतिरिक्त 6-6 घंटे की अवधि जुड़ती है तो 4 सालों में यह पूरे 24 घंटे की हो जाती है. एक पूरा दिन 24 घंटे का होता है.

Latest News
Leap Year Calculation: 4 साल बाद ही क्‍यों आता है लीप ईयर, जानें, एक्‍स्ट्रा दिन फरवरी में क्यों जोड़ा गया

लीप ईयर में 366 दिन होते हैं और फरवरी में 29.

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

लीप ईयर (Leap Year) उस वर्ष को कहते हैं जिसमें फरवरी का महीना 29 दिनों का होता है. सामान्य तौर पर फरवरी महीने में सिर्फ 28 दिन होते हैं. ध्यान रहे, लीप ईयर 366 दिन का होता है. यह याद करना भी रोचक होगा कि जिन लोगों का जन्म इस लीप ईयर के फरवरी महीने की 29 तारीख को होता है, चुहल में लोग उन्हें कहते हैं कि चार साल बाद ही इस शख्स का जन्मदिन आएगा. आपको ध्यान होगा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Ex-PM Morarji Desai) का जन्म 1896 की 29 फरवरी को हुआ था.

बता दें कि सूर्य वर्ष के आधार पर अंग्रेजी कैलेंडर (English Calendar) की गणना की जाती है. इस अंग्रेज कैलेंडर को ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) कहा जाता है. इस कैलेंडर के मुताबिक इसका पहला महीना जनवरी होता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से साल में 365 दिन होते हैं और हर 4 साल बाद लीप ईयर आता है, जिसमें 365 की बजाय 366 दिन हो जाते हैं. यह एक अतिरिक्त दिन फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है. इसलिए हर 4 साल बाद फरवरी का महीना 28 दिन की जगह 29 दिन का होता है.  

लीप ईयर की वजह

दरअसल, सूर्य 365 दिन और करीब 6 घंटे में इस पृथ्‍वी का चक्‍कर लगा पाता है. इसे एक सूर्य वर्ष कहते हैं. और इसके बाद ही नया साल शुरू होता है. तो ये जो 365 के बाद अतिरिक्त 6-6 घंटे की अवधि जुड़ती है तो 4 सालों में यह पूरे 24 घंटे की हो जाती है. एक पूरा दिन 24 घंटे का होता है. इस तरह हर चौथे साल की गणना में एक अतिरिक्त दिन जोड़कर गणना को नियंत्रित किया जाता है.

इसे भी पढ़ें : RS चुनाव: क्रॉस वोटिंग के सहारे 15 में से 10 सीटें जीती BJP, पढ़ें पूरी कहानी

फरवरी में ही क्‍यों जुड़ा एक्‍स्ट्रा दिन

यह रोचक सवाल है कि यह अतिरिक्त दिन किसी और महीने में नहीं, लेकिन फरवरी में ही क्‍यों जोड़ा गया? दरअसल, ग्रेगोरियन कैलेंडर से पहले जूलियन कैलेंडर चलन में था. इस कैलेंडर में भी लीप ईयर की व्यवस्था की गई थी. जूलियन कैलेंडर में साल का पहला महीना मार्च और आखिरी फरवरी का रखा जाता था. उस समय लीप ईयर के एक्‍स्ट्रा दिन को आखिरी महीने यानी फरवरी में जोड़ दिया गया था. फिर जब जूलियन की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर आया, तो पहला महीना जनवरी हो गया, लेकिन एक्स्ट्रा दिन को फरवरी में ही जुड़ा रहने दिया गया. एक दो यह महीना ही सबसे छोटा यानी 28 दिन का था और दूसरी बात कि पहले से ही ये क्रम चलता आ रहा था. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement

पसंदीदा वीडियो

Advertisement